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क्या अवैध होते हैं सभी तरह के तलाक? हिमाचल हाई कोर्ट के जज ने दिया जवाब; मुस्लिम मर्द को राहत

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में तीन तलाक मामले पर सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी तरह के तलाक को अपराधिक नहीं बताया है। कोर्ट की इस टिप्पणी से मुस्लिम मर्द को राहत मिली है। लेकिन...

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाMon, 12 Aug 2024 06:38 PM
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साल 2019 में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम आया। इस अधिनियम के तहत तीन तलाक को अपराध माना गया था। ऐसे में कई बार ये सवाल सामने आया कि क्या इस अधिनियम के तहत सभी तरह के तलाक अपराधिक हैं? सोमवार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए इसका जवाब दिया है। कोर्ट से मुस्लिम व्यक्ति को राहत मिल गई है, हालांकि, एफआईआर नहीं रद्द की गई है। आइये जानते हैं कि कोर्ट ने क्या कहा है और इससे किसपर असर पड़ेगा।

तीन तलाक पर क्या बोला हाई कोर्ट
कोर्ट के सामने एक मामला आया जिसमें मुस्लिम पति द्वारा पत्नी को तलाक दे दिया गया था। इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सभी तरह के तलाक अपराधिक नहीं हैं, बल्कि वो तलाक ही अपराधिक हैं जो तत्काल रूप से दिए जाते हैं और जिनको दोबारा बदला नहीं जा सकता है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 4 के तहत एक मुस्लिम व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

क्या है कानून
इस्लाम धर्म में तीन तरह के तलाक का जिक्र आता है। इसमें तलाक-ए-विद्दत, तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन हैं। 2019 के मुस्लिम महिला विवाह संरक्षण अधिनियम के तहत तलाक-ए-विद्दत को अपराधिक माना गया है। इसमें तुरंत और कभी ना परिवर्तित होने वाले तलाक का नियम है। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश कैंथला ने यह टिप्पणी की।

क्या था मामला
ताजा मामला एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा महिला को तलाक देने का था। इस मामले में व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को रद्द करने के लिए व्यक्ति कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए व्यक्ति को राहत दी और साफ किया कि व्यक्ति द्वारा दिया गया तलाक तलाक-ए-बिद्दत की श्रेणी में नहीं आता है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर रद्द करने पर कहा- चूंकि न्यायालय इसपर विचार कर रहा है, ऐसे में इस एफआईआर को रद्द करना अभी संभव नहीं है।

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