वक्फ बोर्ड ने किया संजौली मस्जिद पर मालिकाना हक का दावा, वकील बोले- नहीं पता 4 मंजिलें किसने बनाईं
- हिमाचल वक्फ बोर्ड के अधिकारी कुतुबुद्दीन अहमद ने कहा कि विवाद स्वामित्व के बारे में नहीं बल्कि धर्मस्थल के आगे के विकास के बारे में है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, जब शिमला पंजाब में था, तब वक्फ बोर्ड भूमि का मालिक बन गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद में नमाज अदा करना जारी रहेगा।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में बनी मस्जिद विवाद मामले में शनिवार को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक उसके पास है और विवाद सिर्फ उसमें निर्माण को लेकर है। वहीं दूसरे पक्ष के वकील ने कहा कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार यह मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है और वक्फ बोर्ड स्वामित्व का सबूत पेश करने में असमर्थ रहा है। सुनवाई के दौरान संजौली के निवासियों ने भी इस केस में पार्टी बनने के लिए आवेदन दिया। मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
संजौली लोकल रेजिडेंट (हिंदू संगठन) के एडवोकेट जगत पाल ने कहा कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह सरकारी है। वक्फ बोर्ड इसमें अतिक्रमणकारी है। लोकल रेजिडेंट की ओर से अदालत में एक आवेदन भी दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि मस्जिद के कारण क्या-क्या परेशानी हो रही है। इस पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से भी जवाब मांगा है।
ढाई मंजिला मस्जिद पांच मंजिला कैसी हो गई। इस पर भी वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी से जवाब मांगा गया है। संजौली हिंदू संगठन के एडवोकेट ने निर्माण में एक मास्टर माइंड की बात कही है जो बाहरी राज्य का बताया जा रहा है। वहीं वक्फ बोर्ड के वकील भूप सिंह ठाकुर ने बताया कि एक मंजिल के निर्माण की उनको जानकारी है, लेकिन उसके बाद बनी चार और मंजिल किसने बनाई इसकी जानकारी उनको भी नहीं है। वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में अपील की है कि मस्जिद को गिराया न जाए, इसका नक्शा पास किया जाए।
बाहरी लोगों ने कराया अवैध हिस्से का निर्माण
उधर वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन का कहना है कि जमीन वक्फ बोर्ड की है। रिकॉर्ड में भी एक मंजिल मस्जिद दर्ज है, लेकिन निर्माण किसने किया इसकी जानकारी उनको है। बाहरी राज्यों से कुछ मुस्लिम लोग शिमला आए और उन्होंने स्थानीय मस्जिद कमेटी को दरकिनार कर अवैध रूप से मस्जिद की चार और मंजिल बना दीं। वक्फ बोर्ड ने मस्जिद को न गिराने की अपील कोर्ट में की है।
पैसा कहां से आया वकील को जानकारी नहीं
सुनवाई के दौरान निर्माण के लिए फंडिंग को लेकर भी सवाल किया गया। बोर्ड के वकील ने कहा कि इसके लिए कुछ फंडिंग आढ़तियों ने की है। उन्हें फंडिंग कैश में आई या चेक में, इसके बारे में जब सवाल पूछा गया तो पेश हुए वकील इसका जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में अगली पेशी में जवाब देंगे।
स्थानीय लोगों ने की पक्षकार बनाने की मांग
संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण मामले पर सुनवाई के दौरान स्थानीय लोगों की एक सोसाइटी ने भी 20 पन्नों का लिखित आवेदन कोर्ट में दिया। इस सोसाइटी का कहना है कि उन्हें भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए। सोसाइटी की ओर से पेश अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि उन्हें भी इस मामले की पूरी जानकारी है। उन्होंने कहा कि जिस जगह मस्जिद का निर्माण हुआ है, वह सरकार की है और इसकी जमाबंदी में खसरा नंबर 36 में बाकायदा गैर मुमकिन मस्जिद दर्ज है। मस्जिद सरकारी जमीन पर है। आवेदन के जरिए अवैध व अनधिकृत निर्माण को हटाने की मांग की गई है।
सुनवाई में पहुंचे मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ ने बताया कि साल 2012 तक वह इस कमेटी के प्रधान रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान यह मस्जिद ढाई मंजिला थी। इसके बाद बाहरी लोगों का आना शुरू हुआ। इन्हीं बाहरी लोगों ने यहां पर अवैध निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी इस मामले में नोटिस मिला था, जिसके लिए वह कोर्ट में पेश हुए थे। उनसे पूछा गया है कि मौके पर पहले कितना निर्माण था।
साल 2010 में पहली बार हुई थी शिकायत
नगर निगम के अनुसार अब इस मामले में वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाया गया है। बोर्ड एक बार इस मामले पर अपना जवाब दे चुका है। मस्जिद मामले में पहली बार साल 2010 में नगर निगम के पास शिकायत पहुंची थी। तब यहां अवैध निर्माण करने के आरोप लगे थे। निगम प्रशासन के अनुसार पहले मौके पर एक मंजिल और एटिक के रूप में मस्जिद थी, लेकिन साल 2024 तक यहां अब एटिक समेत कुल पांच मंजिलें बन चुकी हैं। निगम प्रशासन का कहना है कि सुनवाई के दौरान भी यहां अवैध निर्माण हुआ है। पांच से ज्यादा बार काम रोकने के आदेश भी जारी हुए हैं। अब तक कुल 45 पेशियां इस मामले में हो चुकी हैं।
लोग अवैध बता कर रहे गिराने की मांग
इलाके के स्थानीय लोग संजौली इलाके की इस मस्जिद को अनधिकृत बताते हुए इसे गिराने की मांग कर रहे हैं। पिछले करीब 14 वर्षों से विचाराधीन यह मामला तब भड़क उठा जब पास के मल्याणा इलाके में झगड़े के दौरान कुछ मुस्लिम युवकों ने एक व्यापारी पर कथित तौर पर हमला किया। इस मारपीट को लेकर व्यक्ति ने केस दर्ज कराया था। मारपीट के बाद से आरोप लगा कि वारदात को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए। जिसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही। देखते ही देखते मामले ने और तूल पकड़ लिया। मामला विधानसभा सदन तक पहुंच गया। इसके बाद कई प्रदर्शन भी हुए।
'यह सांप्रदायिक नहीं, अवैध निर्माण का मामला'
स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि उन्हें इस मामले में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि यह मामला पिछले 14 वर्षों से नगर निगम आयुक्त की अदालत में लंबित था और वक्फ बोर्ड को 2023 में ही पक्ष बनाया गया था। उन्होंने कहा कि यह सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है, बल्कि अवैध निर्माण का मामला है और मस्जिद को गिराया जाना चाहिए। वकील ने कहा कि वक्फ बोर्ड स्वामित्व का कोई सबूत पेश करने में असमर्थ रहा और कहा कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य भूमि का मालिक है।
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