नई योजना- एक्सीडेंट के बाद होगा कैशलेस इलाज, गोल्डन ऑवर मे मरने से बचाने का प्लान
हिमाचल सरकार ने एक्सीडेंट में घायल हुए लोगों को सरल तरीके से जल्द इलाज मुहैया कराने का नया तरीका निकाला है। सरकारी योजना के जरिए घायल हुए लोगों को मदद प्रदान की जाएगी। इससे गोल्डन ऑवर में रुकावटों के कारण इलाज ना मिलने से मरने वाले लोगों की संख्या कम की जा सकती है।
केंद्र सरकार सरकार सडक़ दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को कम करने के लिए प्रयास कर रही है। सड़क हादसों के दोरान पीड़ितों को जल्द इलाज मिलना बेहद जरूरी होता है। दुर्घटना के हाल बाद का समय गोल्डन ऑवर कहलाता है। मगर इस दौरान इलाज ना मिल पाने के कारण कई मरीजों की मौत हो जाती है। इसे ही कम करने के लिए सरकार ने कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है।
गोल्डन ऑवर में होगा डेढ़ लाख तक का कैशलेस इलाज
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सडक़ यातायात दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए गोल्डन ऑवर के दौरान डेढ़ लाख रुपए तक का कैशलेस उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से एक योजना शुरू की है। इस योजना का पहला लक्ष्य एक्सीडेंट में शिकार हुए लोगों को पैसे की रुकावटों से छुटकारा दिलाना है। ताकि समय पर इलाज प्रदान किया जा सके। मोटर वाहनों का पायलट कार्यक्रम, जिसे सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की देखरेख में विकसित किया गया है। असम और चंडीगढ़ में इस योजना को पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है।
इतने दिनों तक होगें कैशलेस इलाज के हकदार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) आदि के समन्वय से पायलट कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी। पायलट कार्यक्रम के तहत पीड़ित अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक कैशलेस इलाज के हकदार हैं। दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति 1.5 लाख रुपए का कैशलेस इलाज का हकदार होगा।
इस प्लेटफार्म के जरिए होगी देखरेख
किसी भी श्रेणी की सडक़ पर मोटर वाहन के उपयोग के कारण होने वाली सभी सडक़ दुर्घटनाओं पर यह योजना लागू होगी। आघात और बहुआघात के मामलों के लिए एबी पीएम-जेएवाई पैकेज को सहयोजित किया जा रहा है। उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा किए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी। कार्यक्रम को एक आईटी प्लेटफार्म के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जिसमें मोर्थ के ईडीएआर एप्लिकेशन और एनएच के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम की कार्यक्षमताएं शामिल होंगी।
पूरे देश में फैलाने की योजना
पायलट कार्यक्रम के नतीजे के आधार पर पूरे देश में कैशलेस इलाज सुविधा के विस्तार पर विचार किया जाएगा। उधर, डीआईजी टीटीआर गुरदेव चंद शर्मा का कहना है कि सभी जिला पुलिस अधीक्षकों से इस बारे में कहा गया है कि वे इस जानकारी को सभी पुलिस क्षेत्र के अधिकारियों तक पहुंचाएं और योजना के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। यह सुनिश्चित करने के लिए सबका सहयोग महत्त्वपूर्ण है कि सडक़ दुर्घटना पीड़ितों को इस योजना के तहत समय पर जीवन रक्षक देखभाल मिले।
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