कांगड़ा सीट पर चार चार बार जीत के साथ कांग्रेस और BJP रहे हैं बराबर, निर्णायक रहा है OBC वोट बैंक
Himachal Pradesh Assembly Election 2022 : कांगड़ा सीट पर चार चार बार जीत के साथ कांग्रेस और BJP में बराबरी का मुकाबला रहा है। इस बार कांग्रेस और भाजपा सियासी बढ़त बढ़ाने के इरादे से उतरेंगी...

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इस बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें हैं जहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। इनमें कांगड़ा विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास रोचक मुकाबलों वाला रहा है। विधानसभा क्षेत्र कांगड़ा में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही चार चार बार जीत नसीब हुई है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों की कोशिश रहेगी कि इस बार कांगड़ा को फतह कर सियासी बढ़त बढ़ाई जाए। प्रस्तुत है कांगड़ा विधानसभा सीट (Election History of Kangra Assembly Constituency) के रोचक चुनावी इतिहास को बयां करती रिपोर्ट...
BJP का मास्टर स्ट्रोक
दलगत राजनीति की बात करें तो भाजपा ने कांग्रेस के मौजूदा विधायक और प्रदेश कार्यकारिणी में कार्यकारी उपाध्यक्ष पवन काजल को पार्टी में शामिल कर मास्टर स्ट्रोक खेला है। ओबीसी चेहरा पवन काजल की जमीनी स्तर पर मतदाताओं के बीच एक मजबूत पकड़ है। काजल की इसी सियासी पकड़ के कारण वह 2012 में निर्दलीय और 2017 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ कर लगातार दो बार विधायक बन चुके हैं।
जातिगत समीकरण
कांगड़ा विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की काफी महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। कांगड़ा क्षेत्र ओबीसी बहुल होने के कारण हर चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यहा घिरथ जाति का खासा प्रभाव रहा है।
2017 में कांग्रेस से चुनाव लड़ कर काजल बने थे विधायक
साल 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी। 2017 में यहां कुल 43.70 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस सीट से कांग्रेस के पवन कुमार काजल ने जीत हासिल की थी। बता दें पवन कुमार ने बीजेपी के संजय चौधरी को 6,208 वोटों के मार्जिन से हराया था।
अब तक ये रहे हैं विधायक
2017 - पवन कुमार काजल (कांग्रेस)
2012 पवन काजल (निर्दलीय)
2007 संजय चौधरी (बसपा)
2003 सुरिंदर कुमार (कांग्रेस)
1998 विद्या सागर चौधरी (भाजपा)
1993 दौलत राम (कांग्रेस)
1990 विद्या सागर (भाजपा)
1985 विद्या सागर (भाजपा)
1982 विद्या सागर (भाजपा)
1977 प्रताप चौधरी (जेएनपी)
1972 हरि राम (कांग्रेस)