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हिमाचल में डरा रहे कैंसर मरीजों के आंकड़े, हर 225 में से एक पीड़ित, वजह क्या बता रहे विशेषज्ञ?

हिमाचल प्रदेश में कैंसर मरीजों के आंकड़े डरा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार, हिमाचल प्रदेश जनसंख्या के अनुपात के लिहाज से कैंसर के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। हिमाचल में कैंसर मामलों में बढ़ोतरी के पीछे विशेषज्ञ क्या वजहें बता रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानें....

Krishna Bihari Singh लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाSat, 7 Sep 2024 01:22 PM
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हिमाचल प्रदेश में कैंसर मरीजों को लेकर डराने वाले आंकड़े सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश में 32 हजार से ज्यादा कैंसर रोगी हैं। आबादी के लिहाज से देखें तो 225 लोगों में से हर एक कैंसर से पीड़ित है। हिमाचल प्रदेश के छह अस्पतालों में कैंसर मरीजों के उपचार की सुविधा मिल रही है। हिमाचल विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री ने कैंसर मरीजों का आंकड़ा साझा किया है। इंदौरा के विधायक मलेंद्र राजन के सवाल के लिखित जवाब में सूबे के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 32903 कैंसर रोगी रजिस्टर्ड हैं।

किस अस्पताल में कितने मरीज?

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि शिमला, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, चम्बा और हमीरपुर जिलों में कैंसर मरीजों के उपचार की सुविधा उपलब्ध है। कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा 19135 कैंसर मरीज रजिस्टर्ड हैं। शिमला के आईजीएमसी में कैंसर मरीजों की संख्या 11343, सिरमौर के नाहन मेडिकल कॉलेज में 1471, हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में 535, मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में 424 और चम्बा मेडिकल कॉलेज में एक है।

हर 225 लोगों में एक को कैंसर

राष्ट्रीय आयोग की तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 2024 तक हिमाचल प्रदेश की आबादी 7,518,000 यानी 75.18 लाख होने का अनुमान है। इस हिसाब से देखें तो हर 225 व्यक्तियों में से एक कैंसर से पीड़ित है।

IGMC में हर साल आ रहे 3000 मरीज

आईजीएमसी शिमला के रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनीष गुप्ता का कहना है कि अकेले उनके अस्पताल में हर साल 2500 से 3000 कैंसर के नए रोगी इलाज के लिए आ रहे हैं।

क्या वजह बता रहे विशेषज्ञ?

कृषि एवं बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज का कहना है कि कैंसर के बढ़ते मामलों के कारणों में सब्जी-फल उत्पादन में रसायनों का बढ़ता प्रयोग भी एक कारण है। डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (सोलन) का एक शोध बताता है कि प्रदेश में फल-सब्जियों की खेती में जमकर रसायनों का प्रयोग हो रहा है। 3 से 4 फीसदी फल-सब्जियों के नमूनों में कीटनाशक-फफूंदनाशकों के अवशेष की मात्रा तय सीमा से अधिक है। हिमाचल में रसायनों का प्रयोग राष्ट्रीय औसत से 1 फीसदी अधिक है।

आईजीएमसी और हिमाचल विवि कर रहे शोध

कैंसर के बढ़ते मामलों पर आईजीएमसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय मिलकर एक शोध कर रहे हैं। इस शोध में सामने आया है कि खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों का कितना हिस्सा पानी के स्रोत में जा रहा है, जो कैंसर के मामले बढ़ा रहा है। शोध के नतीजे अगले 6 से 8 महीने में सामने आ जाएंगे।

हमीरपुर में बन रहा कैंसर केयर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

हमीरपुर जिले में कैंसर केयर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किया जा रहा है, जहां न्यूक्लियर मेडिसन का विशेष विभाग स्थापित किया जाएगा, जिसमें बड़ी क्षमता की न्यूक्लियर लैब और साइकलोट्रोन भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने बजट में 300 करोड़ का प्रावधान किया है।

कैंसर रोगियों को मुफ्त मिल रही 42 दवाएं

हिमाचल में कैंसर रोगियों को निःशुल्क उपचार मिल रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पिछले महीने शिमला में स्टेट एडवाइजरी बोर्ड ऑन कैंसर एंड पैलिएटिव केयर प्रोग्राम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कैंसर रोग के निःशुल्क उपचार और दवाएं प्रदान करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कैंसर के उपचार के लिए 42 दवाएं निःशुल्क देगी। इसमें ट्रैस्टुजुमाब टीका भी शामिल है, जिसका मूल्य करीब 40 हजार रुपये होता है। ये दवाइयां सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

देश में दूसरे स्थान पर हिमाचल : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार, देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश जनसंख्या के अनुपात के लिहाज से कैंसर के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है। इसे देखते हुए कैंसर रोगियों को राहत देने के लिए निर्णय लिया गया है। शिमला में स्टेट एडवाइजरी बोर्ड ऑन कैंसर एंड पैलिएटिव केयर प्रोग्राम की पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। सरकारी अस्पतालों में कैंसर के उपचार के लिए 42 दवाएं निःशुल्क मिलेंगी। इन्हें राज्य की अनिवार्य दवा सूची में शामिल किया गया है।

रिपोर्ट- यूके शर्मा

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