गुजरात विधानसभा चुनाव: मतों का ध्रुवीकरण रोकने की कोशिश
कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में बेहद फूंक-फूंककर कदम रख रही है। पार्टी ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती जिसे भाजपा बड़ा मुद्दा बनाकर उसके खिलाफ मतों का ध्रुवीकरण करा सके। इसलिए, प्रचार के दौरान...
कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में बेहद फूंक-फूंककर कदम रख रही है। पार्टी ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती जिसे भाजपा बड़ा मुद्दा बनाकर उसके खिलाफ मतों का ध्रुवीकरण करा सके। इसलिए, प्रचार के दौरान बयानबाजी में पूरा ध्यान रखा जा रहा है। कांग्रेस खासकार अल्पसंख्यकों को लेकर पूरी एहतियात बरत रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी ने नवसृजन यात्र के दौरान अभी तक अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों का जिक्र तक नहीं किया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी पर अपनी छवि बदलने का दबाव भी है। गुजरात में 34 सीट पर मुसलिम मतदाताओं की संख्या करीब 15 फीसदी है। पिछले चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के चलते इनमें से 21 सीटें भाजपा ने जीती थी। कांग्रेस को सिर्फ 12 सीटें मिली थीं और एक सीट एनसीपी के खाते में गई थी। ऐसे में कांग्रेस इस बार अपनी रणनीति बदल रही है।
पार्टी में यह राय जोर पकड़ रही है कि मौजूदा दो विधायकों के अलावा कोई अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं उतारा जाए।पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गुजरात के अल्पसंख्यक भी मतों के ध्रुवीकरण को रोकने की हमारी कोशिश को समझ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नवसृजन यात्र और रैलियों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक भी शामिल हो रहे हैं।
गुजरात में चुनावी गहमागहमी के बीच दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने गुरुवार को दोहराया कि वह दलितों के मुद्दों पर राहुल गांधी से बातचीत कर सकते हैं, पर कांग्रेस पार्टी अथवा किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह राज्य में दलितों से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस से चर्चा और इसका रूख जानने के लिए पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से बातचीत कर सकते हैं।