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रक्त परीक्षण बायोप्सी से मुक्ति दिलाएगा

एम्स ने ऐसे दो बायोमार्कर की पहचान की है, जिससे सीलिएक बीमारी से ग्रस्त लोगों की आंत में होने वाले नुकसान का पता लगाना संभव होगा। सीलिएक एक ऐसी बीमारी है जिसमें गेंहू में पाए जाने वाले प्रोटीन...

रक्त परीक्षण बायोप्सी से मुक्ति दिलाएगा
एजेंसी,नई दिल्ली Sun, 15 Dec 2019 10:29 AM
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एम्स ने ऐसे दो बायोमार्कर की पहचान की है, जिससे सीलिएक बीमारी से ग्रस्त लोगों की आंत में होने वाले नुकसान का पता लगाना संभव होगा। सीलिएक एक ऐसी बीमारी है जिसमें गेंहू में पाए जाने वाले प्रोटीन ग्लूटेन को खाने पर शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होने लगती है। इससे छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है।


बायोप्सी से होता है नुकसान : अभी तक इस बीमारी में आंत के अंदर मौजूद विलस को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए बायोप्सी करानी पड़ती है, जिसमें मरीज को बहुत ज्यादा दर्द होता है और समय भी काफी लगता है। अब सिर्फ दो रक्त परीक्षण से ही आंत को होने वाले नुकसान का पता चल जाएगा। मरीज का इलाज जल्द और आसानी से संभव होगा।


विलस खाना पचाने में मदद करता है : आंत में विलस ऐसी कार्यप्रणाली होती है जो खाने को पचाने में मदद करती है। एम्स के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर गोविंद मखारिया ने कहा कि सीलिएक में ग्लूटेन से छोटी आंत की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है। इस बीमारी की वजह से आंत में विलस को नुकसान पहुंचता है और इस बारे में पता नहीं चल पता, क्योंकि विलस को पहुंचे नुकसान का पता तभी लगता है जब मरीज बायोप्सी कराता है।


बायोप्सी में बीमार व्यक्ति की कोशिकाएं ली जाती हैं। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे त्वचा के परीक्षण में उसका एक छोटा-सा हिस्सा लिया जाता है। इंडोस्कोपी की मदद से भी बायोप्सी की सफलता को पक्का किया जा सकता है। इंडोस्कोपी में शरीर के अंदर कैमरा डाल कर जांच की जाती है। कैमरे की मदद से पहले बीमारी तक पहुंचा जाता है और फिर उस अंग की बायोप्सी की जाती है।

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