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World Alzheimer's Day: इस वजह से होती है अल्जाइमर की बीमारी

अल्जाइमर रोग एक मानसिक विकार है, जिसके कारण मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और इसका असर दिमाग के कार्यों पर पड़ता है। आमतौर पर यह मध्यम उम्र या वृद्धावस्था में दिमाग के टिशू को नुकसान पहुंचने के...

World Alzheimer's Day: इस वजह से होती है अल्जाइमर की बीमारी
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 20 Sep 2018 11:52 PM
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अल्जाइमर रोग एक मानसिक विकार है, जिसके कारण मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और इसका असर दिमाग के कार्यों पर पड़ता है। आमतौर पर यह मध्यम उम्र या वृद्धावस्था में दिमाग के टिशू को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। यह डीमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, जिसका असर व्यक्ति की याद्दाश्त, सोचने की क्षमता, रोजमर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है।

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न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक जेपी हॉस्पिटल के न्यूरोलोजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. के. एम. हसन ने कहा कि अल्जाइमर रोग विकासशील देशों में तेजी से बढ़ रहा है। यह विशेष रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इसे सेनाइल डीमेंशिया के नाम से भी जाना जाता है। यह दिमाग की न्यूरोडीजनरेटिव बीमारी है जिसमें मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और इसका असर व्यक्ति के मानसिक कार्यों पर भी पड़ता है। इसकी शुरुआत अक्सर 65 वर्ष की उम्र के बाद ही होती है।

डॉ. हसन ने कहा कि अल्जाइमर रोग में दिमाग के टिश्यूज को नुकसान पहुंचने लगता है। इसके तकरीबन दस साल बाद व्यक्ति में लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे याददाश्त कमजोर होना। इसमें दिमाग की कोशिकाएं डीजनरेट होकर मरने लगती हैं, इसलिए इसका असर याद्दाश्त एवं अन्य मानसिक कार्यों पर पड़ता है। अल्जाइमर रोग दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करता है। अल्जाइमर से पीड़ित मरीजों की उम्र आमतौर पर अधिक होती है। लेकिन यह एजिंग या उम्र बढ़ने का सामान्य लक्षण नहीं है। अल्जाइमर का सही कारण अब तक ज्ञात नहीं है। हालांकि पाया गया है कि यह आनुवंशिक कारकों, डीप्रेशन, सिर की चोट, उच्च रक्तचाप, मोटापे के मरीजों में अधिक होता है। 

उन्होंने कहा कि अल्जाइमर में मरीज की याद्दाश्त चली जाती है। इसका असर मरीज के मानसिक कार्यों और पहचानने की क्षमता पर भी पड़ता है। इसके लक्षण हैं भूलना, सोचने-समझने में मुश्किल, खासतौर पर शाम के समय मानसिक रूप से भ्रमित होना, एकाग्रता में कमी, नई चीजें सीखने की क्षमता में कमी, साधारण सी गणना करने में मुश्किल महसूस करना या आस-पास की चीजों/ लोगों को पहचानने में मुश्किल होना।

World Alzheimer's Day 2018: इससे बचने के लिए लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव

डॉ. हसन ने कहा कि अल्जाइमर के मरीज के व्यवहार में बदलाव आने लगते हैं जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अपने शब्दों को दोहराना, बेचैनी, एकाग्रता में कमी, बेवजह कहीं भी घूमते रहना और खो जाना, रास्ता भटकना, मूड में बदलाव, अकेलापन, मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन, हैल्यूसिनेशन या पैरानोइया भी हो सकती हैं।  

शुरुआत में लक्षणों को देखकर अक्सर लोग यह समझते हैं कि ऐसा उम्र बढ़ने के कारण हो रहा है। हालांकि अल्जाइमर का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआती अवस्था में निदान के द्वारा मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। एक न्यूरोलोजिस्ट ही समय पर इसकी पहचान कर सकता है। इसके लिए पूर्ण जांच एवं न्यूरो इमेजिंग की जरूरत होती है, क्योंकि कई बार इसके निदान के समय भ्रमित हो जाने का शक होता है।  

डॉ. हसन ने कहा कि वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है, हालांकि कुछ दवाओं के द्वारा मरीज के लक्षणों में सुधार लाया जा सकता है। अनुभवी न्यूरोलोजिस्ट, साइकेट्रिस्ट, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट, फिजिकल थेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट की टीम मिलकर अल्जाइमर की जांच, निदान और देखभाल कर सकती है। इसके इलाज के लिए मरीज को ऐसी दवाएं दी जाती हैं कि उसके व्यवहार एवं लक्षणों में सुधार लाया जा सके और रोग का प्रबंधन किया जा सके।

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