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क्या अंतर है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में? क्या करें, क्या न करें

Diabetes :  डायबिटीज दो प्रकार की होती है। टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-1, डायबिटीज का शुरुआती दौर होता है। इसे कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज में मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल...

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myupchar,नई दिल्लीThu, 24 Oct 2019 02:44 PM
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Diabetes :  डायबिटीज दो प्रकार की होती है। टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-1, डायबिटीज का शुरुआती दौर होता है। इसे कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज में मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है। इसे कंट्रोल करना मुश्किल है। दोनों तरह की शुगर के कारण अलग-अलग हैं और इनका इलाज भी अलग है।  टाइप-1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाती है। अनुवांशिक कारणों से ऐसा होता है। वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के ताजा अध्ययन के मुताबिक, रोटावायरस भी टाइप वन डायबिटीज का कारण होता है। यह बीमारी उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो सकती है। कभी तो बच्चों में जन्म से हो जाती है। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनना कम हो जाता है। इसके लिए मोटापा, हायपरटेंशन और लाइफस्टाइल से जुड़े पक्ष जिम्मेदार होते हैं। यही कारण है कि टाइप 2 डायबिटीज के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। टाइप 1 डायबिटीज में इंजेक्शन या पम्प के जरिए इंसुलिन को शरीर में पहुंचाया जाता है। वहीं टाइप 2 डायबिटीज दवाओं के साथ ही लाइफस्टाइल में सुधार से ठीक हो जाती है। 

myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, डायबिटीज का एक तीसरा प्रकार भी होता है, जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। कई महिलाओं में यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान होती है और ज्यादातर मामलों में डिलिवरी के बाद ठीक भी हो जाती है। डॉ. शाही बताते हैं कि किसी भी तरह की डायबिटीज के लक्षण लगभग समान होते हैं जैसे- शरीर में पानी की कमी होना, ज्यादा प्यास लगना, भूख लगना, बार-बार पेशाब आना, वजन अचानक बढ़ना या कम होना, थकान होना, त्वचा में खुजली, घाव का जल्द न भरना और धुंधला दिखना। 

टाइप-2 डायबिटीज का सबसे ज्यादा खतरा यहां 

1. 45 साल की उम्र के बाद टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। 

2. जिन परिवारों में डायबिटीज अनुवांशिक है, उसके सदस्य विशेषतौर पर सावधान रहें। 

3. मोटापे के शिकार लोगों पर टाइप-2 डायबिटीज सबसे पहले हमला करती है।

4. जिन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, लॉ एचडीएल या हाई कॉलेस्ट्रॉल होता है, उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा रहता है।

 

टाइप-2 डायबिटीज का लाइफ स्टाइल से क्या संबंध है

(जीवनशैली टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को  बढ़ाती है। मसलन -

1. यदि कोई ओवरवेट या मोटे हैं (बीएमआई 32 से ज्यादा)

2. यदि कोई शारीरिक तौर पर सक्रिय नहीं है यानि जरा भी एक्सरसाइज नहीं करता।

3. यदि कोई हर रोज दिन में कम से कम दो घंटे टीवी देखता है।

4. यदि कोई कृत्रिम शर्करा वाले ड्रिंक्स का ज्यादा सेवन करता है। ये प्रॉडक्ट टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 67 फीसदी तक बढ़ा देते हैं। 

5. यदि किसी पर भारी तनाव है खासतौर पर आर्थिक स्थिति का तनाव। ऐसे लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका ढाई गुना तक बढ़ जाती है।

क्या टाइप-2 डायबिटीज का खतरा महिलाओं में ज्यादा होता है? 

उन महिलाओं में डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है, जो 45 वर्ष से अधिक आयु की हैं, जिनका वजन औसत से अधिक है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रस्त हो चुकी महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है। पॉली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम और हाई बीपी से पीड़ित महिलाओं में इसकी आशंका ज्यादा रहती है। 

प्रेग्नेंसी के दौरान 17 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से बढ़ जाता है। इससे उनके गेस्टेशनल डायबिटीज की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। 2.5 फीसदी महिलाओं को गेस्टेशनल डायबिटीज होती है, जो डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन 20.50 फीसदी महिलाओं को बच्चे के जन्म के 5-10 साल में टाइप-2 डायबिटीज हो जाती है। जो महिलाएं गेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित होती हैं, उनके बच्चे में बड़े होकर टाइप 2 डायबिटीज की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी महिलाओं को इंटरमिटेंट फास्टिंग पर ध्यान देना चाहिए, जो पारंपरिक रूप से सही तरीके से कैलोरी को कंट्रोल करने वाली डाइट के रूप में टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। डॉ. शाही के अनुसार, किसी भी प्रकार की डायबिटीज से बचना है तो स्वस्थ्य आहार खाएं। व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें। 

अधिक जानकारी के लिए देखें: https://www.myupchar.com/disease/diabetes

स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखा गया है।  

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