साइनस की तकलीफ में राहत देते हैं ये योगासन
हमारी नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के भीतर नम हवा के खाली स्थान हैं, जिन्हें 'वायुविवर' या साइनस कहते हैं। जब सामान्य स्थिति हो तो साइनस हमारी सांस को फेफड़ों तक पहुंचने से पहले उसे नम...
हमारी नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के भीतर नम हवा के खाली स्थान हैं, जिन्हें 'वायुविवर' या साइनस कहते हैं। जब सामान्य स्थिति हो तो साइनस हमारी सांस को फेफड़ों तक पहुंचने से पहले उसे नम (आर्द्र) करने का काम करती है। कई बार जब हमारी नाक चोक हो तो हमें चेहरे और सिर में भी भारीपन महसूस होता है। इसकी वजह है, हमारे साइनस के बारीक छिद्रों में दिक्कत।
आमतौर पर जुकाम या एलर्जी के कारण जब साइनस में सूजन आ जाती है, इन चैनल्स में बलगम बनने लगता है- जिसके कारण हम चेहरे और माथे पर भारीपन महसूस करते हैं। यानी जब किसी व्यक्ति को जुकाम तथा एलर्जी हो, तो साइनस टिश्यू सूज जाते हैं। सर्दी जुकाम के अलावा इनमें इन्फेक्शन के कारण साइनासाइटिस हो सकता है।
हमारी परंपरागत भारतीय उपचार पद्धतियों में नाक के इन गलियारों की सफाई के लिए जल नेती या सूत्र नेती की सिफारिश की जाती है। वैसे आपको यह करने से पहले किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की मदद लेनी चाहिए। जल नेती में एक विशिष्ट किस्म के बर्तन की जरूरत होती है। हमेशा की तरह बेहतर होगा आप किसी अनुभवी शिक्षक की मदद लें जो हर चरण पर आपकी मुद्रा और सांस की लय को नियंत्रित कर सके।
यहां पेश हैं योग के जरिये साइनस से राहत के पांच नुस्खे ताकि आप ज्यादा खुलकर सांस ले सकें।
1. अनुलोम-विलोम
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अपने दाएं हाथ की पहली दो ऊंगलियों को मोड़ें।
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अंगूठे से नाक के दाएं नथुने को हौले से दबाएं और चार तक गिनती करते हुए बाएं नथुने से सांस लें।
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दाएं हाथ की अंतिम दो ऊंगलियों से अब बाएं नथुने को बंद करें। सांस को 16 गिनने तक रोककर रखें।
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दाएं नथुने पर से अंगूठा हटाकर 8 की गिनती तक सांस छोड़ें। फिर दाएं नथुने से चार की गिनती तक सांस खींचे।
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हर नथुने के साथ इस प्रक्रिया को 10-12 बार करें।
2. बैठकर आगे झुकना
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चटाई पर बैठकर पैरों को अपने आगे लंबा कर लें।
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अपनी बांहों को ऊपर उठाकर कमर को आगे की ओर झुकाइए। पेट से जांघ को छूएं।
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अगर यह संभव न हो तो अपनी पिंडली, टखने या पंजे-जहां तक संभव हो, हाथ को बिना घुटना मोड़े या पीठ को मोड़े ले जाएं।
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इस मुद्रा में एक मिनट रहिए।
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मूल स्थिति में लौट आइए और इसे दो बार और दोहराइए।
3. पूर्वोत्तानासन
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चटाई पर दोनों पैरों को सामने की ओर लंबा करके बैठ जाइए।
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अपनी हथेलियों को कूल्हे के पीछे रखिए। अगर ऊंगलियां की दिशा शरीर की ओर हो तो आसानी होगी।
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अब कूल्हों को चटाई से ऊपर उठाइए और शरीर को सिर से पैरों के पंजों तक एक सीध में लाने की कोशिश कीजिए।
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इस स्थिति में 30 सैकंड तक बने रहिए और फिर शुरूआती स्थिति में लौट आइए।
4. सर्वांगानासन
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पीठ के बल लेटकर पैरों को 90 डिग्री के कोण पर ले आइए।
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थोड़ा आगे-पीछे होकर कुछ गति लाएं और अपने कूल्हों व पीठ को चटाई से ऊपर उठा लें। अपने हाथों से कमर को सहारा देकर बोझ कंधों और कोहनियों पर ले लें।
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अपनी ठुड्डी को अपने सीने पर लगाइए और सामान्य तौर पर सांस लीजिए।
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अगर आप पैरों को और ऊपर उठा सकते हैं तो हाथों के पूरे सहारे से ऐसा करने की कोशिश कीजिए।
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इस स्थिति में एक मिनट तक बने रहिए। धीरे धीरे इस मुद्रा में रहने का वक्त बढ़ाइए।
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मूल स्थिति में लौटने के लिए अपने हाथों को हौले से ढीला छोड़कर पीठ को चटाई पर टिका दीजिए। इसके बाद पैरों को भी नीचे ले आइए।
5. मत्स्यासन
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पीठ के बल लेट जाइए। अपनी बांहों को अपने नीचे ले आइए। दोनों हाथों की कोहनियों को छूने की कोशिश करें।
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अपने सिर और कंधों को थोड़ा उठाकर पैरों को देखने की कोशिश करें।
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सिर को मोड़कर पीछे चटाई पर टिका दें।
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इस स्थिति में 30 सैकंड से एक मिनट तक रहें।
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मूल स्थिति में लौटने से पहले अपने सिर को फिर उठाकर पैरों के पंजे को देखने की कोशिश करें।
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धीरे-धीरे उसे फिर से चटाई पर रख दें।
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अपने अभ्यास का समापन शवासन से करें।
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