फोटो गैलरी

Hindi Newsतीन प्रकार के कैंसर तोड़ देते हैं मनोबल

तीन प्रकार के कैंसर तोड़ देते हैं मनोबल

कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जिन्हें यह बीमारी होती है, उनकी मनोदशा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। एक शोध में विशेषज्ञों ने कैंसर के प्रकार को चिह्नित किया है,...

तीन प्रकार के कैंसर तोड़ देते हैं मनोबल
एजेंसी,लंदन Sun, 18 Mar 2018 06:22 PM
ऐप पर पढ़ें

कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जिन्हें यह बीमारी होती है, उनकी मनोदशा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। एक शोध में विशेषज्ञों ने कैंसर के प्रकार को चिह्नित किया है, जिनके शिकार लोगों का मनोबल टूट जाता है। उनकी दशा इतनी खराब हो जाती है कि वे अत्महत्या की ओर बढ़ जाते हैं।

ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम में भारतीय मूल के प्रशांत पटेल की अध्यक्षता में यह अध्ययन किया गया। अध्ययन के दौरान इंग्लैंड और वेल्स हॉस्पिटल एपिसोड स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों का आकलन किया गया। यह आंकड़े 2001 से 2011 तक के थे। आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि प्रोस्टेट, ब्लैडर और किडनी कैंसर के मरीजों में आत्महत्या की आशंका पांच गुना तक बढ़ जाती है।

इन आंकड़ों के आकलन से यह भी पता चला है कि अन्य कैंसर के मरीजों में भी आत्महत्या की आशंका तीन गुना तक अधिक होती है। कैंसर का खुलासा होने और उसका इलाज शुरू होने के साथ अत्यधिक मानसिक तनाव इस बीमारी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है। कैंसर के मरीजों में पांच से 25 फीसदी तक डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। 

पूर्व में हुए शोध बताते हैं कि काफी संख्या में कैंसर के मरीज अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं, मगर उनकी यह समस्या कभी बिना इलाज के ही रह जाती है। पहली बार कैंसर के मरीजों में अत्महत्या के इरादे से संबंधित अध्ययन इतने बड़े पैमाने पर किया गया है। इसमें विशेषज्ञों ने आत्महत्या के सफल प्रयास की दर का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में आत्महत्या की दर कहीं अधिक थी। 

शोध में 9.80 लाख कैंसर मरीजों के आंकड़े देखे, जिसमें तकरीबन 4.93 लाख पुरुष और 4.83 लाख महिलाएं शामिल थीं। शोधकर्ताओं की टीम ने देखा कि कैंसर के 162 मरीजों ने अत्महत्या की और 1222 मरीजों ने आत्महत्या का असफल प्रयास किया। 
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें