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Hindi Newsस्वाइन फ्लू की कुछ राज्यों में दस्तक, इस बार रहना होगा ज्यादा सावधान 

स्वाइन फ्लू की कुछ राज्यों में दस्तक, इस बार रहना होगा ज्यादा सावधान 

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल में 51 साल की एक महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के इस शहर में इस साल स्वाइन फ्लू की यह पहली मौत रही। पंजाब और तेलंगाना में भी इस...

Swine flu (symbolic HT)
1/ 2Swine flu (symbolic HT)
Swine flu (symbolic HT)
2/ 2Swine flu (symbolic HT)
myupchar,नई दिल्लीMon, 04 Nov 2019 05:52 PM
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लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल में 51 साल की एक महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के इस शहर में इस साल स्वाइन फ्लू की यह पहली मौत रही। पंजाब और तेलंगाना में भी इस बीमारी के नए मरीज सामने आ चुके हैं। जैसा कि ट्रेंड रहा है, जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, इस संक्रामक बीमारी का प्रकोप भी बढ़ता जाएगा। नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष सितंबर से फरवरी का समय बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। जरूरत है इसके लक्षणों को जानने और अपने शरीर पर बारिकी से नजर रखने तथा समय पर इलाज लेने की।

आंकड़ों में झलकता स्वाइन फ्लू का खौफ

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की संस्था नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल के अनुसार, देश में 2018 में इस बीमारी के मामलों में कमी देखी गई थी। तब 14,992 लोगों को स्वाइन फ्लू हुआ था और 1,103 ने जान गंवाई थी। वहीं 2017 में 38,811 मामले सामने आए थे और मृतकों का आंकड़ा 2,270 था। 2016 में 42,592 मरीजों में से 2,992 को बचाया नहीं जा सका था। इस साल अब तक 2018 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं।

नेशनल सेंटर ऑफर डिजीज़ कंट्रोल के आंकड़े बताते हैं कि इस साल 27,000 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है और मृतक संख्या 1167 पहुंच चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि इस वर्ष स्वाइन प्लू का प्रकोप 2016 से अधिक हो सकता है। 

myupchar.com के अनुसार, भारत में स्वाइन फ्लू की शुरुआत 2009 से हुई थी और आज यह आम बीमारी हो गई है। इसके लक्षण एक आम फ्लू की तरह होते हैं और टीकाकरण से इलाज करने की कोशिश की जाती है। स्वाइन फ्लू को एच1एन1 भी कहा जाता है क्योंकि यह इसी वायरस से फैलती है। 

स्वाइन फ्लू की तीन श्रेणियां

बुखार आना, ठंड लगना, खांसी, सिर दर्द, गले में खराश और शरीर में दर्द स्वाइन फ्लू के सामान्य लक्षण हैं। इलाज के लिहाज से कुछ राज्य सरकारों जैसे कर्नाटक ने स्वाइन फ्लू मरीजों की तीन श्रेणियां बनाई हैं। हर श्रेणी के लिए अलग तरह का इलाज तय किया गया है। 

श्रेणी ए: रोगियों को सामान्य फ्लू के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। हालांकि इस स्थिति में अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक नहीं है। 

श्रेणी बी: श्रेणी बी के रोगियों को अधिक जोखिम में माना जाता है। यह बुजुर्गों में या मधुमेह या हृदय रोग जैसी बीमारियों वाले व्यक्तियों में हो सकती है।

श्रेणी सी: यह रोगी की सबसे गंभीर श्रेणी है। इसके लक्षणों में सांस फूलना, सीने में दर्द, उनींदापन, ब्लडप्रेशर में गिरावट, खून के साथ बलगम या नाखूनों का नीलापन शामिल हैं। इन रोगियों को तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है।

बहरहाल, सामान्य लक्षणों में नियमित फ्लू की दवाओं से इलाज किया जा सकता है। हालांकि, आशंका होने पर डॉक्टर की मदद से स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए रोगी की जांच करनी चाहिए।

स्वाइन फ्लू का ज्यादा खतरा इनमें

65 वर्ष से अधिक आयु के लोग

5 साल से कम उम्र के बच्चे

पुरानी बीमारियों वाले लोग

गर्भवती महिला

लंबे समय से एस्पिरिन थेरेपी लेने वाले युवा

कमजोर इम्युन सिस्टम वाले लोग 

 

स्वाइन फ्लू से बचना है तो बरतें ये सावधानियां 

नियमित रूप से साबुन से हाथ साफ करें

भरपूर नींद लें

व्यायाम करें

तनाव न लें

तरल पदार्थ ज्यादा पीएं

संतुलित आहार लें

ऐसे चीजों या जगहों को छूने से बचें जहां वायरस हो सकता है

ऐसे लोगों के करीब न जाएं जो बीमार हैं

भीड़ से दूर रहने की कोशिश करें 

 

स्वाइन फ्लू का इलाज

 कुछ दवाएं उपलब्ध हैं जो प्रभावी रूप से स्वाइन फ्लू का इलाज कर सकती हैं। इनमें दो मुख्य हैं। एनामेंटाइन, जिसमें अमैंटाडाइन और रिमेंटाडाइन शामिल हैं, और दवाएं जो इन्फ्लूएंजा न्यूरोमिनिडेस प्रोटीन को रोकती हैं, जैसे ऑसटेल्टिमवीर और जनामिविर।

हालांकि, स्वाइन इन्फ्लूएंजा वाले अधिकतर मरीज अपने-आप भी पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन यह मरीज की शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है।

 

अधिक जानकारी के लिए देखें: https://www.myupchar.com/disease/swine-flu

स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखा गया है।  

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