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Hindi News स्वाइन फ्लू : पहली बार में लगता है आम फ्लू जैसा, अपनाएं ये सावधानियां और जानें इसके लक्षण व बचाव के उपाय

स्वाइन फ्लू : पहली बार में लगता है आम फ्लू जैसा, अपनाएं ये सावधानियां और जानें इसके लक्षण व बचाव के उपाय

हम सब सेहत का कितना भी ख्याल क्यों न रखते हों, पर वायरस कहीं न कहीं से शरीर में घुसने का रास्ता ढूंढ़ ही लेते हैं। मामला स्वाइन फ्लू का हो, तो दिक्कत और बड़ी होती है, क्योंकि यह वायरस बहुत जल्दी...

Aparajitaहिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्ली Fri, 22 Feb 2019 02:20 PM

तेजी से फैलता है वायरस

तेजी से फैलता है वायरस1 / 5

हम सब सेहत का कितना भी ख्याल क्यों न रखते हों, पर वायरस कहीं न कहीं से शरीर में घुसने का रास्ता ढूंढ़ ही लेते हैं। मामला स्वाइन फ्लू का हो, तो दिक्कत और बड़ी होती है, क्योंकि यह वायरस बहुत जल्दी फैलता है। इसलिए जरूरी है कि इसके प्रति विशेष सावधानी बरती जाए। बता रही हैं चयनिका निगम

स्वाइन फ्लू साल 2009 में भारत में कदम रखने के बाद से ही कई जानें ले चुका है।  इसका प्रकोप 10 साल बाद भी कोई खास कम नहीं हुआ है। साल 2019 का दूसरा महीना ही चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की मानें, तो सिर्फ इस साल में ही इसका वायरस 250 से अधिक जानें ले चुका है। राजस्थान से 96 तो गुजरात से 54 मौतें दर्ज की गई हैं। दिल्ली में 28, पंजाब में 30, मध्य प्रदेश में 16 और महाराष्ट्र में 13 मौतों के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा रजिस्टर केसों की संख्या तो इससे भी ज्यादा है। ये आंकड़े डराने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये तो सावधानी बरतने के लिए आगाह करते हैं। समझाते हैं कि स्वाइन फ्लू की चपेट में आने से अच्छा है कि बचाव के नियम अपना लिए जाएं। बचाव की राह पकड़ना तब और जरूरी हो जाता है, जब आपका कोई खास इस फ्लू की चपेट में आ गया हो। जरूरी है कि जब आप इस फ्लू के मरीज से मिलें, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें, जिससे स्वाइन फ्लू का आप पर असर हो ही 
न पाए।

पहली बार में लगे आम फ्लू जैसा

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स्वाइन फ्लू पहली बार में किसी भी दूसरे फ्लू जैसा ही महसूस होता है। इसलिए इसे साधारण शारीरिक दिक्कत मानकर ज्यादातर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। पर ऐसा करना गलत है। 

लक्षण पहचान लें
बहुत तेज बुखार रहना।

कफ होना।

नाक बहना।

बदन में दर्द रहना।

सिर दर्द होना।

बहुत ज्यादा थकावट महसूस होना।

बार-बार उल्टी होना आदि।

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सांस लेना होगा दूभर

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सांस की दिक्कत एक ऐसा लक्षण है, जो स्वाइन फ्लू को दूसरे वायरल से अलग करता है। दरअसल, स्वाइन फ्लू श्वास के पूरे तंत्र पर असर डालता है। इससे फेफड़े भी प्रभावित होते हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है, वो अलग। दूसरे वायरल से स्वाइन फ्लू ऐसे भी अलग होता है कि दूसरा वायरल हमला करेगा, तो 3 से 5 दिन बाद सांस की दिक्कत हो सकती है, लेकिन स्वाइन फ्लू में सांस पर हमला तुरंत होता है। मतलब आप इस फ्लू के किसी मरीज से मिलकर आए हैं और सांस की दिक्कत हो रही है, तो मान लीजिए कि आपको स्वाइन फ्लू होने की पूरी आशंका है। 

बीमार लोगों पर जल्दी होता है असर
स्वाइन फ्लू का वायरस उन लोगों पर पहले हमला करता है, जो किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित हैं या फिर जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर है। मतलब अस्थमा, डायबिटीज, दिल के मरीजों, बच्चों और एनीमिया से ग्रसित लोगों पर स्वाइन फ्लू जल्दी असर करता है। इसको ऐसे समझें कि इसके वायरस शरीर में प्रवेश करते हैं, तो इनके असर में 4 से 6 दिन लगते हैं। इस दौरान शरीर खुद एंटीबॉडीज बना लेता है और इनसे लड़ता है। लेकिन रोगप्रतिरोधक क्षमता सही नहीं है, तो इसके वायरस शरीर को बीमार करने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि बचाव के साथ रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की हर संभव कोशिश की जाए।

वायरस के लिए नहीं हैं एंटीबायोटिक
बैक्टीरिया से बचाव के लिए एंटीबायोटिक बनाए जा चुके हैं, पर वायरस के लिए अभी तक ऐसा कुछ नहीं बनाया जा सका है। एंटी वायरल मेडिसिन बनी जरूर हैं, पर ये वायरल को खत्म नहीं करती हैं, बल्कि उसके प्रकोप को थोड़ा कम करती है। यही वजह है कि डॉक्टर वायरस का इलाज न करके उन अंगों की सुरक्षा को देखते हुए इलाज करते हैं, जिन पर इस वायरस का असर हो सकता है। इसमें इलाज जल्दी कराए जाने की भी जरूरत होती है, क्योंकि ये वायरस फेफड़ों को जल्दी बीमार कर देता है। दिक्कत इस कदर हो जाती है कि जान भी जा सकती है।

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नियम-कायदे अपनाएं

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भीड़भाड़ से बचें, क्योंकि इसमें ऐसे लोग हो सकते हैं, जो किसी तरह के वायरस से पीड़ित हों। 

एक से दो घंटे में हाथ जरूर धोएं।

कोशिश करें कि वायरस फैलने के दौरान लोगों से हाथ कम मिलाएं या न ही मिलाएं। ठंड के मौसम में हाथ मिलाने से बचें।

मरीज से मिलने जाएं, तो मास्क लगाकर ही जाएं।

बाजार या भीड़-भाड़ में जाएं, तो भी मास्क जरूर लगाएं।

याद रखें
इस मौसम में स्वाइन फ्लू की वैक्सीन जरूर लगवा लें। इस वैक्सीन के साथ एक बात याद रखनी है कि इसका असर एक साल रहता है। 

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क्या कहता है आयुर्वेद

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आयुर्वेद के हिसाब से स्वाइन फ्लू से बचे रहने के लिए जरूरी है कि ठंडी और खट्टी चीजों से दूर रहें। ऐसे मौसम में गुनगुना पानी पीते रहने से भी लाभ होता है। ये दोनों काम ऐसे हैं, जिन्हें इस मौसम में हर किसी को करते रहना चाहिए। इससे हर स्थिति में बचाव होता है। यह भी याद रखें कि अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ मानसिक तौर पर खुद को मजबूत करें। इसके लिए योग आदि की भी सहायता ले 
सकते हैं।

इन बातों पर भी ध्यान दें

स्वाइन फ्लू के मरीज से मिलने जाएं, तो अपने साथ कर्पूर जरूर रखें। साफ रुमाल में थोड़ा सा कर्पूर रख लें और थोड़ी-थोड़ी देर में इसे सूंघते रहें। इस तरह से वायरस नहीं असर करेगा।

सुदर्शन घनवटी नाम की दवा भी कमाल करेगी। इसकी दो-दो गोलियां पांच दिनों तक लें, काफी लाभ होगा।

गिलोय की गोलियां भी ले सकते हैं, जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त करेंगी।

लक्ष्मी विलास रस, संशमनी वटी, त्रिभुवन कीर्ति की गोलियां 5 से 7 दिन तक दिन में तीन-तीन बार गुनगुने पानी से लें, तो भी आप खुद को स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रख सकते हैं।

दूध में हल्दी डाल कर नियमित रूप से रात में पिएं।

तुलसी, अदरक, काली मिर्च का काढ़ा या चाय पिएं।

फ्लू के मरीज से मिलने के बाद अपने हाथ और मुंह अच्छे से धोएं।

कपड़े आरामदेह पहनें। बेहतर रहेगा, अगर कॉटन के कपड़े पहनें।

नमी वाली जगह पर ज्यादा ना रहें।

घर के आस-पास नीम की पत्तियों को जलाएं। इसका धुआं ऐसे वायरस से बचाव करता है।

(दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष फिजिशियन डॉ. अनिल बंसल व सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज के वरिष्ठ शोध अधिकारी डॉ. अनिल मंगल से की गई बातचीत पर आधारित)

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