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गुस्से में बढ़ जाती है काम की क्षमता : अध्ययन

यह तो सुना था कि कोई हसीना जब रूठ जाती है तो और उसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। खूबसूरती का तो पता नहीं, मगर एक शोध में दावा किया गया है कि खराब मूड में हमारी काम करने क्षमता बढ़ जाती है। यह अध्ययन...

गुस्से में बढ़ जाती है काम की क्षमता : अध्ययन
एजेंसी,टोरंटो Sat, 21 Jul 2018 12:15 PM
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यह तो सुना था कि कोई हसीना जब रूठ जाती है तो और उसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। खूबसूरती का तो पता नहीं, मगर एक शोध में दावा किया गया है कि खराब मूड में हमारी काम करने क्षमता बढ़ जाती है। यह अध्ययन कनाडा की यूनीवर्सिटी ऑफ वॉटरलू में किया गया।

इसमें विशेषज्ञों ने दावा किया है कि खुशी के मूड में हम अपने काम की प्राथमिकता तय नहीं कर पाते हैं और उसे मैनेज करने के लिए संघर्ष करत रहते हैं। प्रमुख शोधकर्ता और साइकोलॉजी के प्रोफेसर तारा मैकऑले, और यूनीवर्सिटी में पीएचडी छात्र मार्टिन एस.गैबल का कहना है कि काम के लिहाज से देखा जाए तो मूड खराब होना अच्छा होता है। इससे लोगों को ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। वह बेहतर तरीके से अपने समय का प्रबंधन कर पाते हैं। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अच्छे मूड में मन ज्यादा भटकता है और यह काम में बाधक बनता है। 

हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बात एक्ट्रोवर्ट लोगों के लिए सही हो सकती है। इंट्रोवर्ट या अंतर्मुखी लोगों पर यह फार्मुला फिट नहीं बैठता है। ऐसे लोग मूड खराब होने पर और भी संवेदनशील हो जाते हैं। शोध के दौरान विशेषज्ञों ने 95 लोगों के आंकड़ों का अध्ययप किया। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की भावनात्मक सहनशक्ति को ध्यान में रखा। इसके आधार पर उन्होंने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा।

उन्होंने देखा कि भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील लोगों की काम के प्रति दृढ़ता अलग-अलग तरह की थी। एक्ट्रोवर्ट लोग जहां ज्यादा जुझ कर काम करते रहे, वहीं अंतर्मुखी लोगों की स्थिति ज्यादा खराब दर्ज की गई।

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