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पेट की अतिरिक्त चर्बी दिमाग को पहुंचा सकती है नुकसान

डॉक्टरों का कहना है कि पेट की अतिरिक्त चर्बी आपके दिमाग में ग्रे मैटर की मात्रा को कम कर सकती है और अतिरिक्त वजन दिमाग के कई क्षेत्रों में सिकुड़न से जुड़ा होता है। इसके साथ ही मोटापे के रोगियों में...

पेट की अतिरिक्त चर्बी दिमाग को पहुंचा सकती है नुकसान
एजेंसी,नई दिल्लीSun, 13 Jan 2019 10:49 PM
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डॉक्टरों का कहना है कि पेट की अतिरिक्त चर्बी आपके दिमाग में ग्रे मैटर की मात्रा को कम कर सकती है और अतिरिक्त वजन दिमाग के कई क्षेत्रों में सिकुड़न से जुड़ा होता है। इसके साथ ही मोटापे के रोगियों में हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और डिस्लिपिडेमिया का भी खतरा बढ़ जाता है।

हार्टकेयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ के.के अग्रवाल ने कहा कि सामान्य वजन का मोटापा हमारे देश में एक नई महामारी है। इसका एक प्रमुख कारण आज की जीवनशैली है। ऑन-द-गो और तेज-रफ्तार जीवन का मतलब है कि लोग नाश्ते को छोड़ देते हैं और बाकी पूरा दिन अस्वास्थ्यकर, क्विक फिक्स रिफाइंड कार्ब्स वाला भोजन खाते हैं। पेट के चारों ओर एक इंच अतिरिक्त वसा हृदय रोग की संभावना को 1.5 गुना बढ़ा सकती है।

उन्होंने कहा कि पुरुषों में 9० सेमी और महिलाओं में 8० सेंटीमीटर से अधिक का उदर रोग एक संकेत है कि व्यक्ति भविष्य में दिल के दौरे की चपेट में आ सकता है। पुरुषों में 2० वर्ष की आयु के बाद और महिलाओं में 18 वर्ष की आयु के बाद पांच किलोग्राम से अधिक वजन नहीं बढ़ना चाहिए। 5० वर्ष की आयु के बाद किसी के वजन की निगरानी करना और उसे उचित रूप से कम करना भी अनिवार्य है।

एक बार जब किसी व्यक्ति का कद बढ़ना बंद हो जाता है, तो उसके अंगों का बढ़ना बंद हो जाता है और केवल मांसपेशियां ही एक हद तक निर्माण कर पाती हैं। वसा का जमाव एकमात्र कारण है जो उस चरण के बाद शरीर के वजन को बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि जो लोग मोटे हैं, उन्हें परिष्कृत काबोर्हाइड्रेट के सेवन को सीमित करने का लक्ष्य रखना चाहिए क्योंकि वे रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाते हैं। इंसुलिन प्रतिरोध वाले लोगों में, इस वृद्धि से आगे वजन बढ़ सकता है। इसके अलावा, हर दिन लगभग 3० से 45 मिनट शारीरिक गतिविधि करने का लक्ष्य रखें, सप्ताह में पांच बार।

कहा कि हर दिन व्यायाम करें और स्वस्थ आहार का सेवन करें, सभी सात रंगों और छह स्वादों का मिश्रण भोजन मंे शामिल करें। किसी भी रूप में रिफाइंड चीनी का सेवन न करें, क्योंकि यह रक्त प्रवाह में अधिक आसानी से अवशोषित हो सकती है और आगे की जटिलताओं का कारण बन सकती है। ध्यान और योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव को कम करें। 

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