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शहर में रहने वालों से आठ गुना ज्यादा खुशहाल ग्रामीण

शहर में रहने वालों के पास सुख-सुविधाओं का अंबार हो सकता है, मगर वह खुशहाल नहीं हैं। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। कनाडा के मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल यूनिवर्सिटी और वैंकूवर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के...

शहर में रहने वालों से आठ गुना ज्यादा खुशहाल ग्रामीण
एजेंसी,टोरंटो Mon, 21 May 2018 04:09 PM
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शहर में रहने वालों के पास सुख-सुविधाओं का अंबार हो सकता है, मगर वह खुशहाल नहीं हैं। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। कनाडा के मॉन्ट्रियल स्थित
मैकगिल यूनिवर्सिटी और वैंकूवर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। 

इसके लिए कनाडा के विभिन्नि क्षेत्रों में रहने वाले तकरीबन 4 लाख लोगों पर सर्वे किया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि शहर में रहने वालों के पास ऊंची सैलरी और शिक्षा हो सकती है। शहरों में बेरोजगारी दर भी कम हो सकती है, मगर वह ग्रामीण या छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के मुकाबले आठ गुना कम खुश रहते हैं।

हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि इन बातों से ग्रामीण या छोटे शहरों में रहने वाले लोगों की खुशियां प्रभावित नहीं होती हैं। शोधकर्ताओं ने खुशहाली जांचने के लिए लोगों से अपने जीवन में संतुष्टि की दर 10 के स्केल पर बताने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने इसमें कुछ और सवाल भी जोड़ दिए। उन्होंने देखा कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मुकाबले शहरों में रहने वाले लोग 800 प्रतिशत कम खुशहाल थे। 

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसकी कई वजहें हो सकती है, मगर सबसे अहम वजह लोगों में मजबूत सामाजिक आधार न होना है। पूर्व में हुए अध्ययनों में कहा गया है कि शहर में रहने वाले लोगों का अपने परिवार और मित्रों से ज्यादा संपर्क नहीं रहता है। इस हफ्ते हुए इस शोध से पता चलता है कि सामाजिक अलगाव से दिमाग में बदलाव होने लगते हैं। दिमाग में एक ऐसे केमिकल का स्राव होने लगता है, जो डर और आक्रामकता को बढ़ावा देता है।

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