मकर और कुंभ में शनि की चल रही है साढ़ेसाती, जानें कैसे करें इसे प्रसन्न
न्यायप्रिय शनि ग्रह 24 जनवरी 2020 से अपनी राशि मकर में हैं। इस ज्योतिषीय घटना के कारण धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, जबकि मिथुन और तुला राशि पर ढैया का प्रभाव है। शनि एक राशि में...
न्यायप्रिय शनि ग्रह 24 जनवरी 2020 से अपनी राशि मकर में हैं। इस ज्योतिषीय घटना के कारण धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, जबकि मिथुन और तुला राशि पर ढैया का प्रभाव है। शनि एक राशि में 30 माह रहते हैं, उसमें 6 माह ही फल देते हैं। शनि न्याय के देवता माने जाते हैं। वह व्यक्ति के कर्म के अनुरूप फल देते हैं। अच्छा कर्म करने वाले को साढ़े साती या ढैया में भी फल अच्छा ही मिलता है। इन उपायों को करके शनि के कुप्रभाव से बचा जा सकता है।
शनि को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है। जिस घर में माता, पिता व वृद्ध का सम्मान होता है, उस घर से शनि बहुत प्रसन्न होते हैं। शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्धजनों की सेवा सर्वोपरि है। शनि को दरिद्रनारायण भी कहते हैं, इसलिए दरिद्र की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को शनि मंदिर में बैठकर ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं शनैश्चराय नम:' का जाप करना चाहिए। शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान शंकर एवं हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। शनि का रत्न नीलम भी धारण किया जा सकता है, किन्तु इसके लिए अच्छे ज्योतिष से सलाह लें। शनिवार को हनुमान जी, शनि मंदिर एवं पीपल के पेड़ के निकट संध्या के समय सरसों तेल का दीपक जलाना अत्यंत लाभकारी होता है। झूठ, कपट, मक्कारी एवं धोखा देने से बचें, रहने के स्थान पर अंधेरा एवं सूनापन न होने दें। 16 शनिवार सूर्यास्त्र के समय पानी वाला एक नारियल, 5 बादाम, कुछ दक्षिणा शनि मंदिर में चढ़ाएं।
प्रति माह की अमावस्या आने से पूर्व अपने घर व व्यापार स्थल की सफाई, धुलाई अवश्य करें और वहां सरसों तेल का दीपक जलाएं। प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर सरसों तेल मलें। मांस, मछली, शराब तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें। घर की महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नेह बरतें, क्योंकि जिस घर में गृहलक्ष्मी रोती है, उस घर से सुख-शांति व समृद्धि रूठ जाती है। महिला जातक के माध्यम से शनि प्रधान व्यक्ति का भाग्य उदय होता है। गुड़ व चने से बनी वस्तु हनुमान जी को भोग लगाकर अधिक से अधिक लोगों को बांटना चाहिए। शनि मृत्युंजय स्तोत्र, दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 40 दिन तक नियमित पाठ करें।