रूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज में कारगर हो सकता है बिच्छू का जहर
एक शोध में पता चला है कि बिच्छू के जहर से बनी दवा से रूमेटॉयड आर्थराइटिस के मरीजों को राहत मिल सकती है। टेक्सास स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुए शोध में कहा गया है कि बिच्छू के जहर में मौजूद तत्व...
एक शोध में पता चला है कि बिच्छू के जहर से बनी दवा से रूमेटॉयड आर्थराइटिस के मरीजों को राहत मिल सकती है। टेक्सास स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुए शोध में कहा गया है कि बिच्छू के जहर में मौजूद तत्व रूमेटॉयड आर्थराइटिस तीव्रता को कम कर सकता है।
जानवरों पर हुए अध्ययन में विशेषज्ञों ने देखा कि बिच्छू के जहर में मौजूद सैकड़ों तत्वों में से एक तत्व ब्यूथस टेम्यूलस आर्थराइटिस के मरीजों के इलाज में कारगर हो सकता है। रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधी बीमारी है जिसमें अपना प्रतिरक्षा तंत्र खुद के शरीर पर ही हमला करने लगता है। इससे मरीज के जोड़ बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर क्रिस्टीन बीटन ने बताया कि फाइब्रोब्लास्ट लाइक साइनोवियोसाइट्स (एफएलएस) कोशिकाएं इस बीमारी में अहम रोल अदा करती हैं। यह एक जोड़ से दूसरे जो में घूमती हैं और विकसित होती हैं। इस क्रम में वे कुछ खास तरह के उत्पाद का स्राव करती हैं, जो जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को आकर्षित करते हैं जिससे जलन व सूजन होती है।
जैसे-जैसे जोड़ों में नुकसान बढ़ता है, उनमें सूजन बढ़ती जाती है और उन्हें हिलाना संभव नहीं रह जाता है। वर्तमान में मौजूद इलाज इस बीमारी के लिए जिम्मेदार प्रतिरक्षा कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं। इनमें से कोई भी एफएलएस का इलाज नहीं करता है। बीटन ने कहा कि बिच्छू के जहर में मौजूद ब्यूथस टेम्यूलस तत्व एफएचएस पर हमला करता है। यह शोध जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी एंड एक्सपेरिमेंटल थेरेप्टिक्स में प्रकाशित हो चुका है।
राहत
बिच्छू के जहर में मौजूद तत्व ब्यूथस टेम्यूलस रूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज में हो सकता है कारगर
एफएलएस कोशिकाएं इस बीमारी में अहम रोल अदा करती हैं, ब्यूथस टेम्यूलस इसपर करता है हमला