नई खोज: कान खराब हैं तो मशीन की जरूरत नहीं, ये 'दवाई' करेगी इलाज!
मौजूदा समय में सुनने की समस्या का एक ही इलाज है और वो ये कि आप हीयरिंग एड यानि सुनने वाली मशीन कान में लगा लें। लेकिन कई लोगों के लिए हीयरिंग एड मुसीबत बन जाती है क्योंकि उन्हें कान में परेशानी होने...
मौजूदा समय में सुनने की समस्या का एक ही इलाज है और वो ये कि आप हीयरिंग एड यानि सुनने वाली मशीन कान में लगा लें। लेकिन कई लोगों के लिए हीयरिंग एड मुसीबत बन जाती है क्योंकि उन्हें कान में परेशानी होने लगती है। वहीं कुछ लोगों को लगता है कि मशीन लगाने से लोग उन्हें बूढ़ा समझने लगते हैं। इन सब बातों के देखते हु्ए वैज्ञानिक अब एक ऐसी दवाई बनाने जा रहे हैं जो लोगों की सुनने की परेशानी ठीक कर देगी।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने दो बड़े शोध किए हैं जिसके जरिए ऐसी दवाई तैयार की जा रही है जिससे सुनने की हर तरह की परेशानी ठीक हो जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि ये दवाई ब्रिटेन में लगभग नौ लाख लोगों को फायदा पहुंचाएगी।
ऐसे काम करेगी ये दवाई
लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के ईयर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय ट्रायल में हिस्सा ले रहे हैं जहां 'गामा-सेक्रेटेस' नाम के की एक दवाई को सुनने की परेशानी से ग्रस्त 24 मरीजों पर आजमाया जाएगा। इस ट्रायल में शामिल मरीजों को लगभग 10 सालों से सुनने की दिकक्त है और वो सभी हीयरिंग एड का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खास तरह की दवाई को कान में इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है, जिससे कान की भीतर मौजूद नए 'हेयर सेल' (कोशिकाओं) उगा देते हैं।
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कान का सबसे जरूरी हिस्सा हैं 'हेयर सेल'
आपको बता दें कि जब कान में ध्वनि घुसती है तो वो सबसे पहले संवेदक कोशिकाओं द्वारा प्राप्त होती है। ये कोशिकाएं देखने में छोटे बालों जैसी होती हैं इसलिए इसे 'हेयर सेल' कहा जाता है। बता दें कि ये सेल ध्वनि तरंगों को इलेक्ट्रिक सिगनल में बदकर नसों के जरिए ब्रेन को पहुंचाने का काम करते हैं। यानि आवाज को पहचानने के लिए ये सेल सबसे जरूरी हैं। अगर किसी को तेज आवाज, इंफेक्शन या उम्र के कारण सुनने की परेशानी होती है तो ऐसे में उसके यही हेयर सेल खराब हो जाते हैं या टूट जाते हैं।
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2013 में वैज्ञानिकों ने शोध में पाया था कि गामा-सेक्रेटेस ड्रग को कान में मौजूद प्रोगेनिटर सेल में इंजेक्ट किया जाए तो वो नए हेयर सेल उगाता है। हालांकि 'नॉच' नाम का प्रोटीन इस प्रक्रिया को होने से रोकता है। लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया ये नया ड्रग इस प्रोटीन के अवरोध का खत्म कर देता है।
फिलहाल इस ड्रग के जरिए लोगों को ठीक करने वाले इस ट्रीटमेंट को 'FX-322' नाम दिया गया है। इसे पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में कुछ मरीजों पर आजमाया जा चुका है। इस ट्रीटमेंट का किसी भी मरीज पर साइड इफेक्ट नहीं हुआ था।