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समय पूर्व प्रसव की चेतावनी देगा मशीन लर्निंग टेस्ट, शोधकर्ताओं ने विकसित किया ऐसा उपकरण

समय पूर्व प्रसव दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण है। समय पूर्व प्रसव में गर्भवती महिलाओं की जान पर भी खतरा बना रहता है। अब इस परेशानी से निजात पाने के लिए...

समय पूर्व प्रसव की चेतावनी देगा मशीन लर्निंग टेस्ट, शोधकर्ताओं ने विकसित किया ऐसा उपकरण
एजेंसी,लंदनMon, 03 Aug 2020 07:54 PM
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समय पूर्व प्रसव दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण है। समय पूर्व प्रसव में गर्भवती महिलाओं की जान पर भी खतरा बना रहता है। अब इस परेशानी से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मशीन लर्निंग आधारित टेस्ट विकसित किया है जो समय पूर्व प्रसव के बारे में पहले ही चेतावनी दे देगा। यह टेस्ट 73 फीसदी सटीकता के साथ 75 फीसदी ऐसी गर्भवती महिलाओं में समय पूर्व जोखिम को बता सकता है जिनमें पहले से कोई संकेत या जटिलताएं मौजूद नहीं होती। 

रसायनिक वाष्पों की करता है पहचान-
यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो उन रसायनिक वाष्पों की पहचान करता है जो समय पूर्व प्रसव से जुड़े होते हैं। गर्भवती महिलाओं की योनि से लिए गए नमूनों से यह जांच आसानी से की जाती है। शोधकर्ताओं ने 216 बिना लक्षण वाली महिलाओं के स्वाब की जांच करने के बाद 73 फीसदी मामलों में समय पूर्व प्रसव की सटीक जानकारी दी। यह शोध पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है। 

सस्ता और आसान है तरीका-
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तकनीक की मदद से गर्भवती को जांच आसान और सस्ते तरीके से की जा सकती है। इस टेस्ट की मदद से उन गर्भवती महिलाओं को समय से समुचित इलाज मिल सकता है जिनमें समय पूर्व प्रसव का जोखिम है। इससे मां और बच्चे दोनों से खतरा कम हो सकता है। इस तकनीक में उन वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड की समीक्षा की जाती है जो बैक्टीरियल वैगनिनोसिस की समस्या को पैदा करते हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने उन महिलाओं की योनि का नमूना लिया जिनमें समय पूर्व प्रसव का इतिहास था या जिनमें अन्य गर्भावस्था संबंधित जटिलताएं थीं। 

तीसरी तिमाही में सबसे सटीक आए परिणाम-
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में टेस्ट 66 फीसदी मामलों में सटीक पाया गया। वहीं, तीसरी तिमाही में 73 फीसदी मामलों में सटीक परिणाम पाया गया। टेस्ट में नेगेटिव परिणाम वाली 10 में से नौ महिलाओं ने पूरे 37 हफ्तों के बाद बच्चों को जन्म दिया। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर लाउरेन लेसी ने कहा, नए टेस्ट की मदद से जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं के बेहतर देखभाल की जा सकेगी और उनके बच्चों को भी बेहतर देखभाल मिलेगी।

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