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रेड मीट कम करें, दिल बोलेगा थैंक्यू

अगर आप रेड मीट खाने के शौकीन हैं तो जरा संभल जाएं। यह आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। दिल को सेहतमंद रखना है तो रेड मीट से हाथ खींचना पड़ेगा। अमेरिका के एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि रेड...

Aparajitaएजेंसी,वाशिंगटन Wed, 12 Dec 2018 06:04 PM

10 गुना तक बढ़ सकता है दिल के रोगों का खतरा

10 गुना तक बढ़ सकता है दिल के रोगों का खतरा1 / 5

अगर आप रेड मीट खाने के शौकीन हैं तो जरा संभल जाएं। यह आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। दिल को सेहतमंद रखना है तो रेड मीट से हाथ खींचना पड़ेगा। अमेरिका के एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि रेड मीट 10 गुना तक दिल के रोगों के खतरे को बढ़ा सकता है।

एक दिन में रेड मीट का एक बर्गर खाने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि रोजाना रेड मीट खाने से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि रेड मीट खाने से पाचन के दौरान आंत में एक कार्बनिक यौगिक, जिसे टीएमएओ (ट्राइमेथिलामाइन एन-ऑक्साइड) कहा जाता है, का उत्पादन होता है। यह हृदयाघात और दिल के दौरे से समयपूर्व मौत के खतरे को बढ़ाने के उच्च स्तर के साथ जुड़ा हुआ है।

पहली बार इस तरह का अध्ययन हुआ है, जिसमें यह पता चला है कि केवल एक महीने तक रेड मीट का आहार लेने वाले प्रतिभागियों में औसतन तीन गुना तक यह खतरा बढ़ा हुआ पाया गया। वहीं, कुछ मामलों में चिकन खाने वाले या शाकाहारी भोजन लेने वाले लोगों की तुलना में यह दस गुना तक बढ़ गया। क्लीवलैंड क्लीनिक सेंटर फॉर माइक्रोबियम एंड ह्यूमन हेल्थ’ के निदेशक डॉ. स्टेनली हजेन ने कहा, ‘हम जानते हैं कि कार्डियोवैस्कुलर (दिल संबंधी बीमारी) के लिए लाइफस्टाइल कारक महत्वपूर्ण हैं और इन निष्कर्षों से हृदय रोग के साथ कार्बनिक यौगिक टीएमएओ के संबंध को हमारे शोध में और बेहतर तरीके से बताया गया है।

टीएमएओ के स्तर को कम करने और दिल की बीमारी के बाद के जोखिम को घटाने में आहार का बदलाव प्रभावी उपचार के रूप में सामने आया है। अध्ययन में इस बारे में पुख्ता सबूत भी दिए गए हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है, जब आंत में मौजूद बैक्टीरिया कोलाइन, लेसितिण और कार्निटाइन जैसे पशु उत्पादों खासतौर पर रेड में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को पचा लेता है। 

खून के नमूने लेकर किया अध्ययन

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‘यूरोपीय हार्ट जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि शोध के नतीजे 113 लोगों से लिए गए खून और मूत्र के नमूने पर आधारित था। इसमें लोगों के खानपान के खानपान के आधार पर तीन अलग-अलग समूहों में बांटा गया। रेड मीट, व्हाइट मीट या सब्जियां खाने वाले लोगों को अलग रखा गया। अध्ययन में रेड मीट खाने वाले लोगों के आहार को रोक दिया गया तो चौंकाने वाला बदलाव देखने को मिला। एक महीने बाद ही नतीजे बदल गए। टीएमएओ का स्तर कम हो गया, मतलब दिल के रोगों का खतरा टल गया। अमेरिका के शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि आहार की पसंद को बदलने से कार्बनिक यौगिकों का उत्पादन तुरंत बदल गया। 

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धमनियों के सख्त होने का खतरा

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डॉ. स्टेनली हजेन ने कहा कि रेड मीट टीएमएओ के स्तर को बढ़ाता है, जो धमनी के सख्त होने के खतरे से जुड़ा हुआ है। इससे दिल के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. हजेन ने इसके अध्ययन में कॉर्डियोवैस्कुलर रोगों के जोखिम को मापने के लिए टीएमएओ का परीक्षण किया था। इस बीच जर्नल ऑफ क्लीनिकल इनवेस्टिगेशन में प्रकाशित एक अध्ययन में भी यह बताया जा चुका है कि कार्डियोवैस्कुलर रोगों को आंत में माइक्रोबियल मार्ग को लक्षित करके रोका जा सकता है, जो कार्निटाइन को टीएमएओ में परिवर्तित करता है। 

धमनियों के सख्त होने का खतरा

उपचार के लिए और अध्ययन की जरूरत

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कार्निटाइन का उपयोग एनर्जी ड्रिंक में पूरक आहार के रूप में किया जाता है। डॉ. हजेन और उनके सहयोगियों ने शाकाहारियों के साथ मांस खाने वालों पर कार्निटाइन गोलियों के प्रभाव का अध्ययन किया। शुरुआत में कार्निटाइन से टीएमएओ का उत्पादन बहुत तेजी से कम हुआ, लेकिन बाद में थोड़ा हो गया। एक महीने तक ये गोलियां देने के बाद टीएमएओ का उत्पादन करने की क्षमता में वृद्धि देखी गई। डॉ. हजेन ने कहा, ‘टीएमएओ को रोकने के लिए और नए अध्ययनों पर शोध की जरूरत है, ताकि दिल के रोगों के खतरे को कम करने में मदद मिले।’ 

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आंत के कैंसर का खतरा 

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भेड़, सूअर, भैंस का मांस रेड मीट की श्रेणी में रखा जाता है। यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन इसका ज्यादा सेवन बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। अगर इसे संतुलित मात्रा में लिया जाए, तभी ठीक है। बहुत सारे रेड मीट और संसाधित मांस (प्रॉसेस्ड मीट) खाने से आंत के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि रेड और प्रॉसेस्ड मीट 90 ग्राम (पकने के बाद का वजन) से अधिक खाते हैं तो यह खतरा रहता है।

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