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जानिए क्या है प्री-डायबिटीज, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

डायबिटीज (मधुमेह) के खतरे सब जानते हैं, लेकिन प्री-डायबिटीज के बारे में जान लेना जरूरी है क्योंकि जो लोग इस बीमारी के बिल्कुल करीब है उनके पास इससे बचने का एक मौका है। प्री-डायबिटीज वह स्थिति है, जब...

जानिए क्या है प्री-डायबिटीज, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय
myUpchar ,नई दिल्लीTue, 19 Nov 2019 04:33 PM
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डायबिटीज (मधुमेह) के खतरे सब जानते हैं, लेकिन प्री-डायबिटीज के बारे में जान लेना जरूरी है क्योंकि जो लोग इस बीमारी के बिल्कुल करीब है उनके पास इससे बचने का एक मौका है। प्री-डायबिटीज वह स्थिति है, जब खून में शुगर लेवल खतरे के निशान से ठीक करीब होता है। डॉक्टर कहते हैं कि यदि किसी मरीज में प्री-डायबिटीज का समय रहते पता चल जाए और इलाज कर दिया जाए तो डायबिटीज और इसके जानलेवा खतरों से बचा जा सकता है। प्री-डायबिटीज को बॉर्डरलाइन डायबिटीज भी कहा जाता है। आईडीएफ डायबिटीज एटलस के मुताबिक भारत 7.29 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। 8 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज स्टेज में हैं और अफसोस की बात है कि महज 10 फीसदी को अपनी इस स्थिति की जानकारी है।

अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, 86 मिलियन अमेरिकी प्री-डायबिटीज का शिकार हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 90 फीसदी लोगों को नहीं पता होता कि वे  प्री-डायबिटीज का शिकार हो चुके हैं। प्री-डायबिटीज के चार में से तीन मरीज आखिकार डायबिटीज का शिकार हो ही जाते हैं। 

बॉर्डरलाइन डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा पैदा होता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, प्री-डायबिटीज वाले 10 से 23 प्रतिशत लोग 5 वर्षों के भीतर टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं।

प्री-डायबिटीज के स्पष्ट लक्षण नहीं
प्री-डायबिटीज के स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं। यह कारण है कि अधिकांश लोगों को इसका पता भी नहीं चलता है। इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड शुगर और ब्लडप्रेशर की जांच करता है। वैसे इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं - बार-बार पेशाब आना और प्यास बढ़ना। 

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अनुसार, प्री-डायबिटीज का खतरा बढ़ाने वाले फैक्टर्स में शामिल हैं- 

- मोटापा, विशेष रूप से पेट का मोटापा
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई ब्लड फेट या ट्राइग्लिसराइड्स
- पर्याप्त व्यायाम नहीं करना
- टाइप 2 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास होना
- तनाव का बढ़ा हुआ स्तर
- धूम्रपान या बहुत अधिक शराब पीना
- नियमित रूप से हाई-शुगर ड्रिंक्स का सेवन 


ऐसे लगाया जाता है प्री-डायबिटीज का पता
डॉक्टर आमतौर पर ब्लड टेस्ट से प्री-डायबिटीज का पता लगाते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है जो पता लगाता है कि शरीर 2 घंटे की अवधि में कितनी मात्रा में रक्त में शुगर को प्रोसेस कर सकता है। डॉक्टर ए1सी टेस्ट का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें 2-3 महीनों में औसत ब्लड शुगर के स्तर को मापना शामिल है। प्री-डायबिटीज के लिए मापदंड - 

- फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 100-125 मिलीग्राम प्रति डेसिलीटर (मिलीग्राम/डीएल) होना चाहिए।
- ग्लूकोज टॉलरेंस का स्तर 140-199 मिलीग्राम/डीएल
- ए1सी टेस्ट परिणाम 5.–6.4 प्रतिशत होना चाहिए।

प्री-डायबिटीज टेस्ट किन्हें करवाना चाहिए
- 45 वर्ष या उससे अधिक की आयु वालों को
- मोटापा या अधिक वजन, या 25 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) होने पर
- कमर की चौड़ाई पुरुषों में 40 इंच या महिलाओं में 35 इंच से अधिक होने पर
- परिवार में किसी को डायबिटीज है या पहले थी
- इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ाने वाली स्थिति जैसेे- पीसीओएस, एसेंथोसिस नाइग्रीकन्स, और नॉनअलॉजिकिक स्टीटोहेपेटाइटिस
- गर्भावस्था के परिणामस्वरूप गर्भकालीन डायबिटीज
- 9 पाउंड से अधिक वजन के एक शिशु को जन्म देने पर
- हाल ही में ग्लूकोकार्टिकोआड्स या एटिपिकल एंटीसाइकोटिक दवाओं से इलाज होना।

 
प्री-डायबिटीज का इलाज
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, ‘डायबिटीज का पुख्ता इलाज है नियमित व्यायाम और अनुशासित जीवन शैली।’ वहीं प्री-डायबिटीज को लेकर अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन का कहना है कि आहार और पोषण परिवर्तन के साथ ही निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

- फल और सब्जी का सेवन बढ़ाएं
- संतृप्त वसा और प्रसंस्कृत मांस का सेवन कम करें
- प्री-डायबिटीज से बचना है तो एक्टिव रहें। अपनी दैनिक कैलोरी और फैट पर कंट्रोल रखें। समय-समय पर जांच करवाते रहें

अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। 

स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं।

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