फोटो गैलरी

Hindi Newsब्लड सर्कुलेशन से बचाई जा सकेगी स्ट्रोक के मरीजों की जान

ब्लड सर्कुलेशन से बचाई जा सकेगी स्ट्रोक के मरीजों की जान

अब पहले के मुकाबले डॉक्टर ज्यादा स्ट्रोक मरीजों की जान बचा सकते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर डॉक्टर स्ट्रोक मरीजों के दिमाग में हो रहे ब्लड सर्कुलेशन से उन खून के...

ब्लड सर्कुलेशन से बचाई जा सकेगी स्ट्रोक के मरीजों की जान
लाइव हिन्दुस्तान, वॉशिंगटनSat, 27 Jan 2018 01:27 PM
ऐप पर पढ़ें

अब पहले के मुकाबले डॉक्टर ज्यादा स्ट्रोक मरीजों की जान बचा सकते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर डॉक्टर स्ट्रोक मरीजों के दिमाग में हो रहे ब्लड सर्कुलेशन से उन खून के थक्कों को हटा दें जो सर्कुलेशन को बाधित कर रहे हैं तो फिर अधिक मरीजों को बचाया जा सकता है। 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के निदेशक डॉ. वॉल्टर जे कोरोशेट्ज ने अध्ययन पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि अगर स्ट्रोक मरीजों की जान या फिर उन्हें जिंदगीभर दिव्यांग होने से बचाना है, तो फिर अध्ययन के परिणामों को अपनाना होगा। 

अध्ययन में जो मुख्य रूप से सामने आया है वह यह है कि स्ट्रोक मरीजों का इलाज करने के दौरान डॉक्टरों को इस बात में ज्यादा समय लगता है कि थक्कों को हटाने के लिए दिमाग की किन कोशिकाओं को हटाया जाए।

बता दें कि पारंपरिक दिशानिर्देशों में बताया गया है कि स्ट्रोक मरीजों की छह घंटे के भीतर मदद की जाती है तो फिर वे सही हो सकते हैं। हालांकि, अब नए अध्ययन में यह समय सीमा 16 घंटे तय की गई है। हालांकि, सभी स्ट्रोक मरीजों पर यह लागू हो, यह सही नहीं है।

अध्ययनकर्ताओं ने इस स्टडी को करने के लिए अमेरिका के 38 अस्पतालों से 182 मरीजों को शामिल किया है। इसमें 45 फीसदी मरीज पूरी तरह से सही हो गए। इसके अलावा 14 फीसदी मृत्यु दर रही और 26 फीसदी ऐसे मरीज रहे, जिनके खून के थक्के हटाए नहीं गए।  

यह स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन में प्रकाशित हुई है। इसपर स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस स्टडी के परिणामों के बाद अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन स्ट्रोक ट्रीटमेंट की गाइडलाइंस को बदल सकता है। 

अमेरिका में स्ट्रोक मरीजों की संख्या 

हर साल अमेरिका में 7,50,000 लोग स्ट्रोक से सामना करते हैं। इसके अलावा इसमें 85 फीसदी ऐसे होते हैं, जो क्लॉट्स की वजह से स्ट्रोक का सामना करते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाथों में कमजोरी, बोलने में दिक्कत आदि जैसे स्ट्रोक के लक्षण हैं।  

ये भी पढ़ें: सावधान! महिला को आई इतनी तेज खांसी कि टूट गई पसली

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें