लेफ्टी लोगों के मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट के लिए चाहिए अलग नजरिया : रिसर्च
एक ताजा अध्ययन में सामने आया है जो लेफ्टी होते हैं उनकी मानसिक समस्या का इलाज करने में बेहद सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। दिमाग की भावनाओं का अध्ययन करने वाला एक मॉडल तैयार करने वाले...
एक ताजा अध्ययन में सामने आया है जो लेफ्टी होते हैं उनकी मानसिक समस्या का इलाज करने में बेहद सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। दिमाग की भावनाओं का अध्ययन करने वाला एक मॉडल तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि लेफ्टी लोगों की आम मानिसिक बीमारियों का इलाज करना तब और प्रभावी हो सकता है जब यह बात ध्यान रखी जाए कि मरीज लेफ्टी है। इस ताजा अध्ययन में कहा गया है कि 1970 के बाद जितने भी अध्ययन हुए हैं उनमें पाया गया है कि दिमाग का हर हिस्सा किसी खास भावना का घर होता।
भावनाओं का संबंध नजरिया से होता और यही भावनाएं भी इंसान को दुनिया से जोड़ती हैं। उदाहरण के तौर पर खुशी, गर्व और गुस्सा ये सभी भावनाएं दिमाग के बाईं ओर होती हैं। जबकि दिमाग के दाहिने हिस्से में कुछ भावनाएं जैसे घृणा और भय मौजूद होती हैं। हालांकि ऐसे दावा करने वाले तमाम शोध राइट हैंड लोगों पर किए गए हैं। अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डेनियल केसासेंटो के अनुसार, सभी शोधों में यही सामने आया है कि भावनाएं दिमाग में काम करती हैं।
उनका माना है कि लॉगस्टैंडिंग मौडल में एकतथ्य पाया कि लेफ्ट हैंड लोगों में भावनाएं राइट हैंड लोगों के मुकाबले दिमाग की विपरीत दिशा में होती हैं। जैसे कि सतर्कता और इच्छाएं दिमाग के दाहिनी ओर और घृणा व गुस्सा की भावनाएं बाई ओर मौजूद रहती हैं। रिसर्च के अनुसार के इंसान की भावनाओं की स्थिति और उसका न्यूरो सिस्टम इस बात पर निर्भर करता है कि आदमी लेफ्टी है या राइट हैंड वाला।
नई थ्योरी में लेफ्टी या राइट हैंड होने की पहचान-
स्वार्ड एंड शील्ड हाइपोथेसिस (sword and shield hypothesis) नाम की नई थ्योरी में हमारे हाथों से किए जाने वाले कार्य और भावनाओं के संबंध का अध्ययन किया गया। इस थ्योरी में पता लगाया कि हम किस हाथ में तलवार लेकर एक्शन करते हैं और दिमाग के किस हिस्से में क्या प्रतिक्रिया होती है। दिमाग के भावनाओं के आधार पर भी तलवारबाजी करने वाला शख्स अपने अक्रामक हाथ में तलवार लेता है और कम अक्रामक हाथ में ढाल लेकर दुश्मन को रोकता है। शोध में कहा गया है कि यह सब दिमाग में मौजूद भावनाओं के कारण होता है।
आदमी आदत और उसके लेफ्टी या राइट हैंड होना इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी भावनाएं दिमाग के किस हिस्से पर काम करती हैं।
इन सब के विपरीत फिलॉसोफिकल ट्रांजैक्शन्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बॉयोलॉजिकल साइंसेस नाम के जर्नल में जो शोध प्रकाशित हुआ है उसमें कहा गया है कि मेंटल समस्या का ट्रीटमेंट लेफ्ट हैंड लोगों नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि लेफ्ट में जीवन से संबंधित भावनाएं कम होती हैं।
एकदम राइट या एकदम लेफ्टी लोगों का इलाज संभव-
इस शोध में दावा किया गया है कि यदि आप लेफ्ट हैंड लोगों का मानसिक इलाज करने जा रहे हैं तो संभव है कि आप उनकी तबीयत और ज्यादा खराब कर दें। इस पर केसासेंटो का कहना कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि कुछ लोग न तो बहुत ज्यादा लेफ्टी होते हैं और न ही राइट हैंड। ऐसे में दिमाग के दोनों ओर भावनांए साझा तौर पर रहती हैं।
जो लोग एकदम राइट हैंड वाले होते हैं उन्हें सामान्य ट्रीटमेंट दिया जा सकता है जबकि लेफ्टी लोगों को विपरीत ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए। वहीं जो लोग पूरी तरह से लेफ्टी या राइट नहीं हैं उन्हें किसी प्रकार का ट्रीटमेंट नहीं दिया जाना खाहिए।