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जानें क्या है ईटिंग डिसॉर्डर और इसके लक्षण

ईटिंग डिसॉर्डर के बुरे प्रभाव से खुद को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि हम इसके कारणों और लक्षणों को पहचान लें। अभी 1 मार्च तक ईटिंग डिसॉर्डर जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इस मौके पर आइए जानें कि...

जानें क्या है ईटिंग डिसॉर्डर और इसके लक्षण
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीFri, 28 Feb 2020 05:08 PM
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ईटिंग डिसॉर्डर के बुरे प्रभाव से खुद को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि हम इसके कारणों और लक्षणों को पहचान लें। अभी 1 मार्च तक ईटिंग डिसॉर्डर जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इस मौके पर आइए जानें कि क्या है यह डिसॉर्डर, इसके लक्षण क्या हैं और यह क्यों होता है

क्या है ईटिंग डिसॉर्डर 
हम सबकी खाने की आदतें अलग-अलग होती हैं। खाने-पीने की अनेक शैलियां होती हैं। इनमें से कुछ ऐसी हैं, जो हम मोटापे के डर से अपनाते हैं, लेकिन वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। यह र्ईंटग डिसॉर्डर कहलाती हैं। इनके तहत कुछ महत्वपूर्ण बातें आती हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
कॉमन ईटिंग डिसॉर्डर 
एनोरेक्सिया नर्वोसा 
बुलीमिया नर्वोसा 
इन दोनों के लक्षण एक से लगते हैं। इन लक्षणों का रूप समय के साथ बदल सकता है। शुरुआत में एनोरेक्सिया के लक्षण बाद में बुलीमिया के लक्षणों में परिवर्तित हो सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं में ईटिंग डिसॉर्डर
पर्याप्त कैलरी न मिल पाने से इनमें निम्न लक्षण दिखते हैं-
मनोवैज्ञानिक लक्षण
’ नींद में खराबी
’ खाने और कैलोरी के बारे में सोचने के अतिरिक्त कुछ भी स्पष्ट सोचने या ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी
’ दुखी रहना
’ दूसरों में रुचि न रहना
’ खाने की सनक

शारीरिक लक्षण
’ पेट सिकुड़ जाने के कारण खाने में होने वाली परेशानी
’ शरीर का चयापचय कम होने के कारण थकान, कमजोरी या ठंड महसूस करना
’ कब्ज होना
’ पूरी लंबाई तक न बढ़ना
’ हड्डियों का नाजुक होना, जिससे वे टूट सकती हैं
’ गर्भधारण करने में असमर्थ होना
’ लिवर का नष्ट होना, विशेष रूप से यदि शराब पीते हैं
’ दिल की धड़कन का असामान्य महसूस करना 
’ कमजोरी महसूस करना
’ मिर्गी के दौरे पड़ना

क्यों होता है ईटिंग डिसॉर्डर
आमतौर पर इसकी जड़ें समाज के रवैये में छिपी होती हैं। दरअसल हमारा आचरण, व्यवहार और आदतें हमारी सामाजिक परिस्थितियों  के अनुसार बदलती रहती हैं। जिस समाज में दुबलेपन को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता, वहां र्ईंटग डिसॉर्डर  कम पाया जाता है। दूसरी ओर जिन समाजों में दुबलेपन को सौंदर्य से जोड़ कर देखा जाता है, वहां ईटिंग डिसॉर्डर के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं।  

कारणों को पहचानें
स्विच ऑफ की कमी होना : कुछ लोग उस समय तक ही भूखे रह सकते हैं, जब तक शरीर दोबारा खाने के लिए संकेत नहीं करता। एनोरेक्सिया (अल्लङ्म१ी७्रं) से ग्रस्त कुछ लोगों में इस प्रकार का संकेत करने वाला ‘स्विच’ नहीं होता, जिसके कारण वे लंबे समय तक भूखे रह जाते हैं, जिससे उनका वजन कम होता रहता है। 
शरीर की अवस्था : उम्र बढ़ने से शरीर में होने वाले परिवर्तन ऐनोरेक्सिया से कुछ हद तक कम हो सकते हैं, जैसे कि पुरुषों में चेहरे और कान के बाल, स्त्रियों में स्तन का विकास और मासिक धर्म। हालांकि एनोरेक्सिया प्रौढ़ होने की अपेक्षा खासतौर पर यौन संबंधी व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है। 
परिवार संग भोजन का अभाव : परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ भोजन करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खाना ग्रहण करना आनन्द देता है और मना करना कुछ लोगों को नाराज कर देता है। खासकर परिवार के सदस्यों के बीच न खाना, नाराजगी का भी प्रतीक होता है। लोग अपनी भावनाओं या नाराजगी को जताने के लिए खाने से मना कर देते हैं।
अवसाद की समस्या : ज्यादातर लोग परेशान होने या ऊबने की स्थिति में अधिक खाते हैं। ऐनोरेक्सिया के रोगी अकसर दुखी या निराश हो जाते हैं और शायद अपने दुख या निराशा से निजात पाने के लिए हर समय कुछ न कुछ खाते रहते है। दुर्भाग्यवश, उल्टियां करने से और विरेचक औषधियों के प्रयोग से कहीं ज्यादा उदासी या निराशा महसूस होती है।
(मदरहुड हॉस्पिटल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप चड्ढा से की गई बातचीत पर आधारित)

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