फोटो गैलरी

Hindi Newsसर्दियों की उदासी से बचाएंगे ये आसान से उपाय

सर्दियों की उदासी से बचाएंगे ये आसान से उपाय

बदलते मौसम का प्रभाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। सर्दियों में धूप भी कम निकलती है, जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है। इसका पूरा असर हमारे मूड पर पड़ता है।...

सर्दियों की उदासी से बचाएंगे ये आसान से उपाय
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्ली Sat, 19 Jan 2019 03:14 PM
ऐप पर पढ़ें

बदलते मौसम का प्रभाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। सर्दियों में धूप भी कम निकलती है, जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है। इसका पूरा असर हमारे मूड पर पड़ता है। सर्दियों की इस उदासी को ‘विंटर ब्ल्यूज’ कहा जाता है। इससे बचाव के बारे में जानकारी दे रहे हैं मनोज कुमार शर्मा

विंटर ब्ल्यूज होने का सबसे प्रमुख कारण प्राकृतिक रोशनी की कमी है। यह रोशनी कम मिलने से हमारे शरीर की जैविक घड़ी बिगड़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि प्राकृतिक रोशनी विभिन्न हार्मोनों को प्रभावित करती है, जो हमारी जागने और सोने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। सर्दियों में जब प्राकृतिक रोशनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होती, तब हमारा मस्तिष्क जागते हुए भी बहुत अधिक मात्रा में स्लीप हार्मोन मेलेटोनिन का उत्पादन करता है, जिससे हम थका हुआ और उनींदा महसूस करते हैं। 

इसके अतिरिक्त, सेरेटोनिन के स्तर में भी कमी आ जाती है। यह हार्मोन हमारा मूड अच्छा रखता है, भूख कम करता है और हमें चौकस व जागृत रखता है। सेरेटोनिन का स्तर कम होने से गुस्सा, अवसाद और उत्तेजना का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर (सैड) भी कहते हैं। अधिकतर मामलों में ये अपने आप ही ठीक हो जाता है। जैसे-जैसे दिन बड़ेऔर रातें छोटी होने लगती हैं, वैसे-वैसे लक्षणों में कमी आने लगती है। अगर समस्या गंभीर है तो इसका उपचार कराना जरूरी हो जाता है। 

इसे भी पढ़ें : गैस की समस्या दूर करनी है तो पहले अपना खानपान सुधारें

इन लक्षणों को पहचानें
जब सर्दियां शुरू होते ही आपके व्यवहार में अचानक परिवर्तन आ गया हो, आप अन्य दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक सुस्त व उदास महसूस करने लगेे हैं, आपको इन दिनों एकांत में रहना ज्यादा अच्छा लगता है, तो सावधान हो जाएं। अगर आपके व्यवहार में ऐसे बदलाव आ रहे हैं, तो संभव है कि आप ‘विंटर ब्ल्यूज’ के शिकार हों। 

इन लक्षणों पर भी रखें नजर

सामान्य से अधिक चिड़चिड़ापन महसूस करना। 

जो काम पसंद है, उसे करने में भी रुचि न लेना। 

ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।

सामाजिक गतिविधियों में रुचि की कमी। 

हमेशा थके रहना, अधिक सोना।

पेट में या जोड़ों में दर्द होना।

अत्यंत संवेदनशील हो जाना।

जल्दी उठें
सबसे जरूरी है कि आप प्राकृतिक रोशनी में अधिक से अधिक समय बिताएं। सर्दियों में दिन छोटे होते हैं, इसलिए आप जितनी जल्दी उठेंगे, प्राकृतिक रोशनी के संपर्क में उतने ही अधिक रहेंगे। इसके अलावा, धूप में रहने से विटामिन डी भी मिलता है, शरीर में विटामिन डी की कमी भी डिप्रेशन की आशंका बढ़ा देती है। सर्दियों में सप्ताह में तीन बार 2 से 4 घंटे का धूप में रहें।

नियमित रूप से व्यायाम करें  
मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रतिदिन कम-से-कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करें। व्यायाम करने से हमारा शरीर  फील गुड हार्मोन एड्रेनलिन और कार्टिसोल के स्तर को बेहतर तरीके से नियंत्रित रखता है। साथ ही, आप जितने अधिक फिट होंगे, आपके शरीर में प्राकृतिक रूप से फील गुड हार्मोन एंडोरफिन का स्तर उतना अधिक बेहतर होता है। 

खानपान का ध्यान रखें
सर्दियों में भोजन में सोया उत्पादों, दुग्ध उत्पादों, सूखे मेवे, अंडे, मांस और चिकन की मात्रा बढ़ा दें। थकान का एक कारण मैग्नीशियम की कमी भी हो सकता है। बादाम, काजू जैसे सूखे मेवों का सेवन करें। दिन में तीन बार ‘मेगा मील’ खाने की बजाय पांच या छह बार ‘मिनी मील’ खाएं। इससे शुगर का स्तर कम नहीं होगा, जो मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

इसे भी पढ़ें : Swine Flu : तुलसी और इलायची का काढ़ा दूर करता है संक्रमण, एच1एन1 से बचाव में मदद करेंगे ये 7 घरेलू

ध्यान करें
मानसिक शांति के लिए ध्यान करें। वैज्ञानिकों ने भी साबित किया है कि ध्यान अवसाद, उत्तेजना, अनिद्रा में बहुत उपयोगी है।  ध्यान सेरिब्रल कोरटेक्स की मोटाई बढ़ाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संपर्कों को बढ़ाता है। इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर होती है।

बाहर निकलें
ऑफिस या घर में बंद न रहें। आप जितना अधिक चहारदीवारी में रहेंगे, प्राकृतिक प्रकाश के प्रति एक्सपोजर उतना ही कम होगा और कृत्रिम प्रकाश के प्रति उतना ही बढ़ेगा। इससे बचने के लिए दोपहर में खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें। कोई मीटिंग है, तो वॉक एंड टॉक करें, अगर ्रसंभव हो। कुछ समय प्रकृति संग बिताएं, ताकि अवसाद दूर हो व ताजगी महसूस हो।

स्क्रीन के सामने कम समय बिताएं
गैजेट का प्रयोग कम करें। लगातार स्क्रीन को घूरने से मस्तिष्क में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है। रात को सोने से दो घंटा पहले गैजेट का प्रयोग करना बंद कर दें।  

थकान महसूस हो तो सैर पर जाएं
जब भी आप थकान महसूस करें, सैर को निकल जाएं या कोई व्यायाम करें। कई लोग सोचते हैं कि थकान होने पर व्यायाम करने से तो शरीर और थक जाएगा, पर यह सोचना गलत है। इससे ऊर्जा के स्तर में वृद्धि होती है।

स्लीप साइकिल बनाएं 
सर्दियों में भी अपने सोने और उठने का समय न बदलें, ताकि आपके शरीर की लय न गड़बड़ाए। अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार 6 से 8 घंटे की नींद लें। संभव हो तो दो दोपहर में भी 10-15 मिनट की झपकी लें।

सामाजिक बनें 
सर्दियों में बिस्तर में दुबके न रहें। घर से बाहर निकलें। दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएं। जो लोग सामाजिक रूप से सक्रिय होते हैं, उनके अवसाद की चपेट में आने की आशंका कम होती है।

इसे भी पढ़ें : Mission Weight Loss : इन 4 सूप रेसिपी से पूरी करें फ्लैट टमी की चाहत, जानें इनकी आसान रेसिपी

किन्हें है अधिक खतरा 

जो लोग पहले से ही अवसाद के शिकार हैं। 

जिन्हें डायबिटीज या हाइपोथायरॉइडिज्म है। 

जो कफ प्रकृति के हैं। 

जो मानसिक बीमारियों के शिकार हैं। 

जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें