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भारत में बीमारियों से बढ़ रहा है मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव

आज मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चिंता बन गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में हर सात में से एक व्यक्ति मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से पीड़ित है। इनमें अवसाद, एंग्जायटी...

भारत में बीमारियों से बढ़ रहा है मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव
myupcharTue, 31 Dec 2019 05:08 PM
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आज मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चिंता बन गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में हर सात में से एक व्यक्ति मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से पीड़ित है। इनमें अवसाद, एंग्जायटी डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, बायपोलर डिसऑर्डर, कंडक्ट डिसऑर्डर और ऑटिज्म शामिल हैं। आज की जीवन शैली में मानसिक विकारों ने हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाया है।
 
साल 2017 में 197 मिलियन भारतीय मानसिक विकारों से पीड़ित थे, जिनमें से 46 मिलियन में अवसाद था और 45 मिलियन अन्य एंग्जायटी डिसऑर्डर थे। केवल इतना ही नहीं, बल्कि अध्ययन से पता चलता है कि साल 1990 और 2017 के बीच कुल रोगों में मानसिक विकारों का योगदान दोगुना हो गया है। इतने वर्षों में मानसिक परेशानियां बढ़ी है जिससे कुल रोगों में इनका दखल बाधा है।
 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के मुताबिक, मानसिक विकारों से भारत में बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत है। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए जरूरी सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना मुख्य धारा में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आयुष्मान भारत के साथ भारत की वर्तमान स्वास्थ्य नीतियों के मूल के रूप में  हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर रोगों की रोकथाम, पहचान और उन लोगों के करीब लाने का एक अवसर प्रदान करता है, जिन्हें इसकी आवश्यकता है।

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पिछले तीन दशकों में भारत से सभी प्रासंगिक डाटा का इस्तेमाल करने के बाद अध्ययन किया गया और इससे पता चलता है कि मानसिक विकार भारत में गैर-घातक बीमारी के बोझ का प्रमुख कारण है। इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव के अनुसार, इस अध्ययन में बुजुर्गों में होने वाले अवसाद की उच्च दर चिंता का विषय है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अवसाद के साथ आत्महत्या के संबंध के कारण समुदाय को इस पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही है। इसकी गंभीरता को समझते हुए स्वास्थ्य प्रणाली में व्यापक प्रयासों के जरिये अवसाद की पहचान करने और उससे निपटने पर जोर देना जरूरी है।
 
मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का ये भारी बोझ लोक स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनकर उभरा है जो एक ठोस प्रतिक्रिया की जरूरत बताता है और इसके लिए जरूरी कदम उठाने की तरफ इशारा करता है। यह तनाव और संघर्ष में कमी की जरूरत, विभिन्न परिस्थितियों में समाज के समर्थन, बीमारी को समय पर पता लगाने पर जोर देता है। साथ ही आवश्यकतानुसार सही मेडिकल केयर और सही पहुंच के माध्यम से रोकथाम को प्राथमिकता देता है।
 
अध्ययन में यह भी पता चला कि उत्तर भारतीय राज्यों में बच्चों और किशोरों पर अधिक बोझ विशेष रूप से चिंताजनक है। शोध के निष्कर्ष राज्यों के बीच महत्वपूर्ण अंतर दिखाते हैं। अध्ययन यह बताता है कि उत्तर की तुलना में दक्षिणी राज्यों में मानसिक विकारों का ज्यादा फैलाव देखा जा सकता है। यहां बचपन में ही मानसिक विकारों के उदाहरण दर्ज किए हैं।
इस अध्ययन ने जो तस्वीर पेश की है वह प्रत्येक राज्य में मानसिक स्वास्थ्य में सुधार रणनीति बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत में रोगों के बढ़ते बोझ में मानसिक विकारों के योगदान को देखते हुए आगे के शोध में बदलते रुझानों को ट्रैक करने की जरूरत है।
 
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स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं

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