80 प्रतिशत मामलों में हीट स्ट्रोक से पहले शरीर देता है ये संकेत
हीट स्ट्रोक के बारे में लोगों में तरह-तरह के मिथक हैं। ये मिथक कई बार हीट स्ट्रोक से बचने में या उसका सामना करने में व्यवधान पैदा करते हैं। ऐसे में इसके बारे में जानकारी जरूरी हो जाती है। ऐसे ही अनेक...
हीट स्ट्रोक के बारे में लोगों में तरह-तरह के मिथक हैं। ये मिथक कई बार हीट स्ट्रोक से बचने में या उसका सामना करने में व्यवधान पैदा करते हैं। ऐसे में इसके बारे में जानकारी जरूरी हो जाती है। ऐसे ही अनेक मिथकों के बारे में जानकारी देता आलेख
मिथक: हीट स्ट्रोक के पहले हमेशा चेतावनी वाले संकेत दिखाई देते हैं।
हकीकत: 80 प्रतिशत मामलों में हीट स्ट्रोक के स्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे जी मिचलाना, शरीर के तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी, उल्टी होना, थकान, सिरदर्द आदि। लेकिन 20 प्रतिशत मामलों में हीट स्ट्रोक साइलेंट किलर होता है। कई लोगों में कुछ न्यूरोटिक लक्षण भी दिखाई देते हैं, जैसे मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना, भ्रम आदि। अधिकतर लोगों में डीहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है, लेकिन सबको ऐसा हो, बिल्कुल जरूरी नहीं है।
मिथक: अगर आपको ऐसा लगे कि तपती गर्मी में आप बेहोश हो जाएंगे, तो पूल में छलांग लगा लें।
हकीकत: झुलसा देने वाली गर्मी से बचने के लिए पूल में कूद जाना या ठंडे पानी से भरी हुई पूरी बाल्टी को अपने ऊपर डाल लेना किसी को भी लुभा सकता है, लेकिन यह एक घातक कदम हो सकता है। इससे हीट स्ट्रोक की आशंका बढ़ सकती है। तेज गर्मी से आने के बाद तुरंत न नहाएं। पहले अपना पसीना पोंछे और थोड़ी देर खुद को पंखे में ठंडा करें, उसके बाद ही नहाएं।
मिथक: सभी उम्र के लोगों को हीट स्ट्रोक का खतरा समान होता है।
हकीकत: नहीं, सभी लोगों को हीट स्ट्रोक का खतरा समान नहीं होता। 12 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से बड़े बुजुर्गों में इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है। इसलिए इन्हें हीट स्ट्रोक से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
मिथक: हीट स्ट्रोक केवल तभी होता है, जब हम अत्यधिक गर्म वातावरण में अधिक देर रहते हैं।
हकीकत: कुछ मामलों में यह सही है, लेकिन कई लोग काफी देर तक लगातार धूप में काम करने के बाद भी हीट स्ट्रोक की चपेट में नहीं आते। हीट के प्रति आपका शरीर कितना प्रतिरोध (रेजिस्टेंट) दिखाता है, यह अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सूर्य की तेज किरणें अधिक प्रभावित करती हैं। इसके अलावा जो लोग डायबिटीज, हृदय और फेफड़ों के रोगों से पीड़ित होते हैं, उनके भी इसकी चपेट में आने का खतरा अधिक होता है। जो लोग एसी में अधिक समय बिताते हैं, उनके अचानक हीट स्ट्रोक की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि एसी से धूप में न निकलें और धूप से तुरंत एसी में न जाएं।
मिथक: हीट स्ट्रोक और बुखार समान ही है।
हकीकत: हीट स्ट्रोक और बुखार दो अलग-अलग चिकित्सकीय स्थितियां हैं, क्योंकि हीट स्ट्रोक में बाहरी कारणों से शरीर में गर्मी बढ़ती है, जबकि बुखार में संक्रमण से लड़ने के कारण शरीर का ताप बढ़ जाता है।