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पुरुषों में भी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, जानिए क्या है जोखिम  

एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस। इसे आमतौर पर महिलाओं की बीमारी माना जाता है, क्योंकि इस वायरस से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा बढ़ता है। लेकिन, यह वायरस पुरुषों में भी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण...

पुरुषों में भी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, जानिए क्या है जोखिम  
myupchar,नई दिल्लीTue, 22 Oct 2019 06:00 PM
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एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस। इसे आमतौर पर महिलाओं की बीमारी माना जाता है, क्योंकि इस वायरस से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा बढ़ता है। लेकिन, यह वायरस पुरुषों में भी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है। एचपीवी कैंसर नहीं है, लेकिन इसके संक्रमण के कारण कैंसर हो सकता है। पुरुषों में इससे गुदा कैंसर, जननांग कैंसर और मुंह का कैंसर हो सकता है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (एनसीबीआई) की वेबसाइट पर उपलब्ध शोध-पत्र 'जेनाइटल ह्यूमन पेपिलोमावायरस इन्फेक्शन इन इंडियन सेरोपाजिटिव मेन...' के मुताबिक भारतीय पुरुषों में एचपीवी वायरस के संक्रमण के कारण पेनाइल कैंसर के मरीजों की संख्या काफी अधिक है।  

पुरुषों में होने वाले सभी कैंसर में पेनाइल कैंसर का हिस्सा 6 फीसदी है

यह बीमारी पुरुषों में कितनी आम होती जा रही है, अंदाजा नीदरलैंड्स से लगाया जा सकता है, जहां सरकार ने तय किया है कि अब एचपीवी वैक्सीन के टीके लड़कों को भी लगाए जाएंगे। अब तक सरकारी हेल्थ प्रोग्राम के तहत यह टीका केवल लड़कियों को लगाया जाता था। इस बीमारी को लेकर जागरुकता का भी बड़ा अभाव है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले अमेरिका में 70 फीसदी वयस्क इस बीमारी से अनजान हैं। 

हेल्थ जर्नल लांसेट में पिछले दिनों प्रकाशित 14 उच्च आय वाले देशों में 6 करोड़ लोगों पर किए दीर्घकालिक मेगा-अध्ययन के अनुसार एचपीवी टीकाकरण के बाद लड़कियों और महिलाओं में एचपीवी संक्रमण और ग्रीवा संबंधी घावों में 83 फीसदी कमी आई है। भारत में भी एचपीवी को लेकर जागरुकता बढ़ी है। दिल्ली और पंजाब में एचपीवी वैक्सीन देने के लिए बड़े प्रोग्राम बनाए गए हैं। लांसेट में प्रकाशित शोध में पाया गया है कि एचपीवी वैक्सीन पुरुषों और लड़कों के लिए भी प्रभावी है।

पुरुषों में एचपीवी संक्रमण के लक्षण 

सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यह बीमारी इतनी आम है कि सेक्सुअली एक्टिव लोगों को जिंदगी में एक बार जरूर होती है। यह बीमारी कोई संकेत नहीं देती है। हां कुछ मरीजों में लिंग, अंडकोष, गुदा,कमर, जांघ, जीभ या मुंह के ऊपर गांठ या मस्से के रूप में लक्षण दिखाई देते हैं। प्रायः इनमें दर्द नहीं होता है, इसलिए पता भी नहीं चलता है। कई बार डॉक्टर भी पता नहीं लगा पाते हैं, क्योंकि इनमें बदलाव बहुत धीमे होते हैं। जिन पुरुषों को एचआईवी होता है, उन्हें भी इस कैंसर के होने का अधिक खतरा होता है।

इन लक्षणों को न करें  नजरअंदाज

1. मलद्वार से खून आना, खुजली या दर्द होना। सूजन महसूस होना। 

2. लिंग पर ऊतक परिवर्तन, जैसे रंग, त्वचा का मोटा होना।

3. गले और कान में लगातार दर्द रहना।

4. सांस लेने या निगलने में परेशानी।

5. अचानक वजन कम होना।

6. आवाज में बदलाव और गले में खराश।

पुरुषों में एचपीवी संक्रमण जांचने के लिए टेस्ट

myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अजय मोहन के मुताबिक, ‘एचपीवी संक्रमण तब होता है जब एचपी वायरस किसी कट या चोट के कारण शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसलिए कई बार इसका पता नहीं चलता है।’  पुरुषों में जननांग गांठ या मस्से की आशंका होने पर डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर जननांग क्षेत्र की जांच करेंगे। कुछ डॉक्टर मस्से की पहचान करने में मदद करने के लिए सिरका सॉल्यूशन लगाते हैंं, लेकिन परीक्षण फूलप्रूफ नहीं है। कभी-कभी सामान्य त्वचा को गलती से मस्सा या गांठ मान लिया जाता है। एचपीवी से कैंसर की आशंका का पता लगाने के लिए कोई टेस्ट नहीं है। हालांकि, कुछ डॉक्टर पुरुषों के लिए एनल पैप टेस्ट करवाते हैं। इससे एचपीवी के कारण होने वाले गुदा कैंसर का पता चलता है।

पुरुषों में एचपीवी संक्रमण के लिए उपचार

जननांग मस्सा दिखाई देने पर विभिन्न प्रकार के उपचार किए जाते हैं। मरीज घर पर प्रिस्क्रिप्शन क्रीम लगा सकता है। या डॉक्टर सर्जरी से मस्से को हटा या फ्रीज कर सकता है। हालांकि अधिकांश मामलों में डॉक्टर सर्जरी से बचते हैं, क्योंकि ये  मस्से अपने आप भी खत्म हो जाते हैं। गुदा कैंसर का उपचार रेडिएशन, कीमोथेरेपी और सर्जरी से किया जा सकता है। स्पेशल ट्रीटमेंट कैंसर के स्टेज पर निर्भर करते हैं - ट्यूमर कितना बड़ा है और कैंसर कितनी दूर तक फैल गया है। जेएएमए पेडिएट्रिक जर्नल के अनुसार, कई मरीजों को एचपीवी वैक्सीन की जरूरत होती है, लेकिन डॉक्टर बीमारी को भांप नहीं पाते हैं और वैक्सीन नहीं देते हैं। 

एचपीवी फैलने से कैसे रोकें

एचपीवी ट्रांसमिशन रोकने के लिए संयम ही एकमात्र निश्चित तरीका है। ट्रांसमिशन का जोखिम कम हो सकता है यदि कोई व्यक्ति केवल एक ही व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है जो संक्रमित नहीं है। एचपीवी ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने के लिए, पुरुष सेक्स पार्टनर की संख्या को सीमित कर सकते हैं और उन पार्टनर्स को चुन सकते हैं जिन्होंने ज्यादा लोगों के साथ संबंध न बनाए हों। अगर किसी पार्टनर को एचपीवी है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने हाल ही में किसी और के साथ संबंध बनाए हों। ध्यान देने योग्य लक्षण पैदा किए बिना वायरस सालों तक शरीर में निष्क्रिय रह सकता है। एचपीवी ट्रांसमिशन रोकने में कंडोम कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकता है। दुर्भाग्य से, वे 100% प्रभावी नहीं हैं, क्योंकि एचपीवी मुख्य रूप से त्वचा से त्वचा के संपर्क से फैलता है।

अच्छी बात यह है कि सेंटर ऑफ डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, एचपीवी से होने वाले 92 फीसदी कैंसर का इलाज संभव है। जरूरत है समय पर इलाज शुरू करने की। 

अधिक जानकारी के लिए देखें: https://www.myupchar.com/disease/hpv-human-papillomavirus 

स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं। 

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