Health Tips: डायबिटीज की मरीज महिलाएं बरतें ये सावधानियां, रहेंगी स्वस्थ
डायबिटीज के मरीजों को अपने पैरों की खासतौर पर देखभाल करनी चाहिए। चोट से बचाव के लिए नंगे पैर ना चलें और यदि चोट लग ही गयी है तो उसे नजरअंदाज ना करें, क्योंकि उससे संक्रमण फैलने की आशंका काफी बढ़ जाती...
डायबिटीज के मरीजों को अपने पैरों की खासतौर पर देखभाल करनी चाहिए। चोट से बचाव के लिए नंगे पैर ना चलें और यदि चोट लग ही गयी है तो उसे नजरअंदाज ना करें, क्योंकि उससे संक्रमण फैलने की आशंका काफी बढ़ जाती है। ऐसे लोग क्या-क्या सावधानी बरतें, जानकारी देता आलेख
डायबिटीज के मरीजे बरतें ये सावधानी रहेंगी स्वस्थ
जांच करवाना ना भूलें
’ एचबीए 1 सी की जांच साल में कम से कम दो बार करवाएं।
’ जब भी डॉक्टर के पास जाएं, ब्लडप्रेशर की जांच जरूर करवाएं।
’ साल में एक बार अपनी आंखों की जांच करवाएं।
’ हर रोज अपने आप अपने पैरों की जांच करें कि कहीं उसमें चोट तो नहीं लगी है।
’ दांतों की नियमित जांच करवाएं।
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इन बातों का रखें ध्यान
’ सप्ताह में पांच-छह दिन व्यायाम करने का लक्ष्य निर्धारित करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके लिए व्यायाम का बेहतरीन समय खाना खाने के एक डेढ़ घंटे बाद का है।
’ डायबिटीज के रोगी को अपने शुगर के स्तर की नियमित जांच करनी चाहिए। किसी भी तरह से शुगर के स्तर को बढ़ने न दें। पैरों के सुन्न होने को चेतावनी के रूप में लें। घाव होने की स्थिति में यह घातक हो सकता है।
’ जब भी डॉक्टर के पास जाएं, अपने डॉक्टर से दिल की लक्षित धड़कन पूछें।
’ तले खाने से परहेज करें।
’ मिठाई, मीठे फल व उनके जूस के साथ ही आलू, शक्करकंदी, अरबी, जिमीकंद आदि अधिक कैलरी प्रदान करने वाली सब्जियों से खासतौर से परहेज करें।
’ पानी ज्यादा पिएं, क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मददगार साबित होता है।
’ खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं।
’ फास्ट फूड और डिब्बाबंद जूस का सेवन ना करें।
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गर्भावस्था में डायबिटीज
कई बार गर्भवती महिलाओं को भी डायबिटीज हो जाती है। डायबिटीज के इस प्रकार को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को काफी सचेत रहने की जरूरत होती है, जिससे कि डायबिटीज उनसे उनके बच्चे को ना हो जाये।
’ गर्भावस्था के दौरान लिया जाने वाला आपका आहार ही आपके शिशु के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। अगर आपको इस दौरान डायबिटीज हो गयी है तो इस स्थिति में स्वयं कुछ भी खा लेने की बजाय किसी आहार विशेषज्ञ से अपना डाइट चार्ट बनवाएं।
’ खाने के समय, मात्रा का खास ख्याल रखें, क्योंकि आपके द्वारा लिया जाने वाला आहार रक्त में ग्लूकोज के स्तर को प्रभावित करता है। समय पर सही आहार का सेवन करें। गर्भावस्था के दौरान डायटिशियन द्वारा बताए भोजन का सेवन करें।
’ रक्त में शुगर के स्तर को संतुलित करने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करें और टहलें, स्ट्रेस से बचने के लिए मेडिटेशन करने के साथ अपना मनपसंद संगीत सुनें।
’ जेस्टेशनल डायबिटीज में इलाज का एक अहम भाग रक्त में शुगर की नियमित जांच है। प्रतिदिन घर में एक या दो बार रक्त में शुगर की मात्रा की जांच करें और इस विषय में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो समय समय पर डॉक्टर से संपर्क करके अपने शिशु के समुचित विकास की जानकारी लें। इस दौरान गर्भ में बच्चे ने कितनी बार पैर चलाया, इसकी गिनती करने की सलाह भी दी जा सकती है, जिससे पता चल सके कि शिशु सामान्य गति से विकास कर रहा है या नहीं। ऐसे समय में पूरी सावधानी जरूरी है।