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पानी के करीब रहने से शांत होता है दिमाग, कम होता है तनाव

साल भर खूब भागदौड़ भरी जिंदगी जीने के बाद कई लोग कुछ दिनों के लिए बीच (समुद्र तट) पर परिवार के साथ घूमने निकलते हैं। समुद्र तट के किनारे रेत पर बैठकर आंखें बंद करते हुए वह इतने समय की थकान उतारने की...

पानी के करीब रहने से शांत होता है दिमाग, कम होता है तनाव
myupcharTue, 09 Jun 2020 12:30 PM
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साल भर खूब भागदौड़ भरी जिंदगी जीने के बाद कई लोग कुछ दिनों के लिए बीच (समुद्र तट) पर परिवार के साथ घूमने निकलते हैं। समुद्र तट के किनारे रेत पर बैठकर आंखें बंद करते हुए वह इतने समय की थकान उतारने की कोशिश करते हैं। उन्हें यह पल एक सुखद अहसास देता है। जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइकॉलॉजी के एक शोध के मुताबिक, पानी के करीब होना हमेशा सबकॉन्शस माइंड यानी अवचेतन मन को शांत करता है। इसमें न केवल पानी के करीब होना, बल्कि पानी में तैरना और गोता लगाना, पानी के समीप निवास करना भी शामिल है। इसमें सभी प्रकार के प्राकृतिक जल निकाय जैसे नदी, झील, तालाब, समुद्र और महासागर हो सकते हैं।
 
शोध के मुताबिक पानी की मात्र मौजूदगी से ही व्यक्ति को एक लगातार खुशी का भाव महसूस होता है। पानी तनाव और चिंता को कम करने, कल्याण और खुशी की भावना को बढ़ाने, दिल और सांस लेने की दर को कम करने के लिए अच्छा है। शोध का कहना है कि एक्वॉटिक थेरेपिस्ट पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, एडिक्शन, एंग्जाइटी डिसऑर्डर, ऑटिज्म और ऐसी कई बीमारियों के इलाज में मदद करने के लिए पानी की मदद ले रहे हैं। पानी के पास समय बिताने से रचनात्मकता और यहां तक कि हमारी संवाद की क्षमताओं को प्रेरित करने में मदद मिलती है।
 
कुछ अन्य शोध है जो कहते हैं कि प्रकृति के निकट होने पर बेहतर नींद में मदद मिलती है। नींद हमेशा बारिश, समुद्र या बहने वाली नदी की आवाज को सुनकर प्रेरित होती है। उनके मुताबिक पानी के बड़े निकायों के पास और ऊपर खुला माहौल सब्कॉन्शस माइंड के लिए एक सुखद दृश्य बनाता हैं। आमतौर पर लोगों को विशाल कॉन्क्रीट की इमारतों, शोर-शराबे, पड़ोसियों/सह कर्मियों के निराश या गुस्से भरे चहेरे से घिरे रहने की आदत होती है। यही कारण है कि झील या समुद्र के ऊपर खुले आकाश का साधारण दृश्य देखकर ज्यादातर लोग शांति का अनुभव करते हैं।
 
पानी के इर्दगिर्द नजारा और खुला आसमान आंखों की मांसपेशियों को भी शांत करता है। आजकल ज्यादातर लोग कम्प्यूटर पर काम करते हैं और इससे आंखें खराब हो सकती हैं। और वह केवल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के कारण नहीं है। यह इसलिए भी है क्योंकि शायद ही कभी उनकी आंखों की मांसपेशियों को व्यायाम करने का मौका मिलता है। ऐसा मौका कि खुद से कई फीट से अधिक दूर किसी चीज को घूरें। खुले में होने से ऐसा करने में मदद मिलती है।
 
पानी की आवाज भी शांत करती है। चाहे समुद्र की लहरें समुद्र तट पर टकराए या पहाड़ों में चट्टानों पर दौड़ती नदी, यह लगभग हमेशा एक शांत अनुभव होता है। वहीं तैरना भी मजेदार है। कुछ लोगों को ऐसा महसूस नहीं होता है, लेकिन ज्यादातर लोग झील या समुद्र में धीरे-धीरे डुबकी लगाने तक से शांत महसूस करते हैं। www.myupchar.com से जुड़ीं डॉ. मेधावी अग्रवाल का कहना है कि तनाव होने पर व्यक्ति कोई भी काम बेहतर तरीके से नहीं कर पाता है। तैरने से तनाव से राहत मिलती है और दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। यह तनाव और अवसाद को स्वाभाविक रूप से कम करती है। शोध यह भी दिखाता है कि तैरना हिप्पोकैम्पल न्यूरोजेनेसिस नाम की प्रक्रिया के जरिए मस्तिष्क के तनाव को रोक सकता है।
 
डाइविंग मेडिटेशन करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। मेडिटेशन का मतलब यह है कि अपने आस-पास की बाकी चीजों के बारे में भूलकर अपने दिमाग को शांत करें। गोताखोरों के लिए यह ज्यादा आसान है, क्योंकि पानी के नीचे हम निकटतम दुनिया को शाब्दिक अर्थ में पूरी तरह से 'छोड़ने' के लिए तैयार होते हैं।
 
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यह स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखा गया है

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