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निमोनिया से होने वाली मौतों में भारत का स्थान दूसरा, हर 39 सेकेंड में होती है एक बच्चे की मौत

निमोनिया के कारण वर्ष 2018 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। इससे भारत में पिछले वर्ष 1.27 लाख बच्चों की मौत हुई है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में...

निमोनिया से होने वाली मौतों में भारत  का स्थान दूसरा, हर 39 सेकेंड में होती है एक बच्चे की मौत
एजेंसी ,संयुक्त राष्ट्रSat, 16 Nov 2019 08:19 AM
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निमोनिया के कारण वर्ष 2018 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। इससे भारत में पिछले वर्ष 1.27 लाख बच्चों की मौत हुई है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसके बावजूद वैश्विक संक्रामक रोग शोध खर्च में से महज तीन फीसदी ही इस पर खर्च किया जाता है। 

गत वर्ष आठ लाख बच्चों की मौत हुई:
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कहा कि गत वर्ष वैश्विक स्तर पर निमोनिया के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के आठ लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई यों कहें कि हर 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत हुई। इनका अशिक्षा और गरीबी से भी संबंध है।

ये हैं शीर्ष पांच देश : 
क्र.स.    देश              मौतें
1.         नाईजीरिया     1,62,000 
2.         भारत            1,27,000 
3.         पाकिस्तान     58,000 
4.          कांगो           40,000 
5.          इथोपिया      32,000 

इनसे भी बढ़ता है जोखिम : 
- वायु प्रदूषण 
- दूषित पेयजल 
- स्वास्थ्य देखभाल में कमी 
- पोषण आहार की कमी
- अशिक्षा और गरीबी 

ये भी है चिंता की बात :
- पांच वर्ष के कम उम्र के बच्चों में मौत के कुल मामलों में 15 % निमोनिया से
- कुल मौत में से आधी वायु प्रदूषण के कारण 

मृतकों में दो वर्ष से कम आयु के ज्यादा : 
निमोनिया के कारण मरने वाले बच्चों में अधिकतर की उम्र दो वर्ष से कम थी और 1.53 लाख बच्चों की मौत जन्म के पहले महीने में ही हो गई। 

जनवरी 2020 में अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी : 
अभी यह लगभग भूला जा चुका है कि निमोनिया भी एक महामारी है। यह रोग अब सुसाध्य है और इससे बचाव भी संभव है। जागरुकता लाने के लिए अगले वर्ष जनवरी में स्पेन में 'ग्लोबल फोरम ऑन चाइल्डहुड निमोनिया' पर गोष्ठी होगी जिसमें विश्वभर के नेता शामिल होंगे।  
 

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