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Hindi Newsचिंताजनक रिपोर्ट: भारत के लोग साल के 365 दिन में 1800 घंटे यानी 75 दिन मोबाइल स्मार्ट फोन ही देखते हैं

चिंताजनक रिपोर्ट: भारत के लोग साल के 365 दिन में 1800 घंटे यानी 75 दिन मोबाइल स्मार्ट फोन ही देखते हैं

मोबाइल की लत हमें बीमार बना रही है। और अगर हम इसी तरह मोबाइल स्मार्ट फोन में डूबे रहे तो आने वाले समय में ये लत हमारे मानिसक और शारीरिक स्वास्थ्य पर और बुरा असर डालेगी। आज हर भारतीय औसतन वर्ष के 1800...

चिंताजनक रिपोर्ट: भारत के लोग साल के 365 दिन में 1800 घंटे यानी 75 दिन मोबाइल स्मार्ट फोन ही देखते हैं
एजेंसी ,नई दिल्लीFri, 20 Dec 2019 04:50 PM
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मोबाइल की लत हमें बीमार बना रही है। और अगर हम इसी तरह मोबाइल स्मार्ट फोन में डूबे रहे तो आने वाले समय में ये लत हमारे मानिसक और शारीरिक स्वास्थ्य पर और बुरा असर डालेगी। आज हर भारतीय औसतन वर्ष के 1800 घंटे या अपने वर्किंग ऑवर्स का एक तिहाई हिस्सा मोबाइल को दे रहा है। एक सर्वे से इस बात का खुलासा हुआ है। 

चाइनीज स्मार्टफोन वीवी और सायबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के ज्वॉइंट सर्वे में हिस्सा लेने वाले आधे से ज्यादा लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्हें मोबाइल की लत इतनी बुरी तरह लग गई है कि वह इसके बगैर नहीं रह सकते। इन लोगों ने अपने सोशल हैंडल से कभी मोबाइल स्विच ऑफ करने का प्रयास नहीं किया। जबकि लगभग सभी लोगों ने इस बात को माना है कि वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से वर्चुअल बातचीत करते हैं। 

मोबाइल की लत से मम्मी-पापा भी नहीं बोल पा रहा मासूम

सीएमआर में इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप हेड प्रभु राम ने कहा, 'सर्वे के मुताबिक स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ा है। स्मार्टफोन लोगों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सबसे प्रमुख डिवाइस बनती जा रही है, हालांकि लोगों ने इस बात को समझा है कि कुछ समय फोन स्विच ऑफ रखने से उनकी हेल्थ को फायदा होगा।'

सर्वे में तीन में से एक व्यक्ति ने माना कि वह बिना फोन चेक किए अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से लगातार पांच मिनट भी बातचीत नहीं कर पाते। पांच में तीन लोगों ने माना कि मोबाइल फोन से अलग लाइफ का होना बेहद जरूरी है। खुशहाल जिंदगी के लिए मोबाइल का अपेक्षाकृत कम इस्तेमाल जरूरी है। 

सर्वे में देश के 8 प्रमुख शहरों में लोगों के साथ बातचीत की गई। साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी प्रतिक्रिया ली गई। हिस्सा लेने वाले 2000 लोगों में से 36 फीसदी महिलाएं और 64 फीसदी पुरुष थे। 
 

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