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बनानी है सेहत तो ट्रेडमिल छोड़ पेड़ों पर चढि़ए जनाब

गांवों में आज भी बच्चे पेड़ों पर चढ़कर खूब खेलते हैं। शहरों की आधुनिक जिंदगी में यह खेल फिट नहीं बैठता है। मगर एक शोध में कहा गया है कि पेड़ों पर चढ़ने के खेल से शरीर की सभी मांसपेशियां टोन होती...

बनानी है सेहत तो ट्रेडमिल छोड़ पेड़ों पर चढि़ए जनाब
एजेंसी,लंदन Mon, 16 Jul 2018 06:49 PM
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गांवों में आज भी बच्चे पेड़ों पर चढ़कर खूब खेलते हैं। शहरों की आधुनिक जिंदगी में यह खेल फिट नहीं बैठता है। मगर एक शोध में कहा गया है कि पेड़ों पर चढ़ने के खेल से शरीर की सभी मांसपेशियां टोन होती हैं। 

अच्छा होता है मूड 
ब्रिटेन के फिटनेस विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इस कसरत से न सिर्फ मांसपेशियां दुरुस्त होती हैं, बल्कि मूड अच्छा होता है और दिमाग का कामकाज भी बेहतर होता है। नियमित रूप से दो घंटे इस खास व्यायाम को देने से काफी अच्छे परिणाम मिलते हैं। 

हमारी पीढ़ी में खो गया लचीलापन
फिटनेस एक्सपर्ट बेन मेडर का कहना है कि हम हद से ज्यादा सुविधाओं के आदी हो चुके हैं। हर समय सुविधाओं के दायरे में रहने की वजह से हमारा शरीर भी उसी तरह से बनता जा रहा है। छोटी सी हरकत भी काफी मुश्किल लगती है। हमारे पूर्वज भी तो पहले पेड़ों पर चढ़ते, कूदते और फांदते रहते थे। उनके शरीर में काफी लचीलापन था, हमारी पीढ़ी से यह चीज लगभग गायब हो गई है। 

घर में कैद रहने से डिप्रेशन का खतरा
एक चाय ब्रांड के शोध में कहा गया है कि घर की ऐशो-आराम से निकलकर प्रकृति के बीच जाने से शरीर पर चौतरफा असर होगा। अमेरिकी विशेषज्ञ घर से बाहर निकलने की झिझक को नेचर डेफिसिट डिसऑर्डर करार दिया है। उनका कहना है कि घर के अंदर कैद रहने से चिड़चिड़ेपन और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। 

कई देशों में हो रही प्रकृति से जुड़ने की कोशिश
हालांकि दुनिया के कई देशों में प्रकृति के करीब जाने की कोशिश में तेजी आ रही है। मिसाल के तौर पर कुछ साइकोलॉजिस्ट अपनी क्लीनिक में बैठकर काउंसलिंग करने की जगह वॉकिंग थेरेपी यानी टहलने को तरजीह दे रहे हैं। जापान में एक नई तरह की एक्सरसाइज फॉरेस्ट बाथिंग या शिनरिन योकू लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसके तहत खुद को पूरी तरह प्रकृति के हवाले करना होता है। 

पड़ों पर चढ़ना, यानी बचपन को जीना
ब्रिटिश विशेषज्ञ बेन मेडर भी एक तरह के नैचुरल मूवमेंट कोच हैं, जो लोगों को प्रकृति के बीच समय बिताने के लिए न सिर्फ प्रेरित करते हैं, बल्कि उनके साथ अलग-अलग तरह के क्रियाकलाप में भी लगे रहते हैं। पेड़ों पर चढ़ने के व्यायाम को मेडर इनसान के विकास के क्रम से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह बचपन में हम घुटनों के बल सरकते हैं, बैलेंस बनाना सीखते हैं, चीजों को पकड़ने की कोशिश करते हैं। हमारे यह सारे स्किल इस कसरत में फिर से ताजा हो जाते हैं।

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