कैंसर की वजह बन सकता है ओवेरियन सिस्ट, हल्के में ना लें
ओवेरियन सिस्ट महिलाओं को होने वाली आम समस्या है। मगर आजकल महिलाओं में यह समस्या बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से उन्हें कई बार विभिन्न परेशानियों से गुजरना पड़ता...
महिलाओं की प्रजनन प्रणालि का हिस्सा है ओवरी
ओवेरियन सिस्ट महिलाओं को होने वाली आम समस्या है। मगर आजकल महिलाओं में यह समस्या बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से उन्हें कई बार विभिन्न परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ओवरी महिलाओं की शारीरिक संरचना का अहम अंग है और प्रजनन प्रणालि का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गर्भाशय के दोनों तरफ निचली ओर स्थित होता है। ये अंडे के साथ ही एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का भी उत्पादन करता है। आज हम ओवरी में होने वाले सिस्ट के बारे में बात करेंगे। आइए जानते हैं ओवेरियन सिस्ट के कारण, समस्याओं और इसके निवारण के बारे में
ओवरियन सिस्ट
औरतों के दो ओवरी होते हैं। जब किसी एक ओवरी में द्रव से भरी हुई थैली उत्पन्न हो जाती है उसे सिस्ट कहते हैं। माना जाता है कि ज्यादातर महिलाओं को उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार सिस्ट का विकास होता है।
ओवेरियन सिस्ट के प्रकार
1. फॉलिकल सिस्ट
महिलाओं के मासिक चक्र के दौरान फॉलिकल थैली में एक अंडे का विकास होता है। अधिकांश मामलों में यह थैली टूट जाती है और अंडा रिलीज हो जाता है। जब फॉलिकल टूटता नहीं और अंडा रिलीज नहीं करता तब उसके अंदर का फ्लूइड सिस्ट बना देता है। आमतौर पर यह समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाता है।
2. कार्पस लुटियम सिस्ट
अंडा निकलने के बाद फॉलिकल नष्ट हो जाते हैं। यदि यह फॉलिकल नष्ट नहीं होता तो इसमें अतिरिक्त द्रव इकठ्ठा हो जाता है जिसकी वजह से कार्पस लुटियम सिस्ट बनता है।
3. डरमोईड सिस्ट
सिस्ट जिनमें बाल, चमड़ी या दांत जैसे टिशू होते हैं, दूसरे टिशू बनाने के लिए इस तरह के टिशू का विकास असामान्य तरीके से होता है।
4. सिस्टाडेनोमास सिस्ट
यह ओवरी के बाहरी सतह पर विकसित होता है। यह पानी या फिर म्यूकस मटेरियल से भरा हो सकता है।
5. एंडोमेट्रियमोमास सिस्ट
जब कोई टिशू गर्भाशय के अंदर बनता है तो वो गर्भाशय के बाहर भी विकसित होने लगता है और अंडाशय से जुड़ा होता है जिसके कारण सिस्ट बनता है। ऐसा तब होता है जब यूटरन एंडोमेट्रियल कोशिका गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है।
6. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
यह वह स्थिति है जब दोनों ओवरी में विभिन्न छोटे सिस्ट विकसित होने लगते हैं। यह कई सारे हार्मोनल समस्याओं से जुड़ा हुआ है।
ओवेरियन कैंसर क्या है?
ओवेरियन कैंसर तब होता है जब गर्भाशय में मौजूद ट्यूब्स नष्ट होने लगती हैं और ओवरी में छोटे छोटे सिस्ट बनने लगते हैं। इसका पता तब चलता है जब यह पेल्विस और पेट के अंदर फैल जाता है। ओवेरियन कैंसर कभी भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर यह चालीस की उम्र के बाद या फिर मेनोपॉज के बाद होता है।
ओवेरियन कैंसर के प्रकार
एपिथेलियल ट्यूमर
यह दोनों ओवरी के बाहर टिशू बनाता है। एपिथेलियल ट्यूमर बहुत ही आम प्रकार का ओवेरियन कैंसर होता है।
जर्म सेल कार्सिनोमा ट्यूमर
यह बहुत ही दुर्लभ प्रकार का कैंसर होता है जिसकी शुरुआत सेल में होती है और जो अंडे बनाता है। स्ट्रोमल ट्यूमर यह उस सेल में होता है जो औरतों के हार्मोन्स प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन उत्पादित करता है।
ओवेरियन सिस्ट और ओवेरियन कैंसर के लक्षण
जब ओवेरियन सिस्ट छोटा होता है तो इसके लक्षण का पता नहीं चल पाता पर जैसे-जैसे यह बड़ा होने लगता है आपको अलग-अलग तरह के लक्षण दिखने लगेंगे। ओवेरियन सिस्ट और ओवेरियन कैंसर के लक्षण लगभग एक ही होते हैं।
1. पेट में सूजन
2. श्रोणि में दर्द (मासिक धर्म के पहले या बाद)
3. कमर के नीचले हिससे में दर्द
4. जी मिचलाना और उल्टी
5. पेट में भारीपन
6. अपच
7. जल्दी सन्तुष्टता होना
8. मूत्र तत्कालता
9. थकान
10. तेज सांसे चलना
11. अनियमित मासिक धर्म
12. कब्ज
कारण
1. पहले मासिक धर्म
2. अनियमित मासिक चक्र
3. पहले से ही ओवेरियन सिस्ट की उपस्थिति
4. बांझपन
5. मोटापा
6. हार्मोनल समस्या
7. श्रोणि में इन्फेक्शन
ओवेरियन कैंसर के कारण ओवेरियन सिस्ट से मिलते हैं जिसमें यह लक्षण भी होते हैं।
1. पारिवारिक इतिहास
2. जींस का उत्परिवर्तन जो ओवेरियन कैंसर से जुड़ा है जैसे BRCA1 और BRCA2
3. फर्टिलिटी ड्रग का प्रयोग
4. एंडोमेट्रिओसिस
5. उम्र
6. हार्मोनल थेरेपी
क्या ओवेरियन सिस्ट के कारण ओवेरियन कैंसर होता है?
आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होता और बिना किसी इलाज के अपने आप ही खत्म हो जाता है। कई महिलाओं में सिस्ट का विकास उनके रिप्रोडक्टिव पीरियड के दौरान होता है। सिस्ट के कारण ओवेरियन कैंसर हो भी सकता है और नहीं भी।
कई सिस्ट कैंसर का रूप नहीं लेते लेकिन कुछ मामलों में ऐसा संभव है। जैसा कि सिस्ट और कैंसर के लक्षण एक जैसे ही होते हैं इसलिए इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि कुछ जांच और परीक्षण से इसका पता लगाया जा सकता है। सही समय पर चिकित्सीय ध्यान देकर कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
डायग्नोसिस नियमित श्रोणि के परीक्षण से ओवेरियन सिस्ट और कैंसर की संभावनाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है। टेस्ट का प्रकार सिस्ट के साइज़ और कम्पोजीशन पर निर्भर करता है। डॉक्टर इमेजिंग टूल्स की मदद से सिस्ट का पता लगा सकते हैं।
सी टी स्कैन: आंतरिक ऑर्गन्स के क्रॉस सेक्शनल इमेज बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है ताकि सिस्ट का पता लगाया जा सके।
एमआरआई: इसका प्रयोग आंतरिक अंगों की गहरी छवि के लिए किया जाता है ताकि सिस्ट का इलाज हो सके।
अल्ट्रासाउंड टेस्ट (अल्ट्रासोनोग्राफी): इसका प्रयोग सिस्ट के साइज, शेप, लोकेशन और कम्पोजीशन को जानने के लिए किया जाता है।
कई सारे टेस्ट के बाद भी जब सिस्ट में कोई बदलाव नजर नहीं आता तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर कुछ और टेस्ट करते हैं जैसे
प्रेगनेंसी टेस्ट: प्रेगनेंसी की संभावना को रद्द करने के लिए।
CA-125 रक्त की जांच: ओवेरियन कैंसर की जांच के लिए।
हार्मोनल लेवल टेस्ट: हार्मोन से संबंधित परेशानी की जांच के लिए। ओवेरियन सिस्ट की तरह ओवेरियन कैंसर की जांच का पहला स्टेज श्रोणि परिक्षण होगा जो आसामान्य मास और लम्प का पता लगाने में मदद करेगा।
कुछ अन्य टेस्ट
कोलोनोस्कोपी: इसमें बड़ी आंत का परीक्षण शामिल होता है ताकि दूसरी समस्याओं का पता लगाया जा सके।
एब्डोमिनल फ्ल्यूइड एस्पिरेशन: पेट में तरल पदार्थ के निर्माण की जांच के लिए।
ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासॉउन्ड: रिप्रोडक्टिव अंगों में ट्यूमर की जांच के लिए।
बीओप्सी: इसमें ओवेरियन टिशू के नमूने का विश्लेषण शामिल है।
इलाज का विकल्प
ओवेरियन सिस्ट का इलाज उसके साइज, प्रकार, लक्षण और मरीज़ की उम्र पर निर्भर करता है। उपचार निम्नानुसार हो सकता है।
कंट्रासेप्टिव पिल्स: कंट्रासेप्टिव पिल्स ओवुलेशन को रोकता है और साथ ही नए सिस्ट का विकास भी नहीं होने देता।
सर्जरी: यदि सिस्ट बड़ा है और वह बढ़ता ही जा रहा है तो ऐसे में सर्जरी के माध्यम से उसे हटाया जा सकता है। सिस्ट प्रभावित ओवरी को निकाल कर या फिर बिना निकाले भी हटाया जा सकता है।
कीमोथेरेपी: कैंसर के सेल्स को खत्म करने के लिए कुछ दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसमें जो दवा इस्तेमाल होती है वह सेल्स को विभाजित होने और बढ़ने से रोकता है।
टार्गेटेड थेरेपी: इस इलाज में उन दवाइयों का प्रयोग होता है जो बिना सामान्य सेल्स को प्रभावित किए हुए कैंसर के सेल्स को पहचान कर उनको खत्म करते हैं।