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Covid-19:कोविड महामारी के चलते महिलाएं स्वास्थ्य जांच कराने में हुई असमर्थ

देश में पिछले वर्ष स्तन कैंसर के 1,62,468 मामले सामने आए थे और मौजूदा हालात में कोविड-19 महामारी के चलते महिलाएं अपनी स्वास्थ्य जांच नहीं करा पा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप गैर-संचारी रोग जैसे दिल की...

Covid-19:कोविड महामारी के  चलते महिलाएं स्वास्थ्य जांच कराने में हुई असमर्थ
वार्ता,नई दिल्लीThu, 15 Oct 2020 06:50 PM
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देश में पिछले वर्ष स्तन कैंसर के 1,62,468 मामले सामने आए थे और मौजूदा हालात में कोविड-19 महामारी के चलते महिलाएं अपनी स्वास्थ्य जांच नहीं करा पा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप गैर-संचारी रोग जैसे दिल की बीमारियां, मधुमेह और कैंसर जैसी अन्य समस्याएं लोगों के स्वास्थ्य पर बोझ बनती जा रही हैं। 
 
स्तन कैंसर दुनिया भर के विकसित एवं विकासशील देशों की महिलाओं में मौत का मुख्य कारण रहा है। भारत में हर साल स्तन कैंसर के 1.5 लाख से अधिक मामलों का निदान किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक 2०26 तक भारत में तकरीबन 2.3 लाख महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित होंगी, जो पश्चिमी देशों के समकक्ष है। 

इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कैंंसर रोग विशेषज्ञ  डॉ. रमेश सरीन ने बताया कि कोविड-19 महामारी से पहले  अस्पताल में हर महीने  तकरीबन 4०० महिलाएं स्क्रीनिंग के लिए और कम से कम 2०० महिलाएं पोस्ट- ऑपरेटिव फॉलोअप के लिए आती थीं।  लेकिन लॉकडाउन के बाद से इस संख्या में 7० फीसदी गिरावट आई है।

अगस्त-सितम्बर माह में दूसरी एवं तीसरी अवस्था के कैंसर के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है, इससे साफ है कि पिछले 6 महीनों के दौरान इन मरीज़ों में इलाज की अनदेखी करने के कारण पहली अवस्था का कैंसर जानलेवा तीसरी अवस्था तक पहुंच गया है।'

डॉ .सरीन ने कहा, “उम्र बढ़ने के साथ स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ता चला जाता है। भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर पश्चिमी महिलाओं की तुलना में 1० साल पहले होता है क्योंकि भारतीय महिलाओं में आनुवंशिक और जीवनशैली से जुड़े कारक इसके मुख्य कारण हैं।

भारत में कैंसर पीड़ित तकरीबन 12 फीसदी महिलाओं की उम्र 3०-4० वर्ष के बीच है और 5० फीसदी मामलों में महिलाओं की उम्र 4०-5० वर्ष के बीच है। इसके विपरीत 3०-4० वर्ष की उम्र में स्तन कैंसर के सिर्फ 7 फीसदी मामले पाए गए हैं।' 

उन्होंने कहा कि 4० की उम्र के बाद महिलाओं को हर साल मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है। हालांकि परिवार के इतिहास एवं व्यक्तिगत इतिहास के आधार पर अलग शेड्यूल की सलाह दी जा सकती है। जिन महिलाओं में स्तनों के टिश्यूज़ घने होते हैं, उन्हें मैमोग्राम के साथ उच्च गुणवत्ता का अल्ट्रासाउण्ड भी कराना चाहिए।

स्तन कैंसर का जल्द निदान होने पर उपचार की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं। देर से निदान के मामले में मरीज़ को पैलिएटिव केयर देनी होती है।''स्तन कैंसर को न केवल हराया जा सकता है बल्कि इससे बचा भी जा सकता है। 

डा़ सरीन ने बताया कि  स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, शराब का सेवन सीमित मात्रा में करना, तंबाकू का सेवन न करना और नियमित व्यायाम के द्वारा स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। तनाव का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

स्तन कैंसर के इलाज के लिए दिशानिदेर्श बदल गए हैं। दवाओं या कीमोथेरेपी या दोनों के द्वारा कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है  स्तनों में कोई भी बदलाव होने पर चिकित्सक की सलाह लें। कोविड-19 के कारण अपने निदान, स्क्रीनिंग को न टालें, क्योंकि निदान और इलाज में देरी जानलेवा साबित हो सकती है।' गौरतलब है कि अक्टूबर माह को स्तन कैंसर जागरुकता माह के रूप में मनाया जाता है।

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