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Covid-19:17 साल तक टिकेगी कोरोना से लड़ने की ताकत, शोधकर्ताओं ने जताई उम्मीद

मानव शरीर में कोरोना से लड़ने की ताकत कम से कम 17 साल टिकने की उम्मीद जगी है। दरअसल, सिंगापुर में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सार्स से उबरने वाले मरीजों में अब भी वायरस से लड़ने वाली टी-कोशिकाओं...

Covid-19:17 साल तक टिकेगी कोरोना से लड़ने की ताकत, शोधकर्ताओं ने जताई उम्मीद
एजेंसी,लंदनSat, 18 Jul 2020 06:44 AM
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मानव शरीर में कोरोना से लड़ने की ताकत कम से कम 17 साल टिकने की उम्मीद जगी है। दरअसल, सिंगापुर में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सार्स से उबरने वाले मरीजों में अब भी वायरस से लड़ने वाली टी-कोशिकाओं की मौजूदगी दर्ज की है। चूंकि, सार्स वायरस की जेनेटिक संरचना कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 विषाणु से काफी मिलती-जुलती है, इसलिए माना जा रहा है कि कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी लंबे समय तक बनी रह सकती है।

2003 में हुई थी सार्स की दस्तक-
-सार्स एक श्वास संक्रमण है, जिसने साल 2003 में एशिया में दस्तक दी थी। हालांकि, बीते 15 साल में इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है। मगर, ‘जर्नल नेचर’ में प्रकाशित शोध में देखा गया कि उस दौरान संक्रमित कुछ मरीजों में टी-कोशिकाएं अब भी मौजूद हैं। इससे स्पष्ट है कि ये लोग दोबारा सार्स संक्रमण की जद में नहीं आएंगे। कैरोलिंस्का यूनिवर्सिटी के शोध में भी बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों में टी-कोशिकाएं बनती दिखी थीं। माना गया था कि इन कोशिकाओं के चलते ही मरीजों में लक्षण नहीं पनप सके।

सभी 23 प्रतिभागियों में मिलीं टी-कोशिकाएं-
-अध्ययन के दौरान ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने सार्स का शिकार हो चुके 23 वयस्कों के खून के नमूने इकट्ठे किए। इसके बाद यह जांचा कि प्रतिभागियों में सार्स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है या नहीं। सभी प्रतिभागियों में सार्स से लड़ने वाली टी-कोशिकाएं मौजूद मिलीं। दूसरे चरण में शोधकर्ताओं ने सार्स-कोव-2 वायरस के अंश को प्रतिभागियों के खून के नमूने के संपर्क में लाकर देखा। इस दौरान टी-कोशिकाएं वायरस पर तेजी से हमला करती नजर आईं।

कोविड-19 पर असर आंकना बाकी-
-विशेषज्ञों कोरोना संक्रमण के खिलाफ पैदा होने वाली प्रतिरोधक क्षमता को लेकर स्पष्ट नहीं हैं। उनके मुताबिक संक्रमितों के शरीर में पैदा होने वाले एंटीबॉडी ज्यादा समय तक सुरक्षा कवच नहीं प्रदान करते। लेकिन ये दावे एंटीबॉडी टेस्ट पर आधारित हैं, जो टी-कोशिकाओं की मौजूदगी आंकने में असमर्थ हैं। सार्स से उबर चुके मरीजों में इतने लंबे समय तक प्रतिरोधक कोशिकाओं की मौजूदगी देख विशेषज्ञों में भरोसा जगा है कि कोरोना को मात देने की ताकत भी कई साल टिकी रहेगी।

क्या होती हैं टी-कोशिकाएं-
-टी-कोशिकाएं एक तरह की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं। रोगों से लड़ने की क्षमता निर्धारित करने में ये बेहद अहम भूमिका निभाती हैं।

दो तरह से करतीं सुरक्षा-
-टी-कोशिकाएं दो तरह की होती हैं। पहली, ‘किलर टी-कोशिकाएं’ जो रोगाणुओं का खात्मा करती हैं। दूसरी, ‘हेल्पर टी-कोशिकाएं’ जो बाहरी तत्वों की पहचान कर प्रतिरोधक तंत्र के अन्य हिस्सों को सक्रिय बनाती हैं।

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