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Covid-19: लक्षणों के हिसाब से कोरोना रोगियों की एक नहीं होती हैं 5 श्रेणियां, जानें सबके बारे में

कोरोना वायरस के असिम्प्टोमैटिक मरीजों के बारे में काफी बात हो रही है लेकिन आपको बता दें कि सिर्फ असिम्प्टोमैटिक ही नहीं कोरोना के मरीजों को लक्षण और उनकी हालत के हिसाब से पांच श्रेणियों में बांटा गया...

Covid-19: लक्षणों के हिसाब से कोरोना रोगियों की एक नहीं होती हैं 5 श्रेणियां, जानें सबके बारे में
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 21 Apr 2020 08:52 AM
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कोरोना वायरस के असिम्प्टोमैटिक मरीजों के बारे में काफी बात हो रही है लेकिन आपको बता दें कि सिर्फ असिम्प्टोमैटिक ही नहीं कोरोना के मरीजों को लक्षण और उनकी हालत के हिसाब से पांच श्रेणियों में बांटा गया है। आइए इन श्रेणियों के बारे में जानते हैं।

असिम्प्टोमैटिक
संक्रमित होने के बावजूद जब मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं दिखते तो उन्हें असिम्प्टोमैटिक श्रेणी में रखा जाता है। इन्हीं मरीजों से आज सबसे बड़ा खतरा है क्योंकि इनकी तलाश करना सबसे मुश्किल काम है। सबसे बड़ी समस्या कि लोग ऐसे लोगों से अपना बचाव कैसे करें क्योंकि असिम्प्टोमैटिक मरीज भी उतनी तेजी से संक्रमण फैला सकता है जितना पॉजिटिव संक्रमित पाया गया व्यक्ति। इन्हें रोकने के लिए सामाजिक दूरी ही एक मात्र तरीका है। 

माइल्ड
अमेरिकी एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, माइल्ड श्रेणी वाले मरीजों में सर्दी-जुकाम के साथ तेज बुखार, सूखी खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं और दो हफ्ते के बाद वह ठीक होने लगते हैं। इन मरीजों में लक्षण नजर आते हैं इसलिए ऐसे लोगों को आसानी से अलग किया जा सकता है। भारत में युवाओं में आमतौर पर इसी तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं।

मॉडरेट
जब मरीज माइल्ड से बदतर स्थिति में चला जाता है तो उसे मॉडरेट श्रेणी में रखा जाता है। इसमें फेफड़ों में सूजन, तेज बुखार और काफी तेज खांसी आने लगती है। फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है जिससे सोते समय भी परेशानी महसूस होती है और हालत बदतर होती चली जाती है। ज्यादातर पुष्टि वाले में मामलों में ऐसे लक्षण नजर आने लगते हैं।

सीवियर
इसमें मरीज निमोनिया से पीड़ित हो जाता है और सांसें फूलने लगती है। यहां तक कि प्रति मिनट 30 या उससे ज्यादा बार सांस लेने की नौबत आ जाती है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। सीना, पेट और पीठ की ओर काफी तेज दर्द होता है। पेट काफी सख्त हो जाता है और खाने-पीने में मुश्किल महसूस होती है।

क्रिटिकल
यह सबसे खराब स्थिति होती है। ऑक्सीजन न मिलने से शरीर के अंग एक-एक कर काम करना बंद करने लगते हैं। ऐसे हालात में मरीज को सबसे ज्यादा जीवन रक्षक उपकरणों की जरूरत होती है। हालांकि, यह हालात तभी आती है जब शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र बेहद कमजोर होता है या कोई गंभीर बीमारी उन्हें हुई हो। 

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