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खांसी के साथ अगर खून आए तो हो सकती है यह बीमारी, जानें इसके उपाय

खांसी के साथ अगर खून आने लगे तो डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए क्योंकि यह हीमोप्टाइसिस नामक बीमारी का संकेत है। यह एक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. केएम...

खांसी के साथ अगर खून आए तो हो सकती है यह बीमारी, जानें इसके उपाय
myupchar.com,नई दिल्ली Thu, 05 Dec 2019 01:54 PM
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खांसी के साथ अगर खून आने लगे तो डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए क्योंकि यह हीमोप्टाइसिस नामक बीमारी का संकेत है। यह एक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. केएम नाधीर के अनुसार, ज्यादातर मामलों में वायरस के कारण खांसी होती है और साधारण खांसी बिना इलाज के ही ठीक भी हो जाती है, लेकिन खांसी में खून आना, वो स्थिति है, जिसमें तत्काल इलाज की जरूरत होती है। खांसी में खून आना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा संकेत होता है।

   

हीमोप्टाइसिस और इसके कारण
जब बलगम या खांसते अथवा थूकते समय खून आता है तो यह हीमोप्टाइसिस बीमारी हो सकती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा। युवावस्था या स्वस्थ्य व्यक्ति में कभी-कभार ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन यदि खांसी के साथ लगातार ब्लड आ रहा है और अधिक मात्रा में आ रहा है तो यह चिंताजनक है। यह फेफड़े या पेट की किसी बीमारी का संकेत है। खांसी को जल्द ही गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि इससे जुड़ी बीमारियों की लिस्ट लंबी है-
लम्बी या गंभीर खांसी: लगातार खांसी का असर ऊपरी सांस नली (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) पर पड़ता है और रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण खून आता है।
ब्रोंकाइटिस: बलगम के कारण हवा को फेफड़ों तक ले जाने वाली नली में सूजन आ जाती है। इस स्थिति को ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इसके खांसते समय कफ निकलता है। 
लगातार ब्रोंकाइटिस बना रहे तो खांसी के साथ खून आने लगता है। 
ब्रोन्किइक्टेसिस: ब्रोन्किइक्टेसिस के कारण भी खांसी में खून आता है। फेफड़ों के वायु मार्ग के कुछ हिस्सों के स्थायी रूप से फैलने के कारण यह स्थिति बनती है। इसके कारण संक्रमण, सांस की तकलीफ और घरघराहट होती है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी): सीओपीडी यानी फेफड़ों तक आने-जाने वाली वायु के मार्ग में अवरोध। इसके कारण खांसी बनी रहती है, सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट होती है। 
निमोनिया: इसके कारण फेफड़ों में संक्रमण होता है और खून वाला बलगम निकल सकता है। निमोनिया में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में परेशानी होती है, खांसी, थकान, बुखार, पसीना और सीने में दर्द बना रहता है। 
फेफड़ों का कैंसर: जो लोग 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और तंबाकू का सेवन करते हैं, तो उन्हें फेफड़े के कैंसर की आशंका अधिक होती है। इसकी शुरुआत खांसी से होती है जो दूर नहीं होती है, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और कभी-कभी हड्डी में दर्द या सिरदर्द होता है।
गर्दन का कैंसर: यह आमतौर पर गले या विंडपाइप में शुरू होता है। इससे गले में सूजन या खराश पैदा होती है जो आसानी से ठीक नहीं होती। इसके कारण खांसी में खून आता है।
टीबी: एक बैक्टीरिया फेफड़ों के इस गंभीर संक्रमण का कारण बनता है, जिससे बुखार, पसीना, सीने में दर्द, सांस लेते समय दर्द या खांसी होती है।
हार्ट वाल्व का सिकुडना: हार्ट के माइट्रल वाल्व की सिकुड़ना सांस की तकलीफ और लगातार खांसी का कारण बन सकता है। इस स्थिति को माइट्रल वाल्व स्टेनोसिस कहा जाता है।
नशीली दवाओं का सेवन: नाक के जरिए ली जाने वाली ड्रग्स, जैसे कोकीन, के कारण श्वास मार्ग पर असर पड़ता है और खांसी में खून आता है। साथ ही खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं जैसे वारफारिन, रिवेरोकाबान, डाबीगाट्रान और एपिक्सबैन भी इसका कारण बनती हैं।

 

डॉक्टर को कब दिखाएं
खांसी में खून आना हीमोप्टाइसिस का सबसे बड़ा संकेत है, लेकिन भूख न लगना, बिना कारण के वजन घट जाना, मूत्र या मल में खून आना, सीने में दर्द, चक्कर आना, बुखार, सांस की तकलीफ हो तो भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

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स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं

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