जानें कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कितने मीटर की दूरी होनी चाहिए
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं। यहां हम विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य...
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं। यहां हम विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही कोरोना से जुड़ी जानकारियों को आप तक पहुंचाएंगे।
कोरोना वायरस के लिए क्या कोई भी एंटी वायरल दवा कारगर नहीं है?
रूमेटोलॉजिस्ट एवं क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. स्कंद शुक्ला के अनुसार, जीवाणु (बैक्टीरिया) और विषाणु (वायरस) दोनों अलग होते हैं। जीवाणु एककोशिकीय जीव हैं। उनके भीतर स्वतंत्र जीवन जीने लायक सारी मशीनरी मौजूद होती है। पर, विषाणु जिंदा रहने और बढ़ने के लिए हमारी कोशिका की मशीनरी का प्रयोग करता है। एंटीबायोटिक दवाएं, जीवाणु-कोशिकाओं के भीतर कोई दोष पैदा करती हैं, जिससे वह जीवाणु मर जाता है। पर, एंटीवायरल दवा हमारी ही कोशिकाओं में गड़बड़ी पैदा करेगी तो उसके साइड इफेक्ट होंगे। इसीलिए एंटीवायरस दवाएं बनाना कठिन होता है, उसमें समय लगता है और इनकी संख्या कम है।
क्या कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दो लोगों के बीच एक से दो मीटर की दूरी पर्याप्त है?
‘जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्रॉपलेट के जरिये होने वाले कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए कम से कम दूरी 7 से 8 मीटर (27 फीट) होनी चाहिए। अध्ययन में यह भी इशारा किया गया है कि सिर्फ दूरी को ही ध्यान में रखना काफी नहीं है। जब कोई व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो छींक या खांसी के दौरान बाहर आईं ड्रॉपलेट का आकार अलग-अलग हो सकता है, तो उनके नष्ट होने में समय अलग-अलग हो सकता है। इसलिए कुछ ड्रॉपलेट के हवा में घंटों तक बने रहने का खतरा हो सकता है। हालांकि इस अध्ययन को ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शस डिजीज’ ने भ्रामक करार दिया है।