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दावा: नौ दिन बाद कोरोना रोगी से दूसरों में नहीं फैलता संक्रमण

संक्रामक कोरोना वायरस को लेकर ब्रिटेन के एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 रोगी नौ दिन बाद दूसरों में संक्रमण नहीं फैलाता है। अध्ययन के अनुसार, नौ दिन के बाद वायरस के प्रसार करने और...

दावा: नौ दिन बाद कोरोना रोगी से दूसरों में नहीं फैलता संक्रमण
एजेंसी ,लंदनFri, 31 Jul 2020 02:43 PM
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संक्रामक कोरोना वायरस को लेकर ब्रिटेन के एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 रोगी नौ दिन बाद दूसरों में संक्रमण नहीं फैलाता है। अध्ययन के अनुसार, नौ दिन के बाद वायरस के प्रसार करने और दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता खत्म हो जाती है। कोविड-19 महामारी को लेकर यह बहुत बड़ा दावा माना जा रहा है। 

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन में सामने आया कि नौ दिन बाद कोरोना वायरस शरीर में मौजूद तो रहता है, लेकिन इससे प्रसार नहीं होता। नौ दिन बाद वायरस का कान, तंत्रिका तंत्र और दिल पर असर बना रहता है, लेकिन यह एक तरीके से बेअसर हो जाता है। इसका मतलब अगर किसी को कोरोना हुआ है तो उससे सिर्फ नौ दिन तक ही संक्रमण फैलने का खतरा है। शोधकर्ताओं मुगे केविक और एंटोनियो हो का कहना है कि ये नतीजे अस्पताल में मरीज को जल्द डिस्चार्ज करने में मददगार साबित होंगे, जिससे ज्यादा लोगों को चिकित्सकीय सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। 
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने 98 शोधों के आंकड़ों का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर कोविड-19 मरीज के गले, नाक, मल में नौ दिन बाद भी कोरोना वायरस की मौजूदगी पाई जाती है, तो भी उससे संक्रमण नहीं फैलता है। शोधकर्ताओं ने सार्स सीओवी-2 के 79 शोधों के अलावा आठ सार्स सीओवी-1 और 11 मार्स सीओवी के शोधों को भी अपने अध्ययन में शामिल किया था।  

83 दिन तक गले में रहता है आरएनए : 
शोध के अनुसार, वायरस का जेनेटिक पदार्थ यानी कि आरएनए गले में 17 से 83 दिन तक रहता है, लेकिन यह आरएनए खुद संक्रमण नहीं फैलाता। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पीसीआर टेस्ट ऐसे जेनेटिक आरएनए पदार्थ की पहचान करता है जो संक्रमण नहीं फैलाता, लेकिन संवेदनशीलता के कारण उसकी पहचान हो जाती है। 
 

पहले सप्ताह में ही संक्रमण का खतरा ज्यादा : 
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बहुत से अध्ययनों का यह मानना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में वायरल लोड बुखार के पहले सप्ताह में बहुत ज्यादा होता है। जिससे, यह लक्षण दिखने के शुरुआती पांच दिन में सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है। बहुत से लोगों को जब तक पता चलता है, तब तक वे संक्रमण फैलाने के दौर से गुजर चुके होते हैं।   
आइसोलोशन दिशा-निर्देश में बदलाव की जरूरत : 
शोधकर्ताओं का मानना है कि मरीज को शुरुआती दिनों में आइसोलेट करना बेहद अहम है। इसके अलावा असिम्पटोमैटिक मरीज भी शुरुआत में ही संक्रमण ज्यादा फैला सकते हैं। अध्ययन के नतीजों के अनुसार, किसी मरीज को ज्यादा लंबे समय तक अस्पताल में रखने की जरूरत नहीं है। 
 

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