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ब्रेकियल प्लेक्सस: कहीं लकवे की चपेट में न आ जाएं आपके हाथ

तंत्रिकाओं के नेटवर्क यानी ब्रेकियल प्लेक्सस में किसी भी तरह की गड़बड़ी आपके हाथों को लकवाग्रस्त कर सकती है। क्या है यह समस्या और इस पर कैसे पाएं काबू, इस बारे में पूरी जानकारी देता आलेख ब्रेकियल...

ब्रेकियल प्लेक्सस: कहीं लकवे की चपेट में न आ जाएं आपके हाथ
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीFri, 22 Feb 2019 04:43 PM
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तंत्रिकाओं के नेटवर्क यानी ब्रेकियल प्लेक्सस में किसी भी तरह की गड़बड़ी आपके हाथों को लकवाग्रस्त कर सकती है। क्या है यह समस्या और इस पर कैसे पाएं काबू, इस बारे में पूरी जानकारी देता आलेख

ब्रेकियल प्लेक्सस, तंत्रिकाओं का नेटवर्क है,  जो आपके स्पाइनल कॉर्ड से आपके कंधों, बांहों और हाथों को सिग्नल देता है। ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी तब होती है, जब ये तंत्रिकाएं खिंच जाती हैं, दब जाती हैं या अधिक गंभीर मामलों में फट जाती हैं या स्पाइनल कॉर्ड से अलग हो जाती हैं।

कैसे होती है यह समस्या
सामान्यतया सड़क दुर्घटनाओं में इस प्रकार की चोटें लग जाती हैं। जन्म के समय बच्चों को ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी हो सकती है। दूसरी स्थितियां जैसे ट्यूमर या सूजन भी ब्रेकियल प्लेक्सस को प्रभावित कर सकती है। अधिकतर गंभीर ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी सड़क दुर्घटनाओं, गिरने या गोली लगने से होती हैं। इस कारण बांह लकवाग्रस्त हो सकती है। उसकी कार्यक्षमता और संवेदना समाप्त हो जाती है।

क्या है उपचार
यह एक ऐसी चोट है, जिसमें तुरंत ऑपरेशन नहीं किया जाता, पहले फिजियोथेरेपी की जाती है। इसमें कई प्रकार की मोशन एक्सरसाइज कराई जाती हैं, ताकि हाथों की शक्ति और लचीलेपन तथा तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली को सुधारा जा सके। अगर फिजियोथेरेपी और दूसरे उपचारों के 6 से 8 सप्ताह के बाद तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आता है, तो सर्जरी की सलाह दी जाती है।

ब्रेकियल प्लेक्सस के उपचार को सर्जरी 
और कई अति विकसित तकनीकों ने आसान और बेहतर बना दिया है। इसमें क्षतिग्रस्त तंत्रिकाओं को निकालकर उनके खुले सिरों 
को जोड़ दिया जाता है। यह सर्जरी माइक्रोस्कोप के अंदर की जाती है। इसमें महीन धागों का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार तंत्रिकाएं 
इतनी अधिक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं कि उन्हें निकालकर शरीर के दूसरे भाग से तंत्रिकाएं लेकर क्षतिग्रस्त भाग में लगा दी जाती हैं, जिसे कैबल ग्राफ्ट कहते हैं। ऑपरेशन के तुरंत बाद रिकवरी नहीं आती। कुछ महीने तक फिजियोथेरेपी करानी पड़ती है। 90 प्रतिशत मामलों में यह सर्जरी सफल रहती है। दुर्घटना के बाद जितनी जल्दी उपचार करा लिया जाता है, परिणाम उतने बेहतर आते हैं। अब स्टेम सेल के द्वारा उपचार किया जाने लगा है।

कैसे बचें
चोट लगने के बाद जटिलताओं को कम करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं। अगर यह सर्जरी चोट लगने के 2-3 महीने में करा ली जाए, तो ठीक रहता है। एक-डेढ़ साल तक इंतजार करने से समस्या और बढ़ जाती है। 
एक बार जब तंत्रिकाओं का पुनर्निर्माण कर 
दिया जाता है, तो ये प्रतिदिन लगभग आधा से लेकर एक मिलीमीटर तक रिकवर होती हैं। इसलिए थोड़ा धैर्य रखें, क्योंकि तंत्रिकाओं 
को रिकवर होने और सामान्य रूप से काम 
करने में समय लगता है। अगर प्रसव के दौरान आपके बच्चे को ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी हो गई है, तो न्यूरोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन को दिखाएं, उनके सुझाव के अनुसार उपचार कराएं।
(सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी विभाग के कंसल्टेंट 
डॉ. अनुभव गुप्ता से की गई बातचीत 
पर आधारित)

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