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थाली में संतुलित मात्रा में होना चाहिए अनाज, जानें

अनाज हमारी डाइट के सबसे महत्वपूर्ण भाग और ऊर्जा के सबसे प्रमुख स्रोत हैं। अनाज के दानों में जटिल कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, मिनरल्स, विटामिन्स के साथ फाइबर भी काफी मात्रा में पाया जाता...

Meenakshiहिन्दुस्तान फीचर टीमFri, 16 Nov 2018 05:32 PM

थाली में संतुलित मात्रा में होना चाहिए अनाज

 थाली में संतुलित मात्रा में होना चाहिए अनाज1 / 4

अनाज हमारी डाइट के सबसे महत्वपूर्ण भाग और ऊर्जा के सबसे प्रमुख स्रोत हैं। अनाज के दानों में जटिल कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, मिनरल्स, विटामिन्स के साथ फाइबर भी काफी मात्रा में पाया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इन अनाजों को हम अपनी थाली में जितनी अधिक संतुलित मात्रा में शामिल करेंगे, उतने ही अधिक सेहतमंद रहेंगे। जानकारी दे रही हैं शमीम खान

मारी थाली में अनाजों का स्थान सबसे प्रमुख होता है, लेकिन उनमें गेहूं और चावल की मात्रा बहुत अधिक होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि थाली में गेहूं और चावल ही नहीं, अन्य अनाजों को भी प्रमुख स्थान मिलना चाहिए।

गेहूं

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गेहूं

गेहूं विश्व में सबसे अधिक खाया जाने वाला अनाज है। विश्वभर के बाजारों में बिकने वाली खाने की हर दूसरी चीज में गेहूं होता है। रोटी, ब्रेड, बिस्किट, केक, पैस्ट्री, नूडल्स, पास्ता, मैक्रोनी जैसी अनगिनत चीजों को बनाने के लिए गेहूं का इस्तेमाल होता है। गेहूं में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है, लेकिन इसमें प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स, एंटी ऑक्सिडेंट्स और फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।  
गेहूं का सेवन है जरूरी : पोषकता और ऊर्जा से भरपूर गेहूं किसी भी डाइट का एक बेहतरीन आधार है। इसका सेवन वजन को नियंत्रित रखता है, टाइप 2 डायबिटीज और कोरोनरी हार्ट डिसीज के खतरे को कम करता है। उचित मात्रा में गेहूं से बने उत्पाद खाने से मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है।  

गेहूं में पाए जाने वाले फाइबर अघुलनशील होते हैं। ये पाचन मार्ग से उसी रूप में निकल जाते हैं। इनसे मल मुलायम और भारी हो जाता है, जिसे पास करना आसान होता है और कब्ज नहीं होती। गेहूं का सेवन आंतों के कैंसर का खतरा भी कम करता है, क्योंकि इसमें फाइबर, एंटी ऑक्सिडेंट्स और फायटो कैमिकल्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।

दलिया

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किस रूप में खाएं : 

गेहूं को होलग्रेन या साबुत अनाज के रूप में खाना सबसे अच्छा रहता है। इसे पीसने के बाद छानना नहीं चाहिए, बल्कि चोकरयुक्त आटे का सेवन करें। दलिया भी काफी पौष्टिक होता है। व्हाइट ब्रेड के बजाय आटा ब्रेड या होल ग्रेन ब्रेड का सेवन करें। बाजार में होलग्रेन नूडल्स, पास्ता और मैक्रोनी भी आसानी से उपलब्ध हैं।

मैदा और उससे बने उत्पादों का सेवन बिल्कुल न करें, क्योंकि यह हमारे शरीर के लिए धीमे सफेद जहर की तरह काम करता है। दरअसल मैदा, प्रोसेस्ड, रिफाइंड और ब्लीच्ड व्हीट फ्लोर है। गेहूं के दाने में तीन भाग होते हैं, एंडोस्पर्म, जर्म और ब्रान। प्रोर्सेंसग और रिफार्इंनग के दौरान जर्म और ब्रान निकल जाते हैं, केवल एंडोस्पर्म बचता है। जर्म और ब्रान के साथ सारे पोषक तत्व भी निकल जाते हैं और एंडोस्पर्म के रूप में केवल कार्बोहाइड्रेट बचता है।   

अधिक मात्रा में न खाएं :

गेहूं में कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में होता है। इसका प्रभाव ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है। इसके सेवन से रक्त में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है, जिसके शरीर पर हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं, विशेषकर उन लोगों में, जिन्हें डायबिटीज है। इसमें ऑक्जेलेट की मात्रा अधिक होती है। इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में ऑक्जेलेट का सेवन करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे किडनी स्टोन, गॉल ब्लैडर स्टोन और आथ्र्राइटिस। कई अध्ययनों में ये बात भी सामने आई है कि ग्लूटन (गेहूं में पाया जाने वाला प्रोटीन) का अधिक मात्रा में सेवन करने से मानसिक रोग जैसे सिजोफ्रेनिया और मिर्गी का खतरा बढ़ जाता है।

...तो न खाएं :

गेहूं में पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लूटन गंभीर इम्यून प्रतिक्रिया ट्रिगर कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले कुल प्रोटीन का 80 प्रतिशत ग्लूटन होता है। गेहूं के आटे में पानी मिलाने पर जो चिपचिपा और लचीलापन आता है, वो इसी के कारण आता है। जिन्हें सिलिएक डिसीज, ग्लूटन इनटॉलरेंस, व्हीट एलर्जी और इरिटेबल बाउर्ल ंसड्रोम (आईबीएस) है, उन्हें गेहूं का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

चावल

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चावल
हमारे देश में चावल की लगभग 1,000 किस्में पाई जाती हैं। ये सभी किस्में आकार, रूप, रंग और खुशबू में अलग-अलग होती हैं। कई चावल बहुत लंबे होते हैं, कुछ मध्यम आकार के होते हैं, तो कुछ बहुत छोटे। कोई भी चावल बिना छिलका निकाले नहीं खाया जाता है। पकाने के लिए कच्चे और पक्के (जिसे पारबॉइल्ड राइस कहा जाता है) दोनों चावलों का इस्तेमाल किया जाता है। चावल, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स और विटामिन्स के अच्छे स्रोत हैं। इनमें कैलोरी की मात्रा कम होती है।

कैसे पकाएं 
सभी चावलों को पकाने से पहले अच्छी तरह धोना चाहिए, ताकि गंदगी और अतिरिक्त स्टार्च निकल जाए। पकाने से पहले इन्हें 30 मिनट सामान्य पानी में भिगोकर रखना चाहिए। व्हाइट राइस को अधिक पानी में उबालकर, छान लेना चाहिए, ताकि पानी के साथ थोड़ा स्टार्च भी निकल जाए। लेकिन बासमती चावल, पारबॉइल्ड राइस और ब्राउन राइस को कम पानी में कुकर में भांप में पकाना चाहिए, क्योंकि उबालकर छान लेने से स्टार्च के साथ बहुत सारे पोषक तत्व भी निकल जाते हैं।  

(एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. रमन कुमार व  गाजियाबाद स्थित फ्लोरेंस हॉस्पिटल की न्युट्रीशनिस्ट एंड डायबिटीज एजुकेटर 
डॉ. सविता से की गई बातचीत पर आधारित)