हेल्थ अलर्ट: दमा के शिकार बच्चों में हृदयगति रुकने का खतरा
एक शोध में विशेषज्ञों ने कहा है कि दमा की समस्या से जूझ रहे बच्चों में आगे चलकर हृदयगति रुकने का खतरा बढ़ जाता है। उनका कहना है श्वसन तंत्र से संबंधित इस बीमारी के कारण हृदय का बायां चेंबर कमजोर होने...
एक शोध में विशेषज्ञों ने कहा है कि दमा की समस्या से जूझ रहे बच्चों में आगे चलकर हृदयगति रुकने का खतरा बढ़ जाता है। उनका कहना है श्वसन तंत्र से संबंधित इस बीमारी के कारण हृदय का बायां चेंबर कमजोर होने लगता है। इसके कारण हृदय की मांसपेशियों में खिंचाव कम होने लगता है और वे पंप करने की क्रिया करने में असमर्थ हो जाती हैं।
बच्चों में दमा और हृदय संबंधी बीमारी पर हुए अपनी तरह के इस पहले शोध में बताया गया है कि इस समस्या से आठ फीसदी बच्चे और सात फीसदी वयस्क प्रभावित होते हैं।
यह समस्या पिछले एक दशक से लगातार अपने पांव पसार रही है। इसके लिए काफी हद तक हमारे आसपास का वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार हो सकता है। अमेरिकी कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की पत्रिका में प्रकाशित हार्ट फेल्योर शोध पत्र में कहा गया है कि इस अध्ययन के लिए 1118 मरीजों की जांच की गई। इन सभी मरीजों की 10 साल के बाद दोबारा पड़ताल की गई।
शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन मरीजों को दमा की शिकायत थी, उनके हृदय का बायां चेंबर अधिक मोटा था। इसके अलावा शोध में यह भी पता चला कि दमा और वेंट्रिक्यूलर का यह संबंध उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों में ज्यादा मजबूत दिखा। विशेषज्ञों का कहना है कि हृदय के बायीं तरफ के चेंबर पर शरीर में रक्त की आपूर्ति करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
इसलिए जब रक्तचाप अधिक होता है या किसी अन्य कारण से हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, तो बायां हिस्सा बढ़ जाता है। एलएचवी (लेफ्ट वेंट्रिक्युलर हाइपरट्रोफी) के कारण सांस घुटने, सीने में दर्द और बेहोशी की समस्या हो सकती है।