उपलब्धि: कृत्रिम अंडाशय से मिल सकेगा मां बनने का सुख
वैज्ञानिकों ने थ्री डी तकनीक की मदद से अंडाशय विकसित करने का दावा किया है, जिससे संतान सुख से वंचित महिलाओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों का दावा है कि इस अंडाशय में अंडों के...
वैज्ञानिकों ने थ्री डी तकनीक की मदद से अंडाशय विकसित करने का दावा किया है, जिससे संतान सुख से वंचित महिलाओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों का दावा है कि इस अंडाशय में अंडों के बनने की प्रक्रिया सामान्य तरह से हो रही है।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वुमेंस हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने थ्री डी तकनीकी से प्रिंटेड अंडाशय का प्रयोग चूहों पर किया गया है। कृत्रिम अंडाशय की मदद से मादा चूहों में अंडे बनने की सामान्य प्रक्रिया भी हुई और उन्होंने सामान्य तरह से गर्भधारण भी किया। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में मां बनने से वंचित महिलाएं इस तकनीक की मदद से गर्भधारण कर सकेंगी।
संस्थान की निदेशक प्रोफेसर टेरेसा वुडरफ का कहना है कि यह कृत्रिम अंडाशय लंबे समय तक और सामान्य तरीके से काम करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि बायोइंजीनियरिंग से विकसित अंगों को प्रत्यारोपित करना, अंगदान के जरिये प्रत्यारोपित किए जाने वाले अंगों से अधिक बेहतर हो सकता है। यह बायोइंजीनियरिंग की पुनरुत्पादक चिकित्सा का बेहतरीन उदाहरण हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने कृत्रिम अंडाशय के निर्माण के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल किया, जो टूटे हुए कोलेजन से प्राप्त जैविक हाईड्रोजन से बनता है। यह इंसानों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित माना जाता है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई कि इस तकनीक में अभी और सुधार की गुंजाइश है।
शोध और परीक्षण के जरिये कृत्रिम अंडाशय में हॉर्मोन का उत्पादन करने योग्य बनाया जा सकता है। इससे कैंसर का उपचार कर रही महिलाओं में प्रजनन क्षमता पुन:स्थापित करने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन नेचर कम्यूनिकेशन पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।