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जागरूकता : आर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो घुटनों का रखें ध्यान

इस मौसम में कई रोगियों के घुटने का दर्द, अकड़न और असहजता बढ़ जाती है, क्योंकि वातावरणीय दबाव के कारण रक्तसंचार में बाधा होती है और कोमल ऊतकों का लचीलापन घट जाता है। इसे अकसर आयु संबंधी टूट-फूट या मौसमी...

जागरूकता : आर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो घुटनों का रखें ध्यान
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 16 Feb 2019 04:49 PM
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इस मौसम में कई रोगियों के घुटने का दर्द, अकड़न और असहजता बढ़ जाती है, क्योंकि वातावरणीय दबाव के कारण रक्तसंचार में बाधा होती है और कोमल ऊतकों का लचीलापन घट जाता है। इसे अकसर आयु संबंधी टूट-फूट या मौसमी बदलाव समझा जाता है, लेकिन ये आर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं, जैसे जोड़ों में जलन।

डॉक्टरी सहायता लें
समय पर डॉक्टरी सलाह लेने और आवश्यक सावधानियां बरतने से सर्दी आते ही सताने वाला दर्द बहुत कम हो सकता है। इसके लिए जीवनशैली में कुछ परिवर्तन किये जा सकते हैं। नई दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के डायरेक्टर डॉ़ धनंजय गुप्ता के अनुसार, लोग सर्दियों में आलसी हो जाते हैं। इससे घुटने प्रभावित हो सकते हैं और उस सूरत में दर्द बढ़ सकता है। ऐसे में 30 मिनट का नियमित व्यायाम करें। इससे जोड़ों में चिकनाई आती है और रक्तसंचार ठीक होता है। सक्रिय रहने से जोड़ों को सहयोग करने वाली मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जोड़ों की कार्यात्मकता में सुधार होता है। व्यायाम के साथ शरीर में पानी का स्तर ठीक रखने से जोड़ों की टूट-फूट पर नियंत्रण किया जा सकता है। घुटनों के पुराने दर्द या घुटने के आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के जोड़ों की स्थिति सर्दी में बढ़ सकती है। लेकिन यदि दर्द बहुत तेज है और घुटने का आथ्र्राइटिस पुराना हो चुका है, तो टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) पर विचार किया जा सकता है।

इस उपचार के प्रभाव पर अपनी राय रखते हुए डॉ़  गुप्ता कहते हैं, जब दवा और्थोस्कोपिक उपचार से रोगी को राहत नहीं मिलती है, तब टीकेआर की सलाह दी जाती है। गंभीर रूप से विकृत घुटनों के लिए यह अंतिम विकल्प है और सबसे सुरक्षित ऑर्थोपेडिक प्रोसीजर्स में से एक है। रोगग्रस्त नी कैप को बदलने से दर्द दूर होता है, घुटने की कार्यक्षमता वापस आ जाती है और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। इसकी पूरी प्रक्रिया के बाद सही फिजियोथेरेपी करने से रोगी छह सप्ताह में पूरी तरह ठीक हो जाता है, लेकिन प्रक्रिया के किसी भी स्तर में लापरवाही न बरतें।


सावधानी अपनाएं

कभी-कभी ऐसे रोगियों को भी सर्दी के दौरान दर्द होता है, जो चिकित्सकीय सलाह ले चुके हैं या घुटने की सर्जरी करवा चुके हैं। डॉक्टर के पास जाकर आप लक्षणों को बेहतर तरीके से समझेंगे। विशेषज्ञ आपकी मेडिकल प्रोफाइल का विश्लेषण करेंगे और उसके अनुसार सावधानी बताएंगे, जैसे व्यायाम, फिजियोथेरेपी, सही आहार आदि, ताकि सर्दियों के दौरान हड्डियां मजबूत रहें।

विशेषकर आथ्र्राइटिस के रोगी सक्रिय जीवनशैली अपनाकर जोड़ों के दर्द को काफी हद तक दूर रख सकते हैं। बाहर की ठंडी हवा को व्यायाम में बाधा न बनने दें। काम करते हुए या घर में रहते हुए छोटे ब्रेक लेकर चलते भी रहें, ताकि आपका वजन नियंत्रित रहे।

जोड़ों के लिए विटामिन डी सबसे अच्छा है। जितना हो सके धूप में रहें। अपने भोजन में पोषक तत्वों और विटामिनों से प्रचुर आहार शामिल करें, जैसे संतरा, पालक, फूलगोभी, डेयरी उत्पाद, सूखे मेवे आदि।


घुटनों के जोड़ में किसी अन्य जोड़ की तुलना में सबसे ज्यादा तनाव पड़ता है, इसलिए भारी-भरकम स्वेटर्स, कार्डिगन आदि न पहनें। इससे आपके शरीर का वजन बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे लोगों को हल्के कपड़े ही पहनने चाहिए। जोड़ों का मूवमेंट अपने बाहरी क्षेत्र में रक्तसंचार को बढ़ाता है और इससे अकड़न कम होती है। इसलिए अपने कंबल से बाहर निकलकर थोड़ी स्ट्रेचिंग एवं चहलकदमी कर लें।

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