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अल्जाइमर न बन जाए कूल्हे के फ्रैक्चर का कारण

अल्जाइमर को भूलने की बीमारी माना जाता है, लेकिन अब विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस कारण आप कूल्हे की हड्डी के टूटने की समस्या के भी शिकार हो सकते हैं। क्या है ये समस्या, बता रही हैं राजलक्ष्मी...

Anuradhaहिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीSat, 15 Dec 2018 12:23 PM

अल्जाइमर न बन जाए कूल्हे के फ्रैक्चर का कारण

अल्जाइमर न बन जाए कूल्हे के फ्रैक्चर का कारण1 / 5

अल्जाइमर को भूलने की बीमारी माना जाता है, लेकिन अब विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस कारण आप कूल्हे की हड्डी के टूटने की समस्या के भी शिकार हो सकते हैं। क्या है ये समस्या, बता रही हैं राजलक्ष्मी त्रिपाठी

अगर आप अपनी चीजें रखकर भूल जाते हैं और जिन लोगों के संपर्क में नियमित तौर पर रहते हैं, उनका नाम भी भूलने लगे हैं तो यह आपके लिए खतरे की घंटी है। यह दिमाग से जुड़ी बीमारी अल्जाइमर की शुरुआत है। यह खतरनाक बीमारी है, क्योंकि इसकी वजह से आप केवल चीजों को भूलते ही नहीं हैं, वरन् इसके कारण आप कूल्हे की हड्डी टूटने की समस्या से भी ग्रसित हो सकते हैं। थोड़ी सी सावधानी बरतकर इससे काफी हद तक अपना बचाव कर सकते हैं।

खतरनाक है अल्जाइमर

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दिमाग से जुड़ी बीमारी अल्जाइमर वास्तव में डिमेंशिया का एक साधारण रूप है, जिसमें धीरे-धीरे आपकी याददाश्त कमजोर होती जाती है। आमतौर पर यह बीमारी 65 साल से ऊपर के व्यक्तियों को होती है, लेकिन कई बार 50 साल की उम्र के व्यक्ति को भी यह समस्या हो सकती है। वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉॅ. समीर के. कालरा कहते हैं कि अल्जाइमर या डिमेंशिया एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसमें दिमाग की कोशिकायें नष्ट होने की वजह से याददाश्त जाने लगती है। इस बीमारी की शुरुआत हल्के-फुल्के भूलने की आदत से होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह खतरनाक होती जाती है। इसकी आखिरी अवस्था डिमेंशिया बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज की मौत भी हो सकती है।

रहता है कूल्हे के फ्रैक्चर का जोखिम
अल्जाइमर में अधिक पावर वाली दर्द निवारक दवाएं लेने की वजह से कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने अपने शोध की एक रिपोर्ट में बताया कि स्ट्रॉन्ग दर्द दूर करने वाली दवा के प्रयोग से अल्जाइमर रोग से जूझ रहे व्यक्तियों में हिप फ्रैक्चर का जोखिम दोगुना हो जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ओपीडी गिरने के जोखिम को बढ़ा देता है, जिससे बड़ी उम्र के लोगों में कूल्हे टूटने का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन बाद में पैन जर्नल में प्रकाशित हुआ, यह अध्ययन अल्जाइमर से पीड़ित 23,100 लोगों पर किया गया था। इसमें यह भी पाया गया कि ओपीडी के प्रयोग के शुरुआती दो महीनों में यह जोखिम सबसे ज्यादा था, बाद में यह थोड़ा कम हो गया।

कूल्हे का टूटना

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आमतौर पर बुजुर्गों में हिप फ्रैक्चर सामान्य बात है। अगर मरीज को डिमेंशिया या अल्जाइमर की शिकायत है तो उसके अंदर ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, जो कि बाद में कूल्हे के टूटने का कारण बनता है। बड़ी उम्र होने पर हड्डियां कमजोर व अकड़ी हुई सी हो जाती हैं, जो जरा सा भी जोर पड़ने पर टूट जाती हैं। 95 प्रतिशत तक हिप फ्रैक्चर गिरने की वजह से होता है। कूल्हे के फ्रैक्चर से प्रभावित होने वाले 70 प्रतिशत मरीज महिलाएं होती हैं। हिप फ्रैक्चर में कूल्हे की हड्डी टूट जाती है, जिसका इलाज करने के लिए इसकी सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है।

कैसे बचें इस खतरे से
अधिकांश मामलों में कूल्हे की हड्डी टूटने का मुख्य कारण गिरना होता है। इससे बचने के लिए यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि आप किसी भी वजह से गिरें नहीं। अगर आप किसी भी वजह से गिर गये हैं तो भविष्य में ऐसा ना हो, इसके लिए उन कारणों पर ध्यान दें और आगे के लिए सावधानी बरतें। अगर आप अकसर गिर जाते हैं तो बेहतर यही होगा कि आप किसी भी जगह पर बीचों-बीच चलने की बजाय ऐसे चलें कि आपको पकड़ने के लिए कोई सहारा मिल जाये। इसके अलावा सहारे के लिए छड़ी लेकर चलें या फिर कहीं जाते समय किसी व्यक्ति को अपने साथ लेकर जाएं, जो जरूरत पड़ने पर आपको सहारा दे सके। अपनी हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए अपने आहार में दूध, दही, अंडे के साथ- साथ कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर चीजों को शामिल करें और नियमित व्यायाम करें। उन दवाओं का इस्तेमाल करें, जिनसे आपके शरीर की हड्डियां मजबूत हों। अगर आपको नींद की दवाएं लेने की आदत है तो अपनी इस आदत पर विराम लगाएं। जरूरत महसूस हो तो इसके लिए डॉक्टर की सहायता लें।

क्यों होता है हिप फ्रैक्चर

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आथ्र्राइटिस जैसे हड्डी के रोग की वजह से।
’ उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी की वजह से बुजुर्गों में कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा अधिक रहता है। यह जोखिम पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है।
’ वजन जरूरत से ज्यादा होने की स्थिति में शरीर का सारा भार कूल्हों और पैरों पर पड़ने के कारण भी हिप फ्रैक्चर होने की आशंका रहती है।
’ इन सारी बातों के अलावा अल्जाइमर व डिमेंशिया जैसी बीमारी भी कूल्हे के फ्रैक्चर का मुख्य कारण बनने लगी है। अल्जाइमर की वजह से हिप फ्रैक्चर का कारण उसमें ली जाने वाली दवाओं के साथ-साथ मरीज की भूलने की आदत भी है, जिसकी वजह से वह यह भी भूल जाता है कि उसे कितना वजन उठाना चाहिए। ज्यादा वजन उठाने के कारण उसके कूल्हों पर भार पड़ता है और उनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
(सर गंगाराम हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉॅ. समीर के. कालरा और हड्डी रोग विशेष डॉ. जतिन हंस से की गई बातचीत पर आधारित)

बचाव है जरूरी 

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अगर आप खुद को अल्जाइमर की वजह से होने वाले कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्या से बचाना चाहते हैं तो इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि अपनी दिनचर्या में उन आदतों को शामिल करें, जो याददाश्त को दुरुस्त करने वाली हों।

अपने वजन को नियंत्रित रखने के साथ-साथ पौष्टिक भोजन करें। अपने आहार में भरपूर मात्रा में ताजे फल और सब्जियों को नियमित रूप से शामिल करें। खुद को स्वस्थ रखने के लिए अल्जाइमर की वजह से कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्या से बचाए 
रखने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम  करें।
’ मानसिक सक्रियता बनाये रखें। इसके लिए अपने अंदर कुछ नया सीखने की ललक बरकरार रखें। नये शौक विकसित करें। याददाश्त को दुरुस्त रखने के लिए अपने परिवार के साथ बीते दिनों की बातों को शेयर करें। सुडोकू खेलें और दिलचस्प किताबें पढ़ें।
’ अपना सामाजिक दायरा बढ़ाएं। इसके लिए नियमित तौर पर किसी पार्क आदि में सैर के लिए जाएं। वहां अपने हमउम्र लोगों से बातचीत करें। अपने दोस्तों के सम्पर्क में रहें और अपने परिवार के साथ समय बिताएं।

मछली, जैतून का तेल, भरपूर मात्रा में सब्जियां आदि के सेवन से अल्जाइमर के लक्षणों को नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है। इससे कूल्हे के फ्रैक्चर की आशंका भी काफी हद तक कम हो जाती है।

40 साल की उम्र पार करने के साथ अपने आहार में बादाम, टमाटर, मछली आदि को शामिल करें।

नियमित योग से याददाश्त को दुरुस्त करके अल्जाइमर के खतरे से बचा जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे ही आपको यह लगने लगे कि आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है, नियमित योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। प्रतिदिन 20 से 25 मिनट योग करने से याददाश्त तेज होती है।