भारत में एड्स के मरीजों की संख्या घटी है, लेकिन आंध्रप्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में अब भी इस बीमारी से लोग दम तोड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। 2017 के यूएन एड्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एचआईवी के नए मरीजों में 46% की कमी आई है, और 2010 से एड्स से होने वाली मौतों में 22% की कमी आई है।
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का भारत में पहला केस 1986 में सामने आया था। तब से, भारत एचआईवी पीड़ितों के लिए इसकी रोकथाम, उपचार और देखभाल का एक लंबा सफर तय कर चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। भारत में 2005 में एड्स के 1,50,000 मरीज सामने आए थे, जिनकी संख्या घटकर 2016 में 80,000 रह गई। 2005 में जहां 1,50,000 लोगों ने जान गंवाई थी, वहीं 2016 में यह आंकड़ा घटकर 62,000 रह गया। इस डाटा के अनुसार, भारत में 2.1 मिलियन लोग एचआईवी पीड़ित हैं।
इस आबादी पर एचआईवी का सबसे ज्यादा खतरा
-सेक्स वर्कर (2.2% में एचआईवी संक्रमण)
-समलैंगिक पुरुष (4.3% में एचआईवी संक्रमण)
-लोग जो ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं (9.9% में एचआईवी संक्रमण)
-ट्रांसजेंडर (7.2% में एचआईवी संक्रमण)
...लेकिन वक्त के साथ बढ़ा यह खतरा-
साल 2010 से 2015 के बीच एड्स के नए मरीजों में काफी हद तक कमी आई है। साथ ही एड्स से होने वाली मौतों में 54% की गिरावट आई है, लेकिन बुरी खबर यह है कि देश में एचआईवी के साथ जी रहे लोगों की संख्या बढ़ गई है।
यही कारण है कि एचआईवी की रोकथाम पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्ट्रेटजिक प्लान (एनएसपी) बनाया है। इस प्रोग्राम के तहत आने वाले सालों में निम्न लक्ष्य रखे गए हैं -
-एचआईवी के नए मरीजों की संख्या में 75% की कमी लाना।
-90-90-90 की स्थिति हासिल करना। इसका अर्थ है देश में एचआईवी पॉजिटिव लोगों में 90% लोग अपनी स्थिति जानते हैं, 90% ऐसे हैं जो अपनी स्थिति जानते हैं और उनका इलाज चल रहा है और 90% लोग जिन्हें इलाज का फायदा हो रहा है।
-मां से बच्चे में होने वाले एचआईवी केस खत्म करना।
-2024 तक नए एचआईवी मरीजों में 80% की कमी लाना।
आंध्र-तेलंगाना से सबक सीखे पूरा देश-
देश में एड्स के मरीज कम हुए हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मरने वालों की दर देश में सबसे ज्यादा है। दोनों राज्यों को लेकर ए़ड्स प्रिवेंशन कंट्रोल यूनिट का कहना है कि यहां मरीजों में ऐड्स का पता देरी से चलता है। जब तक इलाज शुरू होता, बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए ऐड्स के सामान्य लक्षण जैसे ठंड लगना, भूख कम लगना, दस्त होना, स्किन प्रॉब्लम, उल्टियां होना, रात में पसीना, बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम पड़ना, लंबे समय तक बने रहें तो डॉक्टर से सम्पर्क करें।
नोट-एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, सुरक्षित यौन संबंध के उपाय जरूर करना चाहिए। यदि किसी भी तरह की आशंका है तो अपनी और पार्टनर की जांच जरूर करवानी चाहिए। यदि एचआईवी की पुष्टि हो गई है तो घरबराएं नहीं। अपनी सेहत का ख्याल रखें। पौष्टिक चीजें खाएं। डॉक्टर के बताए अनुसार दवाएं लें।
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