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सर्जरी के बाद बुजुर्गों को खतरा है लकवे और सोचने-समझने की क्षमता घटने का

हार्ट के अलावा भी बुजुर्गों में अलग-अलग कारणों से सर्जरी की नौबत आ सकती है। ऐसे बुजुर्गों के स्वास्थ्य की विशेष निगरानी की सलाह दी जाती है, क्योंकि इन्हें लकवा और सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान होने...

सर्जरी के बाद बुजुर्गों को खतरा है लकवे और सोचने-समझने की क्षमता घटने का
myupchar,नई दिल्लीThu, 17 Oct 2019 01:05 PM
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हार्ट के अलावा भी बुजुर्गों में अलग-अलग कारणों से सर्जरी की नौबत आ सकती है। ऐसे बुजुर्गों के स्वास्थ्य की विशेष निगरानी की सलाह दी जाती है, क्योंकि इन्हें लकवा और सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान होने का खतरा रहता है। प्रसिद्ध अमेरिकी जर्नल लांसेट के अध्ययन से यह बात पता चली है।  भारत में लकवा (स्ट्रोक) मौत और अपंगता का एक बड़ा कारण है। भारत सहित अन्य विकासशील देशों में पिछले कुछ दशकों में लकवे के मामले बढ़ गए हैं। इंडियन स्ट्रोक्स एसोसिएशन के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 1.7 करोड़ लोग इससे प्रभावित होते हैं, जिनमें से लगभग 62 लाख की मौत हो जाती है।

द लांसेट के मध्य-अगस्त के अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक नॉन कार्डियेक सर्जरी कराने के बाद बुजुर्गों में बिना पूर्व लक्षण के लकवे (साइलेंट स्ट्रोक) का खतरा ज्यादा होता है। लकवा एक ऐसी आपातकालीन चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त जमा हो जाने के कारण दिमाग को होने वाला रक्त प्रवाह ठप्प हो जाता है।

24 मार्च 2014 से 21 जुलाई 2017 के दौरान लांसेट ने अध्ययन के लिए तैयार 1,114 मरीजों की प्रगति पर नजर रखी। नौ देशों के 12 शैक्षणिक संस्थानों में किए गए इस अध्ययन को 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के ऐसे मरीजों पर ही केंद्रित रखा गया, जो नॉन कार्डियेक सर्जरी से गुजर चुके थे। अनुसंधानकर्ताओं ने सर्जरी के बाद किए गए दिमाग के एमआरआई की तुलना एक साल बाद के परीक्षणों से की। उन्होंने पाया- तकरीबन सात फीसदी मरीजों को तो सर्जरी के दौरान (पेरिऑपरेटिव) ही गोपनीय (कवर्ट) स्ट्रोक आ चुका था। पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक का सामना कर चुके 69 मरीजों में से 29 में सर्जरी के एक साल बाद की गई जांच के दौरान सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट (कॉग्नेटिव डिक्लाइन) देखने को मिली। पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक का सामना नहीं करने वाले मरीजों में भी अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि 932 मरीजों में से 274 (29%) की सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आई है। यह जानकारी को एक लेख “पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक इन पेशेंट्स अंडरगोइंग नॉन कार्डियेक सर्जरी (न्यूरो विजन): ए प्रॉस्पेक्टिव कोहर्ट स्टडी” में प्रकाशित की गई है। इस सामूहिक अध्ययन में लिंग, नस्ल, वर्ग और भौगोलिक स्थिति के लिहाज से कई प्रकार के मरीजों का अध्ययन किया गया।

कवर्ट स्ट्रोक क्या है?

साइलेंट या कवर्ट स्ट्रोक बिना किसी पूर्व सूचना या लक्षणों के आता है। इसके बड़े कारणों में रक्त के थक्के जमना, धमनियों का सिकुड़ जाना, हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह और हाई कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है क्योंकि रक्त नलिकाएं सख्त और पतली हो जाती हैं। स्ट्रोक दिमाग को स्थायी क्षति पहुंचा सकता है, विकलांगता या मौत तक की वजह बन सकता है। इसलिए स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही तुरंत उपचार का इंतजाम किया जाना चाहिए। स्ट्रोक के कारण बेहोशी भी आ सकती है।

अगर आप 65 वर्ष से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति के साथ रहते हैं , तो स्ट्रोक आने पर उसकी जिंदगी बचाने के लिए आप ये आसान कदम उठा सकते हैं-

1. मरीज को अकेला न छोड़ें। अगर जरूरी हो, तो किसी और को एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें। मरीज को तत्काल अस्पताल ले जाएं।

2. ध्यान रखें कि मरीज आरामदेह स्थिति में है।

3. उल्टियां होने की स्थिति में मरीज को उठाकर सिर का संतुलन साधकर मदद करें।

4. इस बात का ध्यान रखें कि वह सांस ले रहे हैं। उनके शर्ट के बटन या दुपट्टे को ढीला कर दें।

5. जरूरत हो तो कार्डियोपल्मनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दें।

6. मरीज को कुछ भी खाने या पीने को न दें।

7. जरूरत हो तो मरीज को कंबल से ढंक दें।

8. स्ट्रोक के बाद चिकित्सक की सलाह का पूरी तरह से ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

 

अधिक जानकारी के लिए देखेंः https://www.myupchar.com/disease/stroke

स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं। 

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