चारे की तलाश में गई नीलगाय 12 फीट गहरे टैंक में गिरी, देखें तस्वीरें
रात में चारे की तलाश में गई नीलगाय गाडौली खुर्द के बूस्टिंग स्टेशन के बंद पड़े 12 फीट गहरे टैंक में गिर गई। सुबह टैंक से आवाज आने पर ग्रामीणों ने नीलगाय को देखा। सूचना पर वन्यजीव संरक्षण अनिल गंडास...
रात में चारे की तलाश में गई नीलगाय गाडौली खुर्द के बूस्टिंग स्टेशन के बंद पड़े 12 फीट गहरे टैंक में गिर गई। सुबह टैंक से आवाज आने पर ग्रामीणों ने नीलगाय को देखा। सूचना पर वन्यजीव संरक्षण अनिल गंडास और ग्रामीण पहुंच गए। जेसीबी की मदद से रास्ता बनाकर करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद नीलगाय को रेस्क्यू किया गया। मेडिकल परीक्षण के बाद उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया। गुरुवार की सुबह 5:30 बजे गाडौली खुर्द के ग्रामीण सैर करने जा रहे थे। उन्हें हुडा के बंद पड़े बूस्टिंग स्टेशन के 12 फीट गहरे टैंक से किसी जानवर के करहाने की आवाज सुनाई दी।
सैर करने जा रहे ग्रामीणों ने देखा
ग्रामीणों ने मौके पर जाकर देखा तो टैंक में एक नीलगाय मिली। इसके बाद इन्वायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के अध्यक्ष अनिल गंडास को सूचना दी। कुछ ही देर में ग्रामीणों के साथ अनिल गंडास पहुंच गए। टैंक में घुटनों तक पानी भरा हुआ था। नीलगाय को ऐसे नहीं निकाला जा सकता था। इसके बाद एक ग्रामीण की ही जेसीबी मंगवाई गई। जेसीबी से टैंक की दीवार को तोड़कर ऊपर से लेकर नीचे तक एक रास्ता बनाया गया। इसके बाद नीलगाय को रेस्क्यू किया गया। इसमें करीब डेढ़ घंटे का समय लगा। रेस्क्यू के दौरान दो छात्रों को हल्की चोट भी आई है।
टैंक का ढक्कन खुला छोड़ दिया
बूस्टिंग स्टेशन काफी समय से बंद पड़ा है। टैंक का ढक्कन किसी ने खोल दिया था। ढक्कन खुले होने की वजह से ही नीलगाय उसमें गिर गई। अब यहां पर भारी मात्रा में बेरी के पेड़ उग आए हैं। अनिल ने बताया के नीलगाय बेरी को चारे के रूप में पसंद करती है। इसीलिए वह वहां गई होगी। वन्य जीव संरक्षक अनिल गंडास ने कहा कि मेडिकल परीक्षण के बाद नीलगाय को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया है। बूस्टिंग स्टेशन में बेरी के पेड़ हैं। नीलगाय इन्हें ही खाने आई होगी। किसी तरह टैंक में गिर गई। ग्रामीण छात्रों व जेसीबी की मदद से करीब डेढ़ घंटे में रेस्क्यू किया गया।